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UP में IAS अफसर के अजीब बहाने, नहीं दे रहे संपत्ति का ब्यौरा, प्रमोशन में परेशानी

यूपी के 78 IAS अफसरों ने साल 2018 के लिए और करीब 68 ने 2019 के लिए अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा ऑनलाइन नहीं दिया है। वहीं इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने दोनों ही साल के लिए संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है।

Shreya
Published on: 13 Jan 2021 2:56 PM IST
UP में IAS अफसर के अजीब बहाने, नहीं दे रहे संपत्ति का ब्यौरा, प्रमोशन में परेशानी
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UP में IAS अफसर के अजीब बहाने, नहीं दे रहे संपत्ति का ब्यौरा, प्रमोशन में परेशानी

लखनऊ: केंद्र सरकार ने हर साल आईएएस अधिकारियों (IAS Officers) के लिए अपनी अचल संपत्ति (Immovable property) का ब्यौरा देना अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत अधिकारी को स्वयं से कमाई संपत्ति, उत्तराधिकार के रूप में पाई गई प्रॉपर्टी व परिवार के किसी सदस्य या अन्य के लिए ली गई संपत्ति का ब्योरा देना होता है। इस बीच उत्तर प्रदेश के सौ से ज्यादा IAS अधिकारी अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे रहे हैं। दरअसल, राज्य सरकार IPR को प्रमोशन (Promotion) से जोड़ने का विचार कर रही है।

केंद्र ने राज्य सरकार को दी जानकारी

बता दें कि प्रावधान यह है कि अगर ऑनलाइन आईपीआर दाखिल ना किया गया हो तो फिर संबंधित को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए इम्पैनल यानी सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा और ना ही उसे विजिलेंस क्लीयरेंस दी जाएगी। इसके बाद भी यूपी के 78 IAS अफसरों ने साल 2018 के लिए और करीब 68 ने 2019 के लिए अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा ऑनलाइन नहीं दिया है। वहीं इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने दोनों ही साल के लिए संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है। वहीं कई रिटायर हो चुके हैं। केंद्र ने राज्य सरकार को इस बारे में सूचित किया है।

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ias officers (फोटो- सोशल मीडिया)

प्रमोशन के समय आईपीआर का भी संज्ञान

मामले में एक सीनियर IAS अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने अधिकारियों द्वारा आईपीआर दाखिल ना करने के मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने बताया कि तय सीमा तक ACR ना होने पर कई अधिकारियों के प्रमोशन स्थगित कर दिए गए। अब प्रमोशन के समय आईपीआर का भी संज्ञान लेने पर विचार किया जा रहा है। इससे IPR ना दाखिल करने वाले अधिकारी की पदोन्नति अटक जाएगी।

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कई कारण और बहाने

बता दें कि आईपीआर दाखिल ना करने के पीछे अधिकारी कई कारण और बहाने बनाते हैं-

कई का कहते हैं कि आईपीआर भरने की अवधि में वो शासकीय कार्य से बिजी थे, इसलिए आईपीआर ऑफलाइन भेजा है।

कई अधिकारी यह कहते हैं कि पूर्व में दाखिल आईपीआर के बाद उनकी संपत्ति बढ़ी ही नहीं।

वहीं एक यह भी कारण है कि केवल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के इम्पैनलमेंट के लिए आईपीआर अनिवार्य है। प्रमोशन पर इसका असर नहीं पड़ा। जिन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं जाना होता है, वे रुचि नहीं लेते।

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