हाथरस पीड़िता की अस्थियां: 3 दिन बाद परिवार ने बटोरी, विसर्जन को लेकर रखी ये शर्त

मीडिया की एंट्री के बाद दलित युवती के परिजन चिता स्थल पर जाने को राजी हुए। अस्थियां लेने के बाद पीड़िता के भाई ने अस्थियां प्रवाहित करने की शर्त रखी।

Shivani
Published on: 3 Oct 2020 5:15 PM GMT
हाथरस पीड़िता की अस्थियां: 3 दिन बाद परिवार ने बटोरी, विसर्जन को लेकर रखी ये शर्त
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अंशुमान तिवारी

लखनऊ। हाथरस की दलित बिटिया के जबरन अंतिम संस्कार के तीन दिन बाद परिजन उसकी चिता से अस्थियां लेने पहुंचे। गैंगरेप की शिकार हुई दलित युवती की मौत के बाद पुलिस व प्रशासन की ओर से संगीनों के साए में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। आधी रात के समय किए गए जबरन अंतिम संस्कार में युवती का कोई भी परिजन मौजूद नहीं था। अब अंतिम संस्कार के तीन दिन बाद परिवार के सदस्यों ने चिता स्थल पर पहुंचकर युवती की हस्तियां बटोरीं।

तीन दिनों से पूरी तरह कैद था परिवार

हाथरस के चंदपा इलाके के बुलगढ़ी गांव पिछले 3 दिनों से पुलिस ने काफी सख्ती कर रखी थी और गांव में मीडिया और विभिन्न सियासी दलों के प्रतिनिधियों की एंट्री पर बैन लगा दिया गया था। मामले की एसआईटी जांच के नाम पर परिवार को भी घर में कैद कर दिया गया था और परिजनों के बाहर निकलने और किसी से बातचीत करने पर पाबंदी लगा दी गई थी।

इस मामले को लेकर काफी बवाल होने के बाद शनिवार को गांव में मीडिया को एंट्री करने की इजाजत मिली और कांग्रेस नेता राहुल और प्रियंका भी परिजनों से मिलने के लिए पहुंचे।

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फांसी की सजा के बाद प्रवाहित होंगी अस्थियां

शनिवार को मीडिया को एंट्री की इजाजत दिए जाने के बाद दलित युवती के परिजन चिता स्थल पर जाने को राजी हुए। बहन की अस्थियां लेने के बाद भाई ने कहा कि इन अस्थियों को तब तक प्रवाहित नहीं किया जाएगा जब तक इस मामले में शामिल आरोपियों को फांसी की सजा नहीं मिल जाती।

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आश्वासन देकर चले गए अफसर

चिता स्थल से लौटने के बाद भाई का कहना था कि दो वरिष्ठ अधिकारी परिजनों से मिलने आए थे और उनकी ओर से जो सवाल पूछे गए उनका जवाब उन्हें दे दिया गया है। हमने इन अफसरों को अपनी शिकायतें बता दी हैं मगर दूसरे लोगों की तरह ये अफसर भी सिर्फ आश्वासन देकर चले गए।

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दलित युवती के भाई ने यह भी कहा कि मेरे हाथ में जो अस्थियां है, मुझे नहीं पता कि वह किसकी हैं। इसका कारण यह है कि अंतिम समय में हमें बहन का चेहरा भी देखने की इजाजत नहीं दी गई थी।

आखिरी समय बहन का चेहरा तक नहीं दिखाया

अंतिम संस्कार के समय प्रशासन के रवैए पर नाराजगी जताते हुए पीड़िता के भाई ने कहा कि प्रशासन के अधिकारियों ने आिखरी बार हमें बहन का चेहरा देखने तक की इजाजत नहीं दी। प्रशासन ने इसके पीछे पोस्टमार्टम का बहाना बनाया जबकि हॉस्पिटल में तो हम ही बहन की देखभाल कर रहे थे।

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भाई ने कहा कि मेरी बहन को लावारिस समझकर पेट्रोल डालकर उसके शव को जला दिया गया। प्रशासन के इस कदम से पूरे परिवार को काफी धक्का पहुंचा है। ‌

अफसरों ने सुनी पीड़ित परिवार के शिकायत

इस बीच प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बुलगढ़ी पहुंचकर पीड़ित परिवार के साथ करीब आधे घंटे तक बातचीत की। दोनों अफसरों ने परिवार को हर शिकायत दूर करने का आश्वासन दिया। बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए अवनीश अवस्थी ने कहा कि शुक्रवार को एसआईटी की पहली रिपोर्ट मिलने के तत्काल बाद सरकार की ओर से कार्रवाई की गई है और इस मामले में एसपी, सीओ और इंस्पेक्टर समेत पांच लोगों को निलंबित कर दिया गया है।

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शिकायतें दूर करने का आश्वासन

उन्होंने कहा कि मामले की एसआईटी जांच चल रही है और परिवार वालों ने जो चीजें हमें नोट कराई हैं, हमने परिजनों को उन सभी शिकायतों को दूर करने और उन्हें एसआईटी की जांच के दायरे में लाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि गांव में प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था आगे भी बनी रहेगी और जो जनप्रतिनिधि यहां आना चाहेंगे, उन्हें पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत होगी।

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सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो जांच

अब इस पूरे मामले में सरकार की ओर से सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी गई है मगर पीड़िता की भाभी का कहना है कि पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए।

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पीड़िता‌ की भाभी ने कहा हम सभी का नारको टेस्ट में कराने की बात की जा रही है जबकि नारको टेस्ट तो डीएम का होना चाहिए। हम तो शुरुआत से ही इस मामले में सच बोल रहे हैं। पीड़िता की भाभी ने मांग की कि पूरे मामले की जांच निष्पक्ष होनी चाहिए ताकि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।

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