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कोरोना काल का मसीहा: गीतकारों की आवाज़ बना इंजीनियर, म्यूजिक इंडस्ट्री में हड़कंप

लखनऊ निवासी लोकगायक यशलोक भी इस ऐप से लॉकडाउन में जुड़े थे, उनके लिए यह एप अपनी कला को घर बैठे पूरी दुनिया में पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बन गया है।

suman
Published on: 26 Feb 2021 3:43 PM GMT
कोरोना काल का मसीहा: गीतकारों की आवाज़ बना इंजीनियर, म्यूजिक इंडस्ट्री में हड़कंप
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वहीं दूसरी ओर उन्हें अपने आर्थिक संकट को दूर करने का एक इनोवेटिव रास्ता भी मिल गया। पियूष ने बताया कि थोड़े से ही समय में यह ऐप करीब 1.5 लाख से अधिक डाउनलोड हो चूका है

लखनऊ : कोरोना काल समूचे भारत के लिए एक चिंता का विषय रहा है, कोरोना काल में जाने कितनो की नौकरी गयी तो जाने कितनों ने आर्थिक संकट का सामना किया, ऐसे में अगर हम म्यूजिक इंडस्ट्री की बात करें तो वो भी इस संकट से अछूती नहीं रही, जाने कितने ही सिंगर्स की आवाज़ इन संकट काल में फीकी पड़ गयी, लेकिन कहते हैं न कि बुरा वक्त ज्यादा देर तक नहीं टिकता, और इनका बुरा वक्त दूर करने का बेडा उठाया एक इंजीनियर ने।

अब तक 1.5 लाख से अधिक डाउनलोड

लखनऊ के आईआईटियन ने एक ऐसा ऐप बनाया जिसने म्यूजिक इंडस्ट्री में एक नयी क्रांति आ गयी। पीयूष ने इस ऐप का नाम 'बाजा' रखा है, इतना ही नहीं आज इस ऐप के जरिये आप तक़रीबन 3000 से अधिक लोक गायकों की आवाज़ को सुना जा सकता है। पीयूष सिंह ने बताया कि उन्होंने ये महसूस किया कि पूरे कोरोना काल में बहुत से लोगों की नौकरी चली गयी और सबसे ज्यादा अगर कोई इंडस्ट्री प्रभावित रही तो वो थी। म्यूजिक इंडस्ट्री और हमारे देश में लोकगीतों को लेकर कोई ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म नहीं है जो लोक गायकोंं की आवाज़ को पूरी दुनिया में पहुंचा सके। बस तभी बाजा एप बनाकर तैयार कर दिया। उम्मीद है कि ये ऐप हमारे लोकगीतों को दुनिया के कोने कोने तक पहुचायेगा।

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अब तक 1.5 लाख से अधिक डाउनलोड

दिल्ली आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले पीयूष की मानें तो देश में करीब 18 हज़ार लोक भाषाएं हैं और हर भाषा की दो से तीन शैलियों में लोकगीत गाए जाते हैं। ऐसे घर बैठे जहां एक ओर लोकगायकों को एक बड़ा प्लेटफार्म मिला तो वहीं दूसरी ओर उन्हें अपने आर्थिक संकट को दूर करने का एक इनोवेटिव रास्ता भी मिल गया। पियूष ने बताया कि थोड़े से ही समय में यह ऐप करीब 1.5 लाख से अधिक डाउनलोड हो चुका है

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लोकगायकों की पहली पसंद बन गया है बाजा ऐप

देश के अलग-अलग राज्यों से बड़ी संख्या में लोकगायक इस एप से जुड़ रहे हैं। लखनऊ निवासी लोकगायक यशलोक भी इस ऐप से लॉकडाउन में जुड़े थे, उनके लिए यह एप अपनी कला को घर बैठे पूरी दुनिया में पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बन गया है। इस एप के जरिये वह आठ से दस हज़ार प्रतिमाह की कमाई भी कर पा रहे हैं।

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यूपी के सुल्तानपुर जनपद के भदोइयां गांव निवासी बिरहा गायक महेंद्र यादव ने बताया कि वह लॉकडाउन के दौरान इस एप से जुड़े थे। अब तक इस एप के माध्यम से बीस से पच्चीस गाने गा चुके हैं। उन्हें इस एप की मदद से हर महीने घर बैठे लोकगीत गाकर चार से पांच हज़ार की कमाई हो रही है।

आशुतोष त्रिपाठी

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