झांसी: अभी ध्यान नहीं दिया तो होंगे विकट हालात, जैव विविधता का करें संरक्षण

आप जिस भूमि में खेती करते हैं वह भूमि आपको विरासत में पूर्वजों से मिली है और आपके बाद उसी भूमि पर आपके बच्चों को खेती करनी है। पर हम अपनी अगली पीढ़ी को विरासत में क्या देकर जाएंगे।

Newstrack
Published on: 14 Dec 2020 9:30 AM GMT
झांसी: अभी ध्यान नहीं दिया तो होंगे विकट हालात, जैव विविधता का करें संरक्षण
X
झाँसी: अभी ध्यान नहीं दिया तो होंगे विकट हालात, जैव विविधता का करें संरक्षण (PC: Social Media)

झांसी: प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन और जैव विविधता को नष्ट करने का परिणाम यह है कि खेती योग्य भूमि अब बंजर होती जा रही है। भूमिगत जल निकालने व मिट्टी में अत्याधिक रसायन मिलाने का परिणाम है कि अब मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा बहुत कम रह गयी है। दूसरे शब्दों में कहें तो खेती की मिट्टी बंजर होती जा रही है। इसका शीघ्र उपचार नहीं किया गया तो हालात बहुत ज्यादा खराब हो जाएंगे। खेती करने की जमीन जब बंजर हो जायेगी। ऐसे में खेती तो क्या धरती पर वनस्पति देखने को हम तरस जाएंगे।

ये भी पढ़ें:बंगाल हमलावरों का खेल खत्म, BJP नेता चलेंगे इस कार से, मिली Z श्रेणी की सुरक्षा

हमने तो खेती का पूरा स्वरूप ही बदल दिया है

आप जिस भूमि में खेती करते हैं वह भूमि आपको विरासत में पूर्वजों से मिली है और आपके बाद उसी भूमि पर आपके बच्चों को खेती करनी है। पर हम अपनी अगली पीढ़ी को विरासत में क्या देकर जाएंगे। हमने तो खेती का पूरा स्वरूप ही बदल दिया है। बैल व परम्परागत खादों पर आधारित खेती की जगह ट्रैक्टर व रसायनों पर आधारित खेती ने ली है। खेती में रसायनों के बहुत ज्यादा प्रयोग से मिट्टी से सूक्ष्म जीव, खेती के मित्र कीट जिनमें केंचुआ, तितली, मधुमक्खी समाप्त से हो गये। जाने अनजाने हम भूमि की उर्वरता का, भूगर्भ जल का एवं जैव विविधता दोहन कर रहे हैं। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन देखकर तो यह लगता है कि हमारे बाद अगली पीढ़ी इस भूमि पर खेती नहीं कर पाएगी।

आज पढ़े लिखे लोग आपको आधुनिक कृषि तकनीक एवं उत्पादन बढ़ाने का लालच देकर आपकी गाढ़ी कमाई का पैसा लूटकर जहां आपको गरीब बना रहे हैं वहीं आपके प्राकृतिक संसाधनों को खराब कर रहे हैं। पढ़े लिखे लोग किसानों की गाढ़ी कमाई का पैसा तभी लूट सकते हैं जब-आपकी भूमि की उर्वरता गिर जाए, आपकी भूमि के नीचे का जल स्तर नीचे चला जाये और खेत की जैव विविधता नष्ट हो जाये।

जब खेत की उर्वरता गिरेगी तभी रसायनिक उर्वरकों की मांग बढ़ेगी

क्योंकि जब खेत की उर्वरता गिरेगी तभी रसायनिक उर्वरकों की मांग बढ़ेगी। जब जैव विविधता नष्ट होगी तभी फसल सुरक्षा रसायनों की मांग बढ़ेगी। जब जल स्तर नीचे जाएगा तभी बोरिंग, समर्सबिल जैसे उपकरण बिकेंगे। जब फसलों की उत्पादकता बढ़ेगी तभी कृषि उपज सस्ते दामों पर बिकेगी।

वहीं दूसरी ओर रसायनों के निर्माण एवं बिक्री में लगे लोगो की दलील है कि-रासायनिक उर्वरक नहीं प्रयोग होंगे तो फसलों की पैदावार गिर जाएगी। फसल सुरक्षा रसायनों का प्रयोग नहीं होगा तो कीट /व्याधियां फसलों को खा जाएंगी। नगदी फसलें नहीं बोई जाएंगी तो किसान को पैसा कहां से मिलेगा।

भूमि बंजर हो गई तो खेती कहाँ की जाएगी

उपरोक्त बातें सही लगती हैं किन्तु यह सच्चाई से कितने दिन छिपाकर रखी जायेगी कि यदि भूमि बंजर हो गई तो खेती कहाँ की जाएगी। यदि भूगर्भ जल समाप्त हो गया तो पीने का पानी कहाँ से आएगा। यदि जहर मिला भोजन खाकर बीमार हो गए इलाज कौन करेगा। यदि जैव विविधता नष्ट हो गयी तो प्रकृति का सिस्टम कैसे चलेगा। इसलिए सावधान हो जाएं और आने वाली पीढ़ियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रकृति की व्यवस्था को बिगड़ने से बचाने के प्रयास प्रारंभ करें।

ये भी पढ़ें:गलती मां-बेटी की पड़ी भारी, घर लाई थीं ये अनोखी चीज से हुआ ब्लास्ट

हमें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग धीरे-धीरे कम कर फसलों के अवशेष तथा पशुओं के मलमूत्र से जैविक खाद बनाने का काम प्रारम्भ करना होगा। नगदी फसलों का लालच छोड़कर दलहनी तिलहनी एवं मोटे अनाज की फसलों की खेती प्रारम्भ करना होगा। फसल सुरक्षा रसायनों का प्रयोग एकदम से बन्द करना होगा ताकि तितली, मधुमक्खी, चिड़ियां, केंचुआ वापस आकर फसलों को कीट एवं व्याधियों से बचा सकें। हो सकता है कि यह उपाय करने से उत्पादन थोड़ा घट जाए परंतु फिर भी उपज का सही मूल्य मिलेगा।

रिपोर्ट- बी.के.कुशवाहा

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story