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हे भगवान! जिसे समझा मंदिर वो निकला शौचालय, करने लगे सब यहीं पूजा
भारत में हर तरफ अंधविश्वास फैला हुआ है। कोई किसी को भी भगवान के नाम पर लूट सकता है। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश में हो रहा था।
हमीरपुर: भारत में हर तरफ अंधविश्वास फैला हुआ है। कोई किसी को भी भगवान के नाम पर लूट सकता है। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश में हो रहा था। जबसे योगी सरकार की सत्ता में आते ही सरकारी इमारतों, स्कूलों और बसों को भगवा रंग में रंगने का सिलसिला शुरू कर दिया था। इसी क्रम में हमीरपुर में सरकारी इमारतों और स्कूलों के आलावा एक शौचालय को भी भगवा रंग में रंग दिया गया।
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लेकिन इसके बाद जो हुआ वह बहुत ही चौंकाने वाला था। टॉयलेट की बनावट व भगवा रंग होने की वजह से वहां से होकर गुजरने वाले लोग इसे मंदिर समझकर प्रणाम तक करने लगे। ये कार्यकर्म पूरे एक साल तक चलता रहा। जैसे ही यह खबर हर जगह फैली तो नगर पालिका के अधिकारियों ने टॉयलेट का रंग भगवा से बदलकर गुलाबी कर दिया।
ये घटना हमीरपुर जिले के मौदहा सीएचसी का है, जहां नगर पालिका ने एक साल पहले शौचालय का निर्माण करवाया था। इस शौचालय को नगर पालिका और सीएचसी के ठेकदारों ने भगवा रंग में रंग दिया था। इसका उद्घाटन बाकायदा मौदहा एसडीएम अजीत परेश और चेयरमैन रामकिशोर ने किया था, लेकिन दूर से यह शौचालय भगवा रंग की वजह से मंदिर के जैसा दिखाई देता था। ऐसे में सीएचसी में पहुंचने वाले लोग व मरीज इस शौचालय को मंदिर समझकर प्रणाम करने लगे, लेकिन गांव के लोगों को यह नहीं पता होता था कि यह शौचालय है। यही सिलसिला एक साल तक चलता रहा।
स्थानीय दुकानदार हनी सिंह कहते हैं, 'मेरी दूकान टॉयलेट के सामने हैं। आने जाने वाले लोग इसके भगवा रंग की वजह से मंदिर समझकर प्रणाम करते थे। अब इसे गुलाबी रंग में रंग दिया गया है।'
चेयरमैन ने ठेकेदार की लापरवाही बताया
जब भगवा रंग की वजह से शौचालय को मंदिर समझने की बात सामने आई तो नगर पालिका के चेयरमैन ने शौचालय का रंग बदलवा दिया। जिससे अब वह शौचालय जैसा दिखाई देने लगा है। नगर पालिका के चेयरमैन रामकिशोर ने कहा कि, इस टॉयलेट का निर्माण एक साल पहले करवाया गया था। लेकिन ठेकेदार की लापरवाही की वजह से इसका रंग भगवा कर दिया गया। जिससे लोग धोखे से मंदिर समझकर प्रणाम करने लगे। जब इसकी सूचना मिली तो मैंने इसका निरीक्षण किया और इसका रंग गुलाबी करवा दिया गया है।
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सीएचसी ठेकेदार सादिक ने बताया कि टॉयलेट का निर्माण कराने वाले ठेकेदार ने सरकार के अधिकारियों को खुश करने के लिए इसका रंग भगवा कर दिया था। जिसके बाद लोग इसे मंदिर समझने लगे थे। जब स्थानीय लोगों और पत्रकारों के द्वारा नगर पालिका चेयरमैन को सूचना मिली तो इसे अब गुलाबी करवा दिया गया है।