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UP में दो साल से नहीं मिला चिकित्सा प्रतिपूर्ति भत्ता, कर्मचारियों में नाराजगी
कर्मचारियों की चिकित्सा में व्यय होने वाले मद की ग्रुपिंग में यूपी के वित्त विभाग द्वारा गलत रूप से फेरबदल किए जाने के कारण वित्तीय वर्ष 2018-19 से कर्मचारियों के चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाखों रूपये का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
लखनऊ: कर्मचारियों की चिकित्सा में व्यय होने वाले मद की ग्रुपिंग में यूपी के वित्त विभाग द्वारा गलत रूप से फेरबदल किए जाने के कारण वित्तीय वर्ष 2018-19 से कर्मचारियों के चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाखों रूपये का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
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महामंत्री अतुल मिश्रा ने कहा
यह आरोप लगाते हुए उप्र.राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने कहा कि अधिकांश कर्मचारी मार्च 2020 माह में भुगतान की आस लगाये थे, परन्तु बजट कम आवंटित होने, कैशलेस के नाम पर बजट की कटौती होने तथा मानक मद वेतन, मंहगाई भत्ता तथा अन्य भत्ते के ग्रुप से चिकित्सा प्रतिपूर्ति सम्बन्धी मद 49-चिकित्सा व्यय को अलग कर दिये जाने के कारण भुगतान पूरा नहीं हो पा रहा है।
जबकि पूर्व प्रचलित व्यवस्था के तहत उक्त चारों मद एक ही ग्रुप में थे, जिससे कि एक ही ग्रुप के किसी भी मद में धनराशि कम होने पर दूसरे मद की धनराशि उपयोग कर ली जाती थी। पर, पिछले वित्तिय वर्ष में शासनादेश मदों के समूहों में संशोधन कर चिकित्सा मद 49 को अलग कर दिया गया साथ ही उक्त मद में जो बजट आवंटित होता था उसमें से कटौती कर कैशलेस इलाज के लिए सुरक्षित कर दिया गया ।
परिषद के प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा
परिषद के प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि कर्मचारियों के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा आज तक मात्र कार्ड बन कर रह गई, प्रारम्भ भी नहीं हो पाई और शासन के इस तरह के तुगलकी फरमान से कर्मचारी को न तो कैशलेश इलाज की सुविधा मिली बल्कि जो सुविधा पूर्व से प्राप्त हो रही थी, वो भी मकड़जाल में फंसकर रुक गई। इस फेरबदल से वित्तीय वर्ष के अन्त में कर्मचारियों का लाखों रुपये का चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों का भुगतान रूक गया है, जिससे कर्मचारी अपने वेतन का अधिकांश हिस्सा खुद व परिवार के इलाज पर व्यय कर रहा है।
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अतुल मिश्रा ने कहा कि एक ओर तो चिकित्सा प्रतिपूर्ति का भुगतान नहीं हो रहा है और दूसरी ओर शासन ने राजकीय चिकित्सालयों में दवाओं के लोकल परचेज पर भी रोक लगा दी है, ऐसे में कर्मचारियों मे रोष व्याप्त होना स्वभाविक है। उन्होंने बताया कि परिषद ने इस समस्या के सम्बन्ध में तत्कालीन मुख्य सचिव से वार्ता भी हुई थी, जिस पर उन्होंने पूर्व की स्थिति बहाल करने का आश्वासन भी दिया था, लेकिन अभी तक कोई अपेक्षित कार्यवाही संभव नही हो पाई। मिश्रा ने बताया कि उन्होंने एक बार फिर मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र लिख कर अनुरोध किया है।
मनीष श्रीवास्तव
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