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नियमित स्वीकृत पदों की संविदा नियुक्तिों पर कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि नियमित स्वीकृत पदों पर सर्विस प्रोवाइडर कम्पनियों के जरिये संविदा पर कर्मचारी क्येां नियुक्त किये जा रहे है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 13 साल पहले ही इस प्रकार की जाने वाली नियुक्तियों पर आपत्ति जतायी थी।

Aditya Mishra
Published on: 23 Nov 2019 1:40 PM GMT
नियमित स्वीकृत पदों की संविदा नियुक्तिों पर कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
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विधि संवाददाता

लखनऊ: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि नियमित स्वीकृत पदों पर सर्विस प्रोवाइडर कम्पनियों के जरिये संविदा पर कर्मचारी क्येां नियुक्त किये जा रहे है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 13 साल पहले ही इस प्रकार की जाने वाली नियुक्तियों पर आपत्ति जतायी थी। कोर्ट ने अगली सुनवायी 27 नवंबर को नियत की है।

यह आदेश जस्टिस एम एन भंडारी व जस्टिस वी के श्रीवास्तव की बेंच ने मेसर्स आर एम टेक्नो सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया।

याचिका पर सुनवायी के बाद कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में सरकार को निर्देश दिया है कि यदि याची के मामले में नियमित स्वीकृत पदेां पर सर्विस प्रोवाइडर कम्पनी के जरिये संविदा कर्मचारियेां की नियुक्ति का मामला है तो उन पदेां पर अगली सुनवायी तक संविदा पर कर्मचारी नियुक्त नहीं किये जायेगें।

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रजिस्ट्रेशन को बहाल करने की मांग

याची का कहना था कि 25 अक्टूबर 2019 को बतौर सेवा प्रदाता कम्पनी के उसका रजिस्ट्रेशन सरकार ने रद कर दिया है। याची ने सरकार के आदेश केा रद उसके रजिस्ट्रेशन को बहाल करने की मांग की है।

याचिका पर सुनवायी के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि न केवल याची बल्कि अन्य कई सेवा प्रदाता कम्पनियेां का रजिस्टे्रशन रद किया है ताकि एकरूप नियमावली बनायी जा सके और सेवा प्रदाता कम्पनियों द्वारा संविदा पर कर्मचारियों की नियुक्ति में एकरूपता लायी जा सके।

सुनवायी के दौरान केार्ट के संज्ञान में आया कि नियमित स्वीकृत पदेां के सापेक्ष भी सर्विस प्रोवाइडर कम्पनियेां के जरिये संविदा पर कर्मचारियों की नियुक्ति हो रही है । इस पर कोर्ट ने वर्ष 2006 में उमा देवी के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश का संज्ञान लिया कि

सरकार को तदर्थ नियुक्तियां नहीं करनी चाहिए और यह कि अगले 6 माह में तदर्थ नियुक्तियों से मुक्ति पा ली जाये। उक्त आदेश का संज्ञान लेेेते हुए बेंच ने राज्य सरकार से पूंछ लिया है कि नियमित स्वीकृत पदेां पर नियमित नियुक्तियां क्यों नहीं की जा रही हैं। कोर्ट ने कहा कि जब तक स्पष्टीकरण नहीं आ जाता याची के मामले में सरकार सेवा प्रदाता कम्पनी के जरिये संविदा पर कर्मचारी नहीं नियुक्त करेगी।

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