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राज्यपाल आनंदीबेन ने पेश की एक और मिसाल, यहां जानें पूरा मामला

जागृत समाज का फर्ज है कि समाज स्वस्थ हो। जो सम्पन्न हैं वे अपनी जरूरत के अतिरिक्त कुछ अंश समाज के लिये भी खर्च करें। छोटे-छोटे प्रयास से बड़ा लक्ष्य प्राप्त हो सकता है।

Aditya Mishra
Published on: 25 Aug 2019 9:51 PM IST
राज्यपाल आनंदीबेन ने पेश की एक और मिसाल, यहां जानें पूरा मामला
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लखनऊ: प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल प्रदेश के माननीयों के लिए एक के बाद एक बड़े उदाहरण पेश कर रही हैै। यूपी के राज्यपाल पद का कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही अपने सुरक्षा कर्मियों में कमी कर दी तो फिर खर्चा कम करने के लिए स्टेट प्लेन का कम से कम उपयोग करने का निर्णय लिया।

अब रविववार को उन्होंने एक और मिसाल पेश करते हुये राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में टीबी रोग से ग्रसित एक बच्ची को गोद लिया।

उनके इस सदकार्य से प्रभावित हो कर राजभवन के सभी अधिकारियों ने भी टीबी रोग से ग्रसित 21 अन्य बच्चों को सहयोग देने के लिए गोद लिया।

गोद लेने वाले अधिकारियों का यह दायित्व होगा कि वे बच्चों को सरकारी दवा सुचारू रूप से मिलती रहे तथा बच्चा नियमित रूप से दवा का प्रयोग करें और पौष्टिक आहार का सेवन करे, इसका ध्यान रखेंगे।

राज्यपाल ने यह भी सलाह दी कि बच्चों की शिक्षा में कोई व्यवधान हो तो उसका भी निस्तारण किया जाये। राज्यपाल ने राजभवन आये सभी बच्चों को पोषणयुक्त खाद्य सामग्री और फल वितरित किये।

यह सभी बच्चे राजभवन के नजदीकी क्षेत्र के रहने वाले हैं। इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव हेमन्त राव, विशेष सचिव डाॅक्टर अशोक चन्द्र, जिला क्षय रोग निवारण अधिकारी डाॅक्टर पीके गुप्ता सहित राजभवन के अधिकारी उपस्थित थे।

राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2025 तक भारत को टीबी रोग से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दृष्टि से यह तय किया गया है कि टीबी रोग से ग्रसित बच्चों को गोद लेने की पहल की राजभवन से शुरूआत की जाये। गोद लेना कोई उपकार नहीं है।

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जागृत समाज का फर्ज है कि समाज स्वस्थ हो: आनन्दीबेन

जागृत समाज का फर्ज है कि समाज स्वस्थ हो। जो सम्पन्न हैं वे अपनी जरूरत के अतिरिक्त कुछ अंश समाज के लिये भी खर्च करें। छोटे-छोटे प्रयास से बड़ा लक्ष्य प्राप्त हो सकता है।

आनंदीबेन पटेल ने कहा कि सभी स्थान पर सरकार नहीं पहुंच पाती। ऐसी स्थिति में समाज के जिम्मेदार, सम्पन्न और समृद्ध लोग अपने दायित्व को समझते हुए स्वयं को रोगी के परिवार से जोड़े, चर्चा करें तथा समाधान निकालने में उनका सहयोग करें। उचित सफाई, पौष्टिक भोजन, समय पर दवाई लेने से रोग पर पूर्णतया काबू पाया जा सकता है।

अस्वस्थ बच्चों में आगे चलकर विवाह तथा जीविकोपार्जन की भी समस्या आती है। उन्होंने अपने गुजरात और मध्य प्रदेश के अनुभव साझा करते हुऐ बताया कि ऐसे प्रयास से रोग ग्रस्त बच्चे कम समय में ही स्वस्थ हो गये और इससे प्रेरणा लेकर समाज के लोगों ने ज्यादा से ज्यादा बच्चें गोद लिये।

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Aditya Mishra

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