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भारत में पहली बार ऐसा: कोरोना मरीज का पोस्टमार्टम, सामने आएंगी ये जानकारियां

भोपाल एम्स ने रिसर्च के लिए कोरोना से संक्रमित की डेडबॉडी का पोस्टमार्टम किया है। बता दें कि ऐसा देश में पहली बार हुआ है, जब किसी कोरोना संक्रमित मरीज के शव का पोस्टमार्टम किया गया हो।

Shreya
Published on: 18 Aug 2020 5:16 AM GMT
भारत में पहली बार ऐसा: कोरोना मरीज का पोस्टमार्टम, सामने आएंगी ये जानकारियां
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Bhopal AIIMS

भोपाल: कोरोना वायरस महामारी के दौर में संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेसिंग बहुत ज्यादा आवश्यक हो चली है। कोरोना मरीज से किसी भी परिजन को मिलने नहीं दिया जा रहा और ना ही किसी संक्रमित मरीज की कोविड से मौत होने पर उसका शव परिजनों को सौंपा जाता है। इस बीच भोपाल एम्स (Bhopal AIIMS) ने कोरोना पर रिसर्च करने का एक अलग तरीका ढूंढ निकाला है।

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संक्रमित की डेडबॉडी का पोस्टमार्टम

जी हां, भोपाल एम्स ने रिसर्च के लिए कोरोना से संक्रमित की डेडबॉडी का पोस्टमार्टम किया है। बता दें कि ऐसा देश में पहली बार हुआ है, जब किसी कोरोना संक्रमित मरीज के शव का पोस्टमार्टम किया गया हो। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वाररस के संक्रमण के चलते शरीर के अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव की भी जांच की जाएगी। ICMR से मंजूरी मिलने के बाद Bhopal AIIMS में डॉक्टरों ने एक मृतक के परिजनों से इस रिसर्च के लिए पोस्टमार्टम की अनुमति मांगी।

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डॉक्टरों ने रिसर्च के लिए परिजनों से मांगी अनुमति

डॉक्टरों ने 58 वर्षीय एक मरीज की मौत के बाद मरीज के परिजनों से इसके लिए अनुमति मांगी। परिजनों की सहमति के बाद बीते रविवार को पोस्टमार्टम किया गया है। रविवार को पहली डेडबॉडी का चार विभागों के सहयोग से पोस्टमार्टम कर जानकारी एकत्रित की गई। देश में कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद रिसर्च के लिए पोस्टमार्टम करने का यह पहला मामला है।

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सांकेतिक फोटो

ICMR ने मांगी गई थी अनुमति

मिली जानकारी के मुताबिक, ICMR से शव से रिसर्च करने के लिए अनुमति मांगी गई थी। पहले तो ICMR ने डॉक्टरों के संक्रमित होने की संभावना के चलते अनुमति देने से इनकार कर दिया, लेकिन जब हॉस्पिटल की तरफ से एडवांस डाइसेक्शन रूम और इंफेक्सन रोकने के लिए किए गए प्रबंधों की जानकारी विस्तृत रूप से भेजी गई तो ICMR ने रिसर्च करने की अनुमति दे दी।

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इन डॉक्टरों ने निभाई अहम भूमिका

पहले रिसर्च वर्क में फॉरेंसिक मेडिसिन के चार डॉक्टरों की अहम भूमिका रही। साथ ही माइक्रोबाइलॉजी, क्रिटिकल केयर, पैथोलॉजी के विशेषज्ञों की टीम ने मिल कर करीब डेढ़ घंटे तक रिसर्च के लिए ये पोस्टमार्टम किया। डॉक्टरों के अनुसार रिसर्च के लिए कुल दस कोरोना संक्रमित मरीजों के पोस्टमार्टम किए जाएंगे। भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉ. सरमन सिंह ने बताया कि ICMR की इजाजत के बाद ये रिसर्च शुरू किया गया है।

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रिसर्च में इन सवालों का मिलेगा जवाब

उन्होंने बताया कि मरीज के शव से कोरोना वायरस की शरीर में मौजूदगी और अंगों पर पड़े असर का रिसर्च किया जा रहा है। रिसर्च पूरी होने के बाद ही रिसर्च संबंधित पूरी जानकारी शेयर कर पाएंगे। कुछ मूल बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर्स रिसर्च करने में जुटे हुए हैं। माना जा रहा है कि इस रिसर्च से संक्रमित होने के बाद शरीर के दिल, दिमाग, फेफडों सहित दूसरे अंगों पर वायरस से पड़ने वाले असर के बारे में पता चल सकेगा। साथ ही यह भी पता चलेगा कि शरीर के किन अंगों पर इसका कितना प्रभाव पड़ता है।

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