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अतिक्रमण करने वाले धार्मिक स्थलों का चिन्हीकरण, राजधानी लखनऊ में ही 160

उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग की ओर से जारी किए गए निर्देश में यह कहा गया है कि एक जनवरी 2011 और उसके बाद से सड़कों के किनारे धार्मिक स्थल के तरह का कोई निर्माण कराया गया है तो उसे फौरन हटा दिया जाए।

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Published on: 13 March 2021 6:32 AM GMT
अतिक्रमण करने वाले धार्मिक स्थलों का चिन्हीकरण, राजधानी लखनऊ में ही 160
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अतिक्रमण करने वाले धार्मिक स्थलों का चिन्हीकरण, राजधानी लखनऊ में ही 160

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सड़कों, गलियों और फुटपाथों के किनारे बने सभी धार्मिक स्थलों को हटाए जाने के आदेश के बाद इस पर काम शुरू हो गया। राजधानी लखनऊ में ही जिला प्रशासन ने 160 ऐसे धार्मिक स्थलों को चिन्हित किया है जो किसी न किसी तरीके अतिक्रमण पैदा कर रहे हैं। राज्य सरकार के आदेश के अनुसार 2011 के बाद बने धार्मिक स्थलों को सड़क से हटाया जाना है जबकि इससे पहले बने धार्मिक स्थलों को विस्थापित करना है।

धार्मिक स्थलों की सूची

फिलहाल ऐसे धार्मिक स्थलों की सूची बनाई जा रही है। लखनऊ नगर निगम की तरफ से चिन्हित किए गए ऐसे 160 धार्मिक स्थलों की सूची में हजरतगंज कोतवाली के सामने, गन्ना संस्थान डालीबाग, गोखले मार्ग, चिड़ियाघर के सामने, जीपीओ पार्क, बापू भवन, नाका चैराहा, रिवर बैंक कालोनी, मंडलायुक्त कार्यालय के पास, श्रीराम रोड, झंडेवाला पार्क,अमीनाबाद, टंडन रोड, ऐशबाग, रकाबगंज, राजाजीपुरम तथा शाहनजफ रोड प्रमुख हैं।

एक जनवरी 2011 और उसके बाद के धार्मिक स्थल

उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग की ओर से जारी किए गए निर्देश में यह कहा गया है कि एक जनवरी 2011 और उसके बाद से सड़कों के किनारे धार्मिक स्थल के तरह का कोई निर्माण कराया गया है तो उसे फौरन हटा दिया जाए। इतना ही नहीं, शासन की तरफ से कहा गया हैं कि सड़कों (राजमार्गों सहित), गलियों, फुटपाथों, सड़क के किनारों, लेन आदि पर धार्मिक प्रकृति की कोई संरचना निर्माण की अनुमति कतई न दी जाए।

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स्थानांतरित कर दिया जाएगा अथवा उसे हटा दिया जाएगा

शासन की ओर से सभी फील्ड अफसरों को जारी किए गए निर्देशों के मुताबिक, यदि धार्मिक स्थल के तरह की कोई संरचना या निर्माण एक जनवरी 2011 या उसके बाद किया गया हो तो उसे योजना बनाकर संबंधित धार्मिक संरचना के अनुयायियों अथवा इसके प्रबंधन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा प्रस्तावित निजी भूमि (जो उनके समुदाय की होगी) पर छह माह के भीतर स्थानांतरित कर दिया जाएगा अथवा उसे हटा दिया जाएगा।

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