TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

कोरोना ने छीना हजारों बैंड बाजे वालों का रोजगार, आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार

लगभग 5 हजार बैंडबाजा वालों के परिवार के सामने आर्थिक तंगी मुह फैलाये खड़ी है। कोरोना काल मे लॉकडाउन के कारण इनका व्यवसाय ठप हो गया है, जिससे ये व्यवसाई परेशान हैं।

Newstrack
Published on: 30 Aug 2020 7:37 PM IST
कोरोना ने छीना हजारों बैंड बाजे वालों का रोजगार, आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार
X
कोरोना ने छीना हजारों बैंड बाजे वालों का रोजगार, आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार

हरदोई: लगभग 5 हजार बैंडबाजा वालों के परिवार के सामने आर्थिक तंगी मुह फैलाये खड़ी है। कोरोना काल मे लॉकडाउन के कारण इनका व्यवसाय ठप हो गया है, जिससे ये व्यवसाई परेशान हैं। मार्च में हुए लॉकडाउन के बाद से अभी तक उनका व्यवसाय बंद है। जिससे उनके परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। बच्चों की शिक्षा, भोजन आदि में परेशानी आ रही है। उनके पास अन्य कोई रोजगार नहीं है और न ही शासन से कोई आर्थिक मदद ही मिली है। उन्होंने कहा कि उन लोगों को अपना व्यवसाय शुरू करने की अनुमति दी जाए।

ये भी पढ़ें: भारतीय जंगी जहाज: चीन-पाकिस्तान की हुई हालत खराब, सीमा पर मजबूत हमारा देश

लॉकडाउन ने बैंड बाजे का कारोबार बन्द कर दिया

शादियों के सीजन में लॉकडाउन ने बैंड बाजे का कारोबार बन्द कर दिया है। जिससे न सिर्फ बैंडबाजा व्यवसाई बल्कि इससे जुड़े श्रमिक भी बेरोजगार हो गए हैं और अब ऐसे में वह भुखमरी के कगार पर पहुंच गए है। दरअसल एक बैंड बाजा व्यवसाई के साथ करीब 30 से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। शादी समारोहों में बैंडबाजे की वजह से इन लोगों का भरण पोषण होता है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते बैंड बाजा संचालक बेरोजगार हो गए है। हर साल गर्मी में शादियों के सीजन में बैंड बाजा संचालकों को रोजगार मिल जाता था। इस बार लॉकडाउन और कोरोना वायरस के कहर से शादियों में इसका कोई काम ही नही बचा है।

file photo

ये भी पढ़ें: खतरे में अस्तित्व: दुर्लभ जनजाति विलुप्ति के कगार पर, जानें कैसे पहुंचा कोरोना

खाने के लाले पड़ गए

ऐसे में संचालकों और बैंडबाजा बजाने वालों ने बताया शादियों के सीजन में मेहनत करके जैसे-तैसे परिवार का भरण पोषण करते थे इस साल परेशानी बढ़ गई है।बैंड संचालकों और कलाकारों ने बताया कि अब सालभर के लिए व्यवस्था होना तो दूर तत्काल खाने के लाले पड़ गए हैं। सभी बैंड कलाकारों और मालिकों ने प्रशासन से आर्थिक सहायता की मांग की है। उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन को बैंड बाजा संचालकों और बैंड बजाने वालों की समस्या को देखते हुए सहयोग करना चाहिए।

file photo

शादियों की सीजन के साथ ही तमाम अन्य प्रकार के मांगलिक कार्यक्रम हुआ करते थे जैसे मुंडन दिवाई संस्कार आदि। इन कार्यक्रमों में भी बैंड बाजे का चलन बहुत था और तमाम लोग इससे भी अपनी रोजी रोटी का जुगाड़ कर लेते थे। लेकिन इस बार मांगलिक कार्यक्रमों के साथ धार्मिक आयोजन भी नही हो रहे है जिससे यह व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया है और बैंड बाजे वालों के ठेले घास में खड़े खड़े कबाड़ में तब्दील होते जा रहे है। बैंडबाजे वालों के दिल मे एक डर और भी है कि अगर यह ठेले खराब हो गए थे तो इन्हें दुबारा सही कराने में भी पैसे ही खर्च करने है।

रिपोर्ट: मनोज तिवारी

ये भी पढ़ें: भारतीय सेना के जाबाज सोफी और विदा, जिनकी वीरता से थर-थर कांपे आतंकी



\
Newstrack

Newstrack

Next Story