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Dhan Singh Gurjar: जेल में आग लगाकर छुड़ा लिए थे 800 कैदी, कौन थे अंग्रेजों का कत्लेआम करने वाले धनसिंह गुर्जर
Dhan Singh Gurjar News: देश को आजाद कराने में मेरठ के कोतवाल धनसिंह गुर्जर के योगदान को नहीं भूलाया जा सकता है। जिन्होंने अंग्रेजों का कत्लेआम करते हुए ब्रिटिश जेल में बंद 800 से ज्यादा बंदियों को छुड़वाया था।
Dhan Singh Gurjar News: भारत की स्वतंत्रता के आंदोलन की पहली चिंगारी 1857 में फूटी थी और इसकी पहली तपिश मेरठ में दिखी थी। उस क्रांति के जननायकों में मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहेब पेशवा, तांत्या टोपे और बहादुरशाह जफर जैसे लोगों के नाम लिए जाते हैं। लेकिन कुछ गुमनाम नायक भी थे, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया था। ऐसे ही एक नायक मेरठ के कोतवाल रहे धन सिंह गुर्जर भी थे। 1857 की क्रांति के दौरान धन सिंह गुर्जर मेरठ के सदर बाजार थाने के कोतवाल थे।
कोतवाल रहते कभी क्रांतिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की
देश को आजाद कराने में मेरठ के कोतवाल धनसिंह गुर्जर के योगदान को नहीं भूलाया जा सकता है। जिन्होंने अंग्रेजों का कत्लेआम करते हुए ब्रिटिश जेल में बंद 800 से अधिक बंदियों को छुड़वाया था। यही नहीं क्रांति के समय अंग्रेज अफसरों के आदेश के बावजूद धनसिंह ने क्रांतिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। इस दौरान धन सिंह कोतवाल ने अपनी जान पर खेलकर क्रांतिकारियों को अहम सूचनाएं भी पहुंचाई। इसीलिए अंग्रेज सरकार ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई। मेरठ का गांव पांचली खुर्द आज भी 1857 की क्रांति का एक स्मारक है। इसी गांव में धन सिंह गुर्जर का जन्म 27 नवंबर 1814 को हुआ था।
चर्बी लगे कारतूसों का विरोध करने वाले 85 सैनिकों का दिया साथ
जब 10 मई 1857 को मेरठ से आजादी की पहली लड़ाई की शुरुआत हुई थी। उनकी अगुवाई में विद्रोही सैनिकों ने अग्रेजों के विरुद्ध जो कदम उठाया। वह चिंगारी देश में अंग्रेजों के खिलाफ आग के रूप में फ़ैल गई थी। दरअसल, 9 मई को चर्बी लगे कारतूसों का विरोध करने वाले 85 सैनिकों का कोर्ट मार्शल कर जेल भेजा गया था। इसके बाद 10 मई की सुबह मेरठ के सदर बाजार थाने के कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने सैनिकों का पक्ष लेते हुए भीड़ जुटानी शुरू कर दी। दस मई की शाम को जब अंग्रेज अफसर कर्नल जोंस फिनिस ने भीड़ को रोकने का प्रयास किया तो भीड़ ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया। यहीं से आंदोलन की शुरुआत हो गई।
अंग्रेजी हुकूमत ने धन सिंह कोतवाल को बीच सड़क पर दे दी थी फांसी
इतिहासकारों के अनुसार धन सिंह कोतवाल ने अपने पुलिस के जवानों को साथ लिया। अपने गांव पांचली, घाट, गगोल, नूरनगर, चुड़ियाला और अन्य गांवों के लोगों को रात में सदर बाजार बुलाया। रात के दो बजे विक्टोरिया पार्क की जेल पहुंच गए। सबसे पहले उन 85 सैनिकों को छुड़ाया, जिन्हें एक दिन पहले जेल भेजा गया था। उसके बाद जेल के 836 कैदी छुड़ा लिए गए। रात में ही कोर्ट, जेल, तहसील व अंग्रेज अफसरों के कार्यालय तक फूंक दिए गए। बाद में कोतवाल धन सिंह पर क्रांति भड़काने के आरोप लगे। 4 जुलाई 1857 को अंग्रेज अफसर खाकी रिसाले ने कोतवाल के गांव में तोपों से हमला कराया। 400 से ज्यादा ग्रामीण मारे गए, 40 को फांसी दी गई। धन सिंह कोतवाल को भी छावनी के बाहर बीच सड़क पर फांसी पर लटकाया गया।