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Hardoi News: फिर हुई बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से किसानों की बढ़ी धड़कने, 30 फीसदी फसल खराब होने का अनुमान

Hardoi News: प्रशासन की ओर से नुकसान के सर्वे का आदेश दिया गया है। एक-दो दिनों में रिपोर्ट आने की उम्मीद जताई जा रही है।

Pulkit Sharma
Published on: 1 April 2023 9:24 AM GMT
Hardoi News: फिर हुई बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से किसानों की बढ़ी धड़कने, 30 फीसदी फसल खराब होने का अनुमान
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Hardoi Rain (photo: social media )

Hardoi News: हरदोई मार्च महीने में तीसरी बार बारिश तथा ओलावृष्टि से फसलों को भारी क्षति पहुंची है। हजारों किसानों की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है। ऐसे में शुक्रवार और शनिवार को बारिश से किसानों की मुसीबत और बढ़ गई है। प्रशासन की ओर से नुकसान के सर्वे का आदेश दिया गया है। एक-दो दिनों में रिपोर्ट आने की उम्मीद जताई जा रही है।

करीब 32 फीसदी गेहूं, जौ, आलू, चना, मटर व सरसों की फसलें प्रभावित हुईं हैं। आम के पेड़ों में लगे बौर भी गिर गए हैं। रबी और तिलहन की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। जिले में 3.54 लाख हेक्टेयर भूमि पर फसलों की बुआई होती है। इस बार करीब 3.14 लाख हेक्टेयर रकबे में गेहूं की बुआई हुई है। सभी फसलें पकने की कगार पर हैं। किसान फसलों के पकने का इंतजार कर रहा था, लेकिन आंधी-बारिश और ओले गिरने से फसल चौपट हो गई है।

आम व गेहूं की फसल को हुआ भारी नुक़सान

बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से किसानों की तैयार गेहूं की फसल व आम का बोर काफी प्रभावित हुआ है। किसान कुदरत की मार से काफी आहत है। रवी की फसल गेहूं पूरी तरह से तैयार थी, कटाई आरंभ हो गई थी, दिन-रात कई महीनों से मेहनत के बाद किसानों की फसल तैयार हो गई थी। फसल कटकर घर आने से पहले कुदरत की मार ने किसानों को तगड़ी चोट पहुंचाई है।

ओलावृष्टि इतनी भयंकर हुई कि राह से गुजरने वाले राहगीर ओले गिरने के कारण चुटहिल हुए हैं। कुदरत की मार से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। किसानों के सामने परिवार के भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया है। हरदोई में कछौना, बिलग्राम, शहर आदि कई जगह पर ओलावृष्टि की सूचनाएं है। कुछ जगह ज्यादा हुई तो कुछ जगह कम। अनुमान के अनुसार जहां जहां ओलावृष्टि हुई है उन किसानों की फसल 30% तक प्रभावित हुई है।

क्या बोले जानकार

डीडी कृषि डॉ. नंद किशोर का कहना है कि औसतन एक एकड़ में 22 से 24 क्विंटल गेहूं का पैदावार होता है, तो वो घटकर 18 से 20 क्विंटल ही रह जाएगा। इसके अलावा गेहूं की पुआल का बनने वाला भूसा भी मटमैला हो जाएगा।

नवंबर से लेकर मार्च-अप्रैल तक होने वाली गेहूं की फसल में ये असमय बारिश काफी नुकसानदायक है। इस समय गेहूं की बाली में दाना पड़ चुका है। ये दानों के पकने का सीजन है। बारिश और आंधी से गेहूं गिरने पर दाना मजबूत नहीं होगा। इससे गेहूं की पैदावार पर असर पड़ेगा। गेहूं का दाना काला पड़ जाएगा और हल्का हो जाएगा।

Pulkit Sharma

Pulkit Sharma

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