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गेस्ट हाउस कांड: मायावती ने मुलायम के खिलाफ वापस लिया केस, बताई ये वजह

बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड मामले में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ अपना केस वापस ले लिया है।

Aditya Mishra
Published on: 7 Nov 2019 9:43 AM GMT
गेस्ट हाउस कांड: मायावती ने मुलायम के खिलाफ वापस लिया केस, बताई ये वजह
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लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड मामले में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ अपना केस वापस ले लिया है। मायावती ने बताया कि अखिलेश ने उनसे केस वापस लेने के लिए कई बार कहा था इसलिए उन्होंने ये निर्णय लिया।

बता दे कि मुलायम सिंह को इस मामले में आरोपी बनाया गया था। लखनऊ के गेस्ट हाउस में समाजवादी पार्टी के नेताओं ने मायावती पर हमला किया था, उनके कपड़े फाड़ दिए थे।

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यहां जानें गेस्ट हाउस कांड के बारे में सबकुछ

2 जून 1995 के दिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो हुआ वह शायद ही कहीं हुआ होगा। मायावती पर गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में हमला हुआ था।

2 जून 1995 को मायावती लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में अपने विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं। तभी दोपहर करीब तीन बजे कथित समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भीड़ ने अचानक गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया।

कांशीराम के बाद बीएसपी में दूसरे नंबर की नेता मायावती उस वक्त को जिंदगी भर नहीं भूल सकतीं. उस दिन एक समाजवादी पार्टी के विधायकों और समर्थकों की उन्मादी भीड़ सबक सिखाने के नाम पर दलित नेता की आबरू पर हमला करने पर आमादा थी।

'बहनजी' किताब में घटना का जिक्र

मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब 'बहनजी' में गेस्टहाउस में उस दिन घटी घटना की जानकारी विस्तार से देता है।

बताया जाता है कि, 1995 के गेस्टहाउस कांड में जब कुछ कथित तौर पर सपा के गुंडों ने बसपा सुप्रीमो मायावती को कमरे में बंद करके मारा और उनके कपड़े फाड़ दिए थे।

किसी तरह मायावती ने अपने को कमरे में बंद किया था और बाहर से समाजवादी पार्टी के विधायक और समर्थक दरवाजा तोड़ने में लगे हुए थे।

इस बीच, कहा जाता है कि अपनी जान पर खेलकर बीजेपी विधायक ब्रम्हदत्त द्विवेदी मौके पर पहुंचे और सपा विधायकों और समर्थकों को पीछे ढकेला।

बता दें कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी की छवि भी दबंग नेता की थी। यूपी की राजनीति में इस कांड को गेस्टहाउस कांड कहा जाता है और ये भारत की राजनीति के माथे पर कलंक है। खुद मायावती ब्रम्हदत्त द्विवेदी को भाई कहने लगीं और सार्वजनिक तौर पर कहती रहीं कि अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने मेरी जान बचाई थी।

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मुलायम सिंह यादव ने कहा था- मैं मायावती का नाम भी नहीं लेता हूं

एक बार एक पत्रकार के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि जिसका (मायावती) का नाम आप ले रहे हैं मैं उसका नाम भी नहीं लेता हूं।

जनवरी 2019 में जब अखिलेश और मायावती के बीच गठबंधन हुआ तो मायावती ने इस कांड का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ''हमने बीजेपी को रोकने के लिए पहले भी गठबंधन किया था।

ये गठबंधन कुछ गंभीर कारणों से ज्यादा दिनों तक नहीं चला। लेकिन अब जनहित को 2 जून 1995 के गेस्ट हाउस कांड से ऊपर रखते हुए हमने चुनावी समझौता करने का फैसला किया है।''

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Aditya Mishra

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