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एक क्लिक में पढ़ें, लाहाबाद हाईकोर्ट की आज की बड़ी ख़बरें

कोर्ट ने सरकार को 27 नवम्बर तक हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है तथा सरकार से वह नोटिंग दिखाने को कहा है जिसके आधार पर उन दोनों सदस्यों की योग्यता का आकलन कर आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्ति की गई।

SK Gautam
Published on: 20 Nov 2019 4:31 PM GMT
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इलाहाबाद हाईकोर्ट

आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति योग्यता को चुनौती

राज्य सरकार से कोर्ट ने पूछा- शिक्षा क्षेत्र में योगदान के आंकलन का क्या है मानक

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग प्रयागराज के दो सदस्यों डा. हरवंश व डा.कृष्ण कुमार क्या नियुक्ति योग्यता रखते है और सरकार ने किस मापदंड पर इनके शिक्षा के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान का आंकलन किया है। कोर्ट ने सरकार को 27 नवम्बर तक हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है तथा सरकार से वह नोटिंग दिखाने को कहा है जिसके आधार पर उन दोनों सदस्यों की योग्यता का आकलन कर आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्ति की गई।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खण्डपीठ ने प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति व अन्य की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

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याची अधिवक्ता आलोक मिश्र का कहना है कि दोनों विपक्षी सदस्य,10 वर्ष तक प्राचार्य का कार्य करने की निर्धारित अर्हता नही रखते। ऐसे में आयोग के सदस्य के रूप में इनकी नियुक्ति अवैध है इस कारण इसे रद्द किया जाय। जबकि राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि डा. हरवंश प्रोफेसर रहे है और डा.कृष्ण कुमार एसोसिएट प्रोफेसर रहे है। इनके रिसर्च पत्रिकाओं में छपे है।

ये प्रख्यात शिक्षाविद् है। जिस पर कोर्ट ने यह पूछा कि किस मानक पर यह आंकलन किया गया कि ये प्रख्यात शिक्षाविद् रहे है। आयोग की तरफ से अधिवक्ता बी.एन. सिंह ने पक्ष रखा। अगली सुनवाई 27 नवम्बर को होगी।

ईंट बनाने में 25 फीसदी फ्लाई ऐश का प्रयोग न करने पर कोर्ट सख्त

प्रमुख सचिव पर्यावरण व मेरठ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को अवमानना नोटिस

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव पर्यावरण उत्तर प्रदेश एवं क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मेरठ को अवमानना नोटिस जारी किया है और 4 हफ्ते में स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने कहा कि क्यों न कोर्ट के आदेश की अवहेलना के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई की जाए। प्रदेश में ईट भट्ठों द्वारा ईट, टाइल्स या ब्लाक बनाने में मिट्टी में फ्लाई ऐश का इस्तेमाल न करने को लेकर दाखिल अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने उत्कर्ष पवार की अवमानना याचिका पर दिया है। मालूम हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुमित सिंह व अजय कुमार मिश्र की जनहित याचिकाओं पर प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार की 14 सितंबर 1999 को जारी अधिसूचना का पालन करने का निर्देश दिया था। जिसके तहत थर्मल पावर प्लांट के 300 किमी क्षेत्र में सभी ईट भट्ठा मालिकों को आदेश दिया गया है कि ईंट बनाने के लिए मिट्टी में 25 प्रतिशत फ्लाई ऐश का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करें।

ऐसा आदेश बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए जारी किया गया और राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया गया है कि प्रमुख सचिव पर्यावरण की अध्यक्षता में एक माॅनिटरिंग कमेटी बनाए जो निगरानी करे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गाजियाबाद के जिला अधिकारी को आदेश दिया कि थर्मल पावर के 300 किलोमीटर के दायरे में जितने भी ईट भट्ठे हैं, उन्हें मिट्टी में 25 प्रतिशत फ्लाई ऐश का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से मिलाने का निर्देश जारी करें। 2012 मे सरकार ने नियम भी बना दिया, फिर भी प्रदेश में इसे कड़ाई से पालन नहीं कराया जा रहा है।

जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया है और प्रमुख सचिव पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मेरठ के क्षेत्रीय अधिकारी को पक्षकार बनाते हुए आदेश का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। याचिका में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली के सदस्य सचिव प्रशांत भार्गव पर भी आदेश के पालन न करने का आरोप लगाया गया है।

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प्राइमरी स्कूल टीचरों से गैर शैक्षणिक कार्य न लिया जायः हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य न लिए जाएं। कोर्ट ने इस संबंध में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 का पालन करने का निर्देश दिया है। बरेली के मदन गोपाल और 8 अन्य सहायक अध्यापकों की याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने सुनवाई की।

याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता का कहना था कि जिला प्रशासन याचीगण टीचरों से बूथ लेवल अफसर और दूसरे गैर शैक्षणिक कार्य लिए जा रहे है जो कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 के विपरीत है।

धारा 27 में कहा गया है कि किसी भी अध्यापक की ड्यूटी राष्ट्रीय आपदा, जनगणना और लोकसभा व विधानसभा चुनाव के अतिरिक्त गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाई जाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी सुनीता शर्मा और अन्य के केस में अध्यापकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लेने का आदेश दिया है।

इसके बावजूद अधिकारी इन अध्यापकों की गैर शैक्षणिक कार्यों में ड्यूटी लगा रहे हैं। कोर्ट ने याची गण को निर्देश दिया है कि वह आदेश की प्रति के साथ संबंधित अधिकारी को अपना प्रत्यावेदन दें तथा संबंधित अधिकारी उपरोक्त वैधानिक व्यवस्थाओं के आलोक में निर्णय लें और इसके विपरीत किसी भी अध्यापक से कार्य न लिया जाए।

30 जून को सेवानिवृत्त हुए दरोगाओं को एक साल का नोशनल इन्क्रीमेंट देने पर निर्णय लेने का निर्देश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 जून 2018 एवं 30 जून 2019 को सेवानिवृत्त हुए पुलिस उप निरीक्षकों को एक वर्ष का नोशनल इंक्रीमेंट दिए जाने के संबंध में राज्य सरकार को 4 माह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचियो को इंक्रीमेंट पाने का वैधानिक अधिकार है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने अजय कुमार त्रिवेदी व 13 अन्य की याचिका पर दिया है।

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याचीगण आगरा, इटावा, कानपुर आदि जिलों से उपनिरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। याची अधिवक्ता का कहना था कि दो याची 30 जून 2018 को सेवानिवृत्त हुए हैं। जिन्हें 1 जुलाई 2017 से 30 जून 2018 तक नोशनल इंक्रीमेंट पाने का हक है।

शेष 30 जून 2019 को सेवानिवृत्त हुए हैं, जिन्हें 1 जुलाई 18 से 30 जून 19 तक का नोशनल इंक्रीमेंट पाने का हक है। जिसे सरकार द्वारा देने से इनकार किया जा रहा है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा है कि याचीगण नोशनल इंक्रीमेंट पाने के हकदार हैं और इस संबंध में 4 माह में सकारण निर्णय लिया जाए।

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