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Ghosi By Election: मुख्तार अंसारी के सियासी रसूख की भी होगी परीक्षा, मऊ सीट पर लंबे समय तक रहा बाहुबली का कब्जा

Ghosi By Election 2023: यह उपचुनाव सपा और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा की जंग बन गया है। 2024 की सियासी जंग से पहले इस उपचुनाव को एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच लिटमस टेस्ट भी माना जा रहा है।

Anshuman Tiwari
Published on: 4 Sept 2023 11:53 AM IST
Ghosi By Election: मुख्तार अंसारी के सियासी रसूख की भी होगी परीक्षा, मऊ सीट पर लंबे समय तक रहा बाहुबली का कब्जा
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Ghosi By Election 2023 (photo: social media )

Ghosi By Election 2023: उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कल मतदान होने वाला है। रविवार की शाम इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच हो रही सियासी जंग के लिए चुनावी शोर थम गया। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान और सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह की जीत सुनिश्चित करने के लिए दोनों खेमों ने पूरी ताकत लगाई। वैसे इस सीट पर चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही दोनों खेमों ने धुआंधार चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था। दरअसल यह उपचुनाव सपा और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा की जंग बन गया है। 2024 की सियासी जंग से पहले इस उपचुनाव को एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच लिटमस टेस्ट भी माना जा रहा है।

इस उपचुनाव के जरिए बाहुबली मुख्तार अंसारी के सियासी रसूख की अग्निपरीक्षा भी होगी। घोसी विधानसभा क्षेत्र मऊ जिले के अंतर्गत आता है और इस क्षेत्र पर लंबे समय से मुख्तार अंसारी की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। मऊ सदर विधानसभा सीट से मुख्तार ने लगातार करीब 25 वर्षों तक चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की। 2022 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार ने अपनी विरासत बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी थी। 2022 के चुनाव में अब्बास अंसारी ने सुभासपा के टिकट पर इस सीट पर जीत की थी। अब देखने वाली बात होगी कि मुख्तार के प्रभाव क्षेत्र माने जाने वाले इस इलाके में भाजपा अपनी ताकत दिखाने में कामयाब हो पाती है या नहीं।

घोसी सीट पर मुख्तार के बेटे ने भी लड़ा था चुनाव

घोसी विधानसभा सीट पर हो रहा उपचुनाव मुख्तार कुनबे के लिए एक और नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्तार अंसारी ने मऊ सदर विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी मगर घोसी विधानसभा सीट पर उन्होंने अपने बेटे अब्बास अंसारी को चुनाव मैदान में उतारा था। मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने बसपा के टिकट पर 2017 में इस सीट पर किस्मत आजमाई थी।

इस चुनाव के दौरान अब्बास अंसारी को जीत तो नहीं मिली मगर मुख्तार कुनबा अपनी ताकत दिखाने में जरूर कामयाब रहा था। 2017 में फागू चौहान भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्होंने अब्बास अंसारी को हराने में कामयाबी हासिल की थी। फागू चौहान को 88,298 मत हासिल हुए थे जबकि अब्बास 81,295 वोट हासिल करके दूसरे नंबर पर रहे थे।

फागू चौहान के इस्तीफे के बाद हुआ था उपचुनाव

बिहार का राज्यपाल बनाए जाने के बाद फागू चौहान ने 2019 में इस सीट से इस्तीफा दे दिया था और इस सीट पर उपचुनाव कराए गए थे। इस उपचुनाव में भाजपा के विजय कुमार राजभर ने जीत हासिल की थी।

2017 के विधानसभा चुनाव में मिली इस हार के बाद अब्बास अंसारी ने 2022 में मऊ सदर सीट पर अपने पिता मुख्तार अंसारी की विरासत संभाल ली थी। अब्बास अंसारी 2022 में सुभासपा के टिकट पर मऊ सदर सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे।

मऊ जिले में मुख्तार की मजबूत पकड़

मऊ और गाजीपुर जिले को मुख्तार कुनबे की मजबूत पकड़ वाला जिला माना जाता रहा है। मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में गाजीपुर संसदीय सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता मनोज सिन्हा को हरा दिया था। मऊ जिले में तो मुख्तार की लंबे समय तक मजबूत पकड़ रही है। वे लगातार करीब 25 वर्ष तक मऊ सदर सीट से विधायक का चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

मुख्तार ने बसपा के टिकट पर 1996 में पहला चुनाव इस सीट पर जीता था। 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। 2012 में वे कौमी एकता दल से चुनाव लड़कर विधानसभा में पहुंचे थे। 2017 के चुनाव में बसपा ने उन्हें फिर चुनाव मैदान में उतारा था और मुख्तार इस चुनाव में भी जीतने में कामयाब रहे थे।

मुस्लिम मतदाताओं के निर्णायक भूमिका में होने के बावजूद समाजवादी पार्टी इस सीट पर कभी नहीं जीत पाई। राम लहर में भी भाजपा इस सीट पर नहीं जीत पाई थी। 1991 में राम लहर के बावजूद भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी को इस सीट पर हार मिली थी। उन्हें सीपीआई के इम्तियाज अहमद ने मात्र 133 मतों से हराया था। नकवी ने 1993 में भी सीट से चुनाव लड़ा था मगर बसपा के नसीम ने उन्हें 10 हजार से अधिक मतों से पराजित कर दिया था।

2017 में भी मुख्तार ने दिखाई थी ताकत

मऊ सदर सीट पर मुख्तार अंसारी ने आखिरी चुनाव 2017 में लड़ा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और उन्हें 96,793 मत हासिल हुए थे। उन्होंने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेंद्र राजभर को 8,698 मतों से शिकस्त दी थी। राजभर को 88,095 मत मिले थे जबकि समाजवादी पार्टी के अल्ताफ अंसारी 72,016 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

2017 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने मुस्लिम वोट बैंक में गहरी सेंध लगाई थी मगर इसके बावजूद मुख्तार अंसारी ने जीत हासिल की थी। जानकारों का कहना था कि मुख्तार को अन्य वर्गों का भी समर्थन हासिल हुआ था जिसकी वजह से उन्होंने यह जीत हासिल की थी।

2022 के चुनाव में बेटे को सौंप दी विरासत

2022 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी की जगह उनके बेटे अब्बास अंसारी ने मऊ विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा था।। इस चुनाव में सुभासपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे अब्बास अंसारी ने भाजपा के अशोक सिंह को 38,116 वोटों से हरा दिया था। अब्बास अंसारी को 1,24,691 वोट मिले थे जबकि भाजपा प्रत्याशी अशोक सिंह ने 86,575 वोट हासिल हुए थे।

बसपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा था और उन्हें 44,516 वोट मिले थे। इस चुनाव के दौरान भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद मुख्तार खेमा अपनी ताकत दिखाने में कामयाब रहा था

दारा सिंह और राजभर की प्रतिष्ठा दांव पर

2022 के विधानसभा चुनाव से पहले दारा सिंह चौहान ने सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। समाजवादी पार्टी ने दारा सिंह चौहान को घोसी से चुनाव मैदान में उतारा था। इस चुनाव के दौरान दारा सिंह चौहान ने भाजपा के तत्कालीन विधायक विजय राजभर को 22,189 वोटों से मात दे दी थी। बाद में दारा सिंह चौहान का सपा से मोहभंग हो गया और उन्होंने एक बार फिर भाजपा में वापसी कर ली। भाजपा की सदस्यता लेने के बाद उन्होंने घोसी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था और इसी कारण इस सीट पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं।

अब इस सीट पर दारा सिंह चौहान के साथ ही सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर की प्रतिष्ठा भी गांव पर लगी हुई है। एनडीए में शामिल होने के बाद राजभर दारा सिंह चौहान की जीत सुनिश्चित करने के लिए यहीं पर डेरा डाले हुए हैं।

उपचुनाव में मुख्तार के रसूख की होगी परीक्षा

मऊ जिले को मुख्तार अंसारी के प्रभाव क्षेत्र वाला इलाका माना जाता है। इस जिले में मुख्तार के समर्थकों की अच्छी खासी संख्या है और इस कारण माना जा रहा है कि घोसी सीट पर हो रहा उपचुनाव में बाहुबली मुख्तार अंसारी के सियासी रसूख की भी परीक्षा होगी।

मुख्तार अंसारी और मऊ सदर सीट से विधायक उनका बेटा अब्बास अंसारी दोनों इस समय जेल में बंद हैं। इसलिए चुनाव प्रचार के दौरान दोनों की कोई सक्रियता नहीं दिखी। योगी सरकार ने हाल के दिनों में मुख्तार कुनबे पर शिकंजा कर दिया है। मुख्तार के कई करीबियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है। अब यह देखने वाली बात होगी कि मुख्तार के समर्थक इस उपचुनाव के दौरान क्या रुख अपनाते हैं।



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Anshuman Tiwari

Anshuman Tiwari

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