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मस्जिद के लिए मिली जमीन पर हो खेती, सुन्नी वक्फ़ बोर्ड से नहीं कोई संपर्क: अंसारी
रौनाही के धनीपुर क्षेत्र में मुस्लिम समाज को 5 एकड़ जमीन दी गई है। अब बाबरी के एक अन्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया दी है
नई दिल्ली: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में मुस्लिम समाज को भी 5 एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए दी जानी थी। फैसले के अनुसार रौनाही के धनीपुर क्षेत्र में मुस्लिम समाज को जमीन दी गई है। मुस्लिम पक्षकारों ने इस जमीन को लेने से इनकार करते हुए इसका विरोध किया। मुस्लिम पक्षकारों द्वारा विरोध करने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड आगे आया और उसने रौनाही की जमीन को स्वीकार करने का फैसला किया।
अब सुन्नी वख्फ़ बोर्ड मस्जिद निर्माण से पहले ट्रस्ट बनाने की कवायद शुरू करेगा। माना जा रहा है कि सुन्नी वख्फ़ बोर्ड जल्द ही ट्रस्ट की घोषणा कर सकता है। लेकिन दूसरी तरफ बाबरी के एक अन्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अभी कोई ट्रस्ट नहीं बना है। सुन्नी वख्फ़ बोर्ड के चेयरमैन न ही किसी का फोन उठा रहे हैं और न किसी से बात कर रहे हैं।
हम अयोध्या में ज़मीन चाहते थे
इकबाल अंसारी ने कहा हमने अयोध्या में जमीन की मांग की थी और अगर अयोध्या में हमको जमीन मिलती तो हमारी उस पर स्कूल धर्मशाला और अस्पताल का निर्माण करवाने की चाहत थी। हमने 70 सालों का विवाद समाप्त किया है। पूरी दुनिया ने हमारी और सुप्रीम कोर्ट की बात का सम्मान किया। अंसारी ने कहा कि धनीपुर की जमीन को वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने स्वीकार किया है। वह क्या करते हैं? अभी हम से कोई बात नहीं हुई है। उनका मोबाइल ही बंद रहता है। हम चाहते हैं कि अब कोई विवाद भी न रहे।
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मिली जमीन खेती योग्य
इकबाल अंसारी ने रौनाही क्षेत्र में मिली ज़मीन पर कहा कि जो जमीन मुस्लिम समाज को दी गई है, वह कृषि की जमीन है। वह खेती योग्य जमीन है। अंसारी ने कहा इस जमीन पर खेती कराई जाए और उससे जो अनाज उपजे उसको गरीबों में बांट दिया जाए।
ट्रस्ट के निर्माण पर बोलते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि अभी तक ट्रस्ट का निर्माण नहीं हुआ है। ट्रस्ट में हमको रखा जाए या न रखा जाए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दी गई जमीन पर वही काम होगा, जिससे कि पूरे हिंदुस्तान के लोगों का फायदा हो। हमारी बातों से सहमत हैं तो ठीक और नहीं तो फिर इसका विरोध ट्रस्ट को झेलना पड़ेगा।
हमने हिंदू मुस्लिम में सौहार्द बनाया
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इकबाल अंसारी ने बताया कि 5 मार्च को सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक है। हमें इसमें नहीं बुलाया गया है। 70 वर्ष यह मामला चला है और इन 70 वर्षों में अयोध्या के 5 पक्षकार थे। उन पांच ने ही सब कुछ झेला है। सुन्नी वक्फ बोर्ड तो 1961 में आया है। अब सुन्नी वख्फ़ बोर्ड क्या करता है? यह बाद में देखा जाएगा। इकबाल अंसारी ने कहा कि ट्रस्ट में हमको जगह नहीं मिलती है तो हमें एतराज नहीं है। हमने हिंदू और मुसलमान में जो सौहार्द बना दिया है, वह सदैव बना रहेगा।