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रेलवे की शर्मनाक हरकत, स्ट्रेचर न मिलने से परिजनों ने गोद में उठाया शव
बाराबंकी के रेलवे स्टेशन पर एक ऐसा नजारा देखने को मिला जिसने रेलवे विभाग की लापरवाही को उजागर करने के साथ-साथ मानवता को भी शर्मशार किया है। यहां एक लड़की के शव को ले जाने के लिए स्ट्रेटर नहीं मिली।
बाराबंकी: बाराबंकी के रेलवे स्टेशन पर एक ऐसा नजारा देखने को मिला जिसने रेलवे विभाग की लापरवाही को उजागर करने के साथ-साथ मानवता को भी शर्मशार किया है। यहां एक लड़की के शव को ले जाने के लिए स्ट्रेटर नहीं मिली जिसकी वजह से परिजनों को शव को गोद उठाकर एंबुलेंस तक ले जाना पड़ा। रेलवे की लापरवाही की तस्वीरें कैमरे में कैद हो गई हैं।
बाराबंकी रेलवे प्रशासन अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए इधर-उधर के तर्क दे रहा है। रेलवे प्रशासन की यह लापरवाही केंद्र की मोदी सरकार द्वारा रेल यात्रियों को बड़ी-बड़ी सुविधाएं दिए जाने के दावे की पोल खोल रहा है।
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मृतक लड़की के परिजनों के मुताबिक सभी संतकबीरनगर के खलीलाबाद से बांद्रा एक्सप्रेस से मुंबई जा रहे थे। तभी अचानक रास्त में बहराइच जिले के जरवल रेलवे स्टेशन पर परिवार की सदस्य चांदनी गुप्ता (24) की तबियत खराब हो गयी। चांदनी की खराब हालत की जनाकरी बाराबंकी के रेलवे स्टेशन को दी गई कि वहां पर रेलवे प्रशासन इस परिवार की मदद करेगा और यही नियम भी है। मगर इस परिवार ने खुद फोन कर रेलवे प्लेटफार्म के बाहर एंबुलेंस मंगवाई, लेकिन प्लेटफाॅर्म से एम्बुलेंस तक चांदनी को ले जाने के लिए स्ट्रेचर रेलवे ने नहीं दी। थक हार कर यह परिवार चांदनी गुप्ता के शव को ट्रेन से किसी तरह रेलवे प्लेटफार्म पर उतारा, मगर वहां भी उनकी सहायता को न तो स्ट्रेचर मिला और न ही रेलवे की ओर से कोई अधिकारी या कर्मचारी उनकी मदद को आया। मजबूर होकर वह लोग कुछ लोगों की मदद से चांदनी के शव को गोद में उठा कर बाहर एम्बुलेन्स तक लाये।
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चांदनी गुप्ता के बहनोई जितेन्द्र गुप्ता ने बताया कि जब वह चांदनी को लेकर बाराबंकी के जिला अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने उनसे बताया कि चांदनी की मौत काफी पहले हो चुकी है। जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि वह लोग संतकबीरनगर के खलीलाबाद से मुम्बई के लिए घर से निकले थे। मगर बहराइच जनपद के जरवल रेलवे स्टेशन पर उनके साथ यात्रा कर रही उनकी साली चांदनी की हालत बिगड़ने लगी। चांदनी की हालत देखकर उन्होंने रेलवे की मदद से बाराबंकी रेलवे प्रशासन को मैसेज भिजवाया था मगर मैसेज मिलने के बावजूद उनकी मदद को रेलवे का कोई कर्मचारी भी प्लेटफार्म पर या ट्रेन में नही आया। मजबूर होकर उन्हें चांदनी के शव को चादर में लपेटकर कुछ यात्रियों की सहायता से गोद में ही उठाकर बाहर लाना पड़ा जबकि रेलवे विभाग की ओर से उन्हें स्ट्रेचर और उनकी सहायता मिलनी चाहिए थी।
रो रही चांदनी की बहन और जितेन्द्र गुप्ता की पत्नी गुड्डी ने बताया कि चांदनी को ले जाने के लिए उन्होंने खुद अपने फोन से एम्बुलेन्स को प्लेटफार्म के बाहर बुलवाया था। रेलवे प्रशासन की ओर से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। चांदनी को वह लोग खुद चादर में लपेटकर प्लेटफार्म से बाहर गोद में उठा कर लेकर आये और इस काम में उन्हें तीन लोगों की मदद लेनी पड़ी। प्लेटफार्म पर खड़े रेलवे के गार्ड से जब उन्होंने मदद मांगी तो वह भी अभी आने का बहाना बना कर निकल गया।
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बाराबंकी के जिला अस्पताल में मौके पर तैनात डॉक्टर विनायक ने बताया कि चांदनी की अस्पताल पर आने से पूर्व ही मौत हो चुकी थी।
बाराबंकी जंक्शन के स्टेशन मास्टर सतेन्द्र कुमार ने बताया कि कन्ट्रोल द्वारा उन्हें जो सूचना मिली थी वह एक युवक के चोटिल होने की थी जिसे जिला अस्पताल भेजा गया है। जब उनसे चांदनी गुप्ता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उसके बेहोश होने की सूचना मिली थी उसे भी एम्बुलेन्स के माध्यम से अस्पताल भेजा गया है।
स्ट्रेचर न मिलने के कारण पर बगलें झांकते स्टेशन मास्टर ने कहा कि उन लोगों को मेरे आफिस आना चाहिए था तो स्ट्रेचर भी उपलब्ध करवा दिया जाता मगर समय कम था इसलिए उसे उठाकर एम्बुलेन्स तक पहुंचाया गया।