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ज्ञानेंद्र नौकरी नहीं कर रहे, सोना उगाने की है ललक, जौं की पैदावार से बनाएंगे रिकॉर्ड

व्हीटमैन ऑफ इंडिया की उपाधि से नवाजे जाने वाले डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह  मिट्टी से सोना उपजाना चाहते हैं। वह इस साल की आखिरी तिमाही तक डीबीडब्ल्यू ३०३ नाम की एक ऐसी प्रजाति लाने वाले हैं जो पैदावार अब तक सब रिकार्ड तोड़ देगी। इससे पहले करण नरेन्द्र नामक डीबीडब्ल्यू २२२  प्रजाति के गेहूं वह पैदावार के पुराने मानदंड पहले ही पीछे छोड़ चुके हैं।

राम केवी
Published on: 2 March 2020 8:58 PM IST
ज्ञानेंद्र नौकरी नहीं कर रहे, सोना उगाने की है ललक, जौं की पैदावार से बनाएंगे रिकॉर्ड
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लखनऊ। डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह के लिए नौकरी सिर्फ दो जून की रोटी कमाने का जरिया नहीं है। वह अपनी नौकरी के मार्फत देश की पैदावार के क्षेत्र में बड़ी क्रांति करना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने जौ के ४८ उन्नत किस्में विकसित की हैं। उनके कदम २०३० से २०५० तक १४० मिलियन टन का लक्ष्य करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं।

व्हीटमैन ऑफ इंडिया की उपाधि से नवाजे जाने वाले डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह मिट्टी से सोना उपजाना चाहते हैं। वह इस साल की आखिरी तिमाही तक डीबीडब्ल्यू ३०३ नाम की एक ऐसी प्रजाति लाने वाले हैं जो पैदावार अब तक सब रिकार्ड तोड़ देगी। इससे पहले करण नरेन्द्र नामक डीबीडब्ल्यू २२२ प्रजाति के गेहूं वह पैदावार के पुराने मानदंड पहले ही पीछे छोड़ चुके हैं।

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बनारस के रहने वाले डॉ. ज्ञानेन्द्र को कृषि विज्ञान की शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से मिली। वह कर्नाल में वैज्ञानिक रहे। नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेस, इंडियन सोसाइटी ऑफ जेनेटिक्स एण्ड प्लांट ब्रीडिंग व सोसाइटी फॉर एडवांसमेंट ऑफ व्हीट एंड बारले रिसर्च के फेलो हैं। पौध प्रजनन पर उनके करीब २०० पेपर प्रकाशित हैं। सोसाइटी ऑफ एडवांसमेंट ऑफ व्हीट रिसर्च के वे अध्यक्ष हैं।

ये है सबसे क्रांतिकारी खोज

बीते ३ दशक में कई प्रजातियों के इजाद करने को लेकर किसानों के जीवन में बदलाव के लिए काफी मेहनत की। वह डॉ. ज्ञानेन्द्र अपनी सबसे क्रांतिकारी खोज एचडी-२९६७, ३०८६ और डीबीडब्ल्यू १९७ प्रजाति मानते हैं। १९७ को करण वंदना भी कहते हैं। जिसे गंगा तटीय क्षेत्र में रहने वाले किसान भी कर रहे है। गेंहू ब्लॉस्ट रोग से लडऩे में यह किस्म बेहद कारगर है। ६५ क्विंटल प्रति हेक्टयर तक इसकी उपज होती है। बुआई के ७७ दिन में बालियां निकल आती हैं। १२० दिन में फसल तैयार हो जाती है।

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डॉ. ज्ञानेन्द्र गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में १०२ मिलियन टन का लक्ष्य प्राप्त करने की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें उत्कृष्ट सेवा के लिए बीपी पाल आवार्ड, नानाजी देशमुख आउट स्टैडिंग आवार्ड, डा. अमरीक सिंह चीमा ऑवार्ड व एआईएएसए एग्रीकल्चर लीडरशिप ऑवार्ड से नवाजा जा चुका है।



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राम केवी

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