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'हीलिंग सेल्फ थ्रू सेल्फ रियलाइजेशन': बी. के.शिवानी ने डॉक्टरों के सामने रखे विचार

स कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर (प्रमुख सचिव, चिकित्सा) डा० रजनीश दुबे ने बी.के.शिवानी के इस कार्यक्रम को एक उत्सव बताते हुए संस्कृति के देश भारत में रोगों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई।

Shivakant Shukla
Published on: 17 March 2019 4:47 AM GMT
हीलिंग सेल्फ थ्रू सेल्फ रियलाइजेशन: बी. के.शिवानी ने डॉक्टरों के सामने रखे विचार
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शाश्वत मिश्रा

लखनऊ: शनिवार को शहर में चौक स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में 'हीलिंग सेल्फ थ्रू सेल्फ रियलाईजेशन' नाम का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें डॉक्टरों का मनोबल और इस मुद्दे पर बात करने के लिए शिव की वाणी कही जाने वाली 'ब्रह्माकुमारी शिवानी' उपस्थित रही। कार्यक्रम की शुरूआत बी. के. शिवानी को पुष्पगुच्छ देकर व द्वीप प्रज्ज्वलित कर की गई।

इन्होंने इस मौके पर कहा- चिकित्सा कर्म भी है तो सेवा भी, उपचार हाथ और मुख द्वारा किया जाता है जिसका उद्देश्य होता है, रोगी को शारीरिक रूप से स्वस्थ करना, पर सेवा का अर्थ है मरीज को न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ करना लेकिन उसे मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी सशक्त और संतुष्ट करना। सेवा का निहितार्थ ही है देना और यह देने का कार्य तभी संभव है जब देने वाले की मानसिक स्थिति श्रेष्ठ हो।'

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बी. के. शिवानी ने आगे चिकित्सकों को आइना दिखाते हुए कहा-'कि वे स्वयं से पूंछे कि वे कितनी सेवा करते हैं? अथवा स्थूल धन का उपार्जन ही लक्ष्य है, उन्होंने कहा कि जब रोगी डाक्टर के पास आता है तो बीमार और दर्द में होता है, उसके परिवारजन भी परेशान रहते हैं। ऐसे में डाक्टर का इलाज़, व्यवहार और बोली रोगी को कितना सुकून देती है इसका ध्यान रखना चाहिए, ताकि वे संतुष्ट होकर जायें और मुख से दुआयें ही निकाले।'

आगे इन्होंने कहा-'कि प्रश्नचित्त रहने वाले कभी प्रसन्नचित्त नहीं हो सकते, डाक्टर भी चेक करें कि वे प्रश्नों से घिरे तो नहीं रहते ? उन्होंने सुझाव दिया कि चिकित्सक दिन भर में कम से कम एक घंटा स्वयं मनःस्थिति की चेकिंग करने के लिए निकालें और उसे सशक्त बनायें ताकि कार्य का तनाव , मरीजों का व्यवहार या ऐसी कोई भी परस्थिति उनको प्रभावित न कर सके, केवल तभी मरीज की वास्तविक एवं सम्पूर्ण चिकित्सा संभव है।'

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इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर (प्रमुख सचिव, चिकित्सा) डा० रजनीश दुबे ने बी.के.शिवानी के इस कार्यक्रम को एक उत्सव बताते हुए संस्कृति के देश भारत में रोगों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई। वहीं (के.जी.एम.यू., वीसी) डा० प्रोफ़ेसर एम० एल० बी० भट्ट ने कहा- 'कि आज के तानवपूर्ण माहौल में जहाँ जीवन असुक्षित हो चला है, में कम्पैशन और सेल्फ रियलाईजेशन की आवश्यकता है जिसका मार्ग अध्यात्म से मिलता है।

इस कार्यक्रम का संयोजन डा० विनोद जैन (डीन पैरा मेडिकल विभाग) एवं सफल संचालन डा.भूपेन्दर सिंह के द्वारा सम्पन्न हुआ।

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