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हाईकोर्ट का फैसला, 3 महीने से ज्यादा बरकरार नहीं रखा सकता निलंबन आदेश

हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध निलम्बन आदेश के सम्बंध में नियमों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ पारित निलम्बन आदेश को तीन महीने से अधिक बरकरार नहीं रखा जा सकता है।

Dharmendra kumar
Published on: 14 April 2019 4:22 PM GMT
हाईकोर्ट का फैसला, 3 महीने से ज्यादा बरकरार नहीं रखा सकता निलंबन आदेश
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लखनऊ: हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध निलम्बन आदेश के सम्बंध में नियमों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ पारित निलम्बन आदेश को तीन महीने से अधिक बरकरार नहीं रखा जा सकता है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन तीन महीनों के दौरान यदि आरोपी कर्मचारी को आरोप पत्र न दिया गया तो निलम्बन का आदेश स्वतः समाप्त हो जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वह इस आदेश के अनुपालन में सभी विभागों को निर्देश जारी करें कि निलम्बन आदेश पारित करते समय आवश्यक प्रावधानों का ख्याल रखा जाए।

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यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने राम रतन की ओर से दाखिल एक सेवा याचिका पर पारित किया। याचिका में कहा गया था कि सचिवालय प्रशासन विभाग में कार्यरत याची पर लगे कतिपय आरोपों के बाद विभाग ने उसे प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए 4 दिसम्बर 2018 को निलम्बित कर दिया था। याची की दलील थी कि चार महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद न तो उसे आरोप पत्र दिया गया है और न ही विभागीय जांच प्रारम्भ की गई।

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इस पर कोर्ट ने 11 अप्रैल को सरकार से जवाब मांगा। जिसके जवाब में अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह ने 11 अप्रैल का ही विभाग का एक आदेश प्रस्तुत करते हुए जांच अधिकारी की नियुक्ति व आरोप पत्र प्रेषित करने की जानकारी कोर्ट को देते हुए निलंबन आदेश केा सही ठहराने की कोशिश की।

सरकारी वकील के तर्को केा नकारते हुए कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के निलम्बन सम्बंधी निर्णयों के आलोक में प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए कहा कि निलम्बन आदेश के बाद चार माह बीतने के बाद आरोप पत्र प्रेषित किया गया व जांच अधिकारी की नियुक्ति की गई। कोर्ट ने इसे नियमों का उल्लंघन करार दिया।

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कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने व निलम्बन आदेश के साथ ही जांच अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए थी। विभाग द्वारा ऐसा न कर के नियमों की अनदेखी की गई। कोर्ट ने याची के खिलाफ पारित 4 दिसम्बर 2018 के निलम्बन आदेश को खारिज कर दिया। केार्ट ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव केा भेजने का निर्देश देते हुए उनसे कहा कि विभागों से सुनिश्चित करायंे कि निलंबन आदेश पारित करते समय नियमों का ध्यान रखें।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

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