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गोरखपुर: महिला उद्यमियों ने संभाली कामकाज की बागडोर, तो पतिदेव भी देने लगे साथ
गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में वैसे तो कागजों में 30 फीसदी से अधिक महिलाएं फैक्ट्री संचालित करती हैं, लेकिन हाल के वर्षों में हकीकत की धरातल पर भी महिला उद्यमियों की दखल बढ़ी है।
गोरखपुर: वैसे तो महिलाएं पुरूषों के कामकाज में हाथ बंटाती हुई नजर आती हैं, लेकिन कई ऐसे मामले भी हैं जहां पत्नियों की जिद को देखते हुए पतिदेव को मदद में आना पड़ा। किरन जहां ससुर की छोटी सी आटा चक्की को बढ़ा कर फूड आइटम की फैक्ट्री की मालकिन बन गई हैं तो वंदना ने गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण में टोमैटो सास और नूडल्स की फैक्ट्री लगा चुकी हैं।
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गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में वैसे तो कागजों में 30 फीसदी से अधिक महिलाएं फैक्ट्री संचालित करती हैं, लेकिन हाल के वर्षों में हकीकत की धरातल पर भी महिला उद्यमियों की दखल बढ़ी है। कुछ महिलाएं पति के साथ बराबर की साझेदार बनकर काम कर रही हैं तो कुछ ने खुद के बल कर यूनिट लगा ली है। गीडा में पिछले दिनों उद्यमी मीनू बंसल ने सोयाबीन पैकिंग की फैक्ट्री खोली है। यहां महिलाओं की संख्या अधिक है। इसी तरक गोल्डी गुप्ता नाम की महिला ने प्लास्टिक के उत्पाद बनाने का काम शुरू किया है। यहां प्लास्टिक की कुर्सी, मेज और टब आदि का उत्पादन होता है।
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष आरएन सिंह का कहना है
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष आरएन सिंह का कहना है कि महिलाएं खुद आगे आकर काम कर रही हैं। कामगारों में महिलाओं की संख्या पहले भी अच्छी थी लेकिन वह अपने घर से ही काम को अंजाम देती थीं। अब वे फैक्ट्रियों में काम कर रही हैं। सेनेटरी नैपकीन, शराब, रेडीमेड गारमेंट, फूड आइटम वाली फैक्ट्रियों में इनकी अच्छी संख्या है।
kiran-pandey (PC: social media)
आत्मनिर्भर होने की उम्मीद जगाती 'किरन'
ससुर की आटा चक्की से आत्मनिर्भर होने की कहानी है दिग्विजय नगर मोहल्ले के जनप्रिय विहार कालोनी की किरन पान्डेय की। ससुर की छोटी की आटा चक्की की बुनियाद पर किरन पांडेय ने न सिर्फ परिवार को आत्मनिर्भर किया बल्कि 18 अन्य परिवारों का रोटी-दाल का इंतजाम कर रही हैं। आज उनका प्रोडक्ट न सिर्फ पंजीकृत है, बल्कि राजधानी लखनऊ तक धूम मचा रहा है। जनप्रिय विहार वार्ड के दिग्विजय नगर मोहल्ले की किरन पांडेय की शादी राहुल पांडेय से हुई थी। राहुल मल्टीनेशनल कंपनियों में सेल्स का काम देखते थे। वर्ष 2012 में दोनों की शादी हुई। साल भर बाद ही किरन ने ससुर की छोटी सी आटा चक्की की बुनियाद पर अपना प्रोडक्ट लांच करने का सपना संजोया।
वह उत्पादन इकाई में सिर्फ जरूरतमंद औरतों को ही काम देंगी
पति का साथ मिला तो किरन ने सास कुसुम लता पांडेय के नाम से अपना प्रोडक्ट 'आपूर्ती' लांच कर दिया। शुरूआत में ही किरन से तय किया कि वह उत्पादन इकाई में सिर्फ जरूरतमंद औरतों को ही काम देंगी। शुरूआती दिनों से काम करने वाली पिंकी और उर्मिला बताती हैं कि 'अशिक्षा के चलते शुरूआत में तौल भी नहीं कर पाते थे, लेकिन अब सबकुछ करने में सक्षम हैं। कामकाजी महिला होने पर गर्व होता है।' आज किरन के प्रोडक्ट की धमक गोरखपुर-बस्ती मंडल के सात जिलों में ही नहीं, राजधानी लखनऊ तक है।
आज बाजार से गुम हो चुके मोटे अनाजों की लंबी रेंज है
नवरात्रि में कुट्टू, सिघाड़ा के आटे की डिमांड पूरी करना मुश्किल है। किरन बताती हैं कि 'शुरूआत में आम और मिर्चा के अचार का रेडीमेड मसाला बनाते थे, और दुकानों पर बेचते थे। आज बाजार से गुम हो चुके मोटे अनाजों की लंबी रेंज है। मक्का, जौ, मड़ुआ आदि की खूब डिमांड है। उत्पादन इकाई सिर्फ महिलाओं के भरोसे संचालित कर रहे हैं, भविष्य में भी इसपर कायम रहेंगे।'
Vandana Aggarwal (PC: social media)
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छोटे से कमरे से गीडा में फैक्ट्री का सफर
महिला उद्यमी वंदना अग्रवाल ने टोमैटो सास, जैली आदि का प्लांट लगाया है। वंदना बताती हैं कि पहले छोटे स्तर पर काम था। अब करीब तीन एकड़ में फैक्ट्री है। पति भी काम में सहयोग करते हैं। अपने उत्पाद को अब बड़े पैमाने पर लांच करने की योजना है।
रिपोर्ट- पूर्णिमा श्रीवास्तव
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