TRENDING TAGS :
BSNL कर्मी को भुगतान मामले में औद्योगिक ट्रिब्यूनल का आदेश गलतः हाईकोर्ट
कोर्ट ने बीएसएनएल इटावा को 3 माह में मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति बी अमित स्थालेकर ने मेसर्स भारत संचार निगम लि. की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता बी.के.एस. रघुवंशी ने बहस की।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दैनिक वेतन पर 1997 से 1999 तक ड्राइवर के रूप में काम कर चुके बीएसएनएल कर्मी को बकाया वेतन भुगतान करने के औद्योगिक न्यायाधिकरण के आदेश को अवैध करार दिया है। किंतु अधिकरण द्वारा कर्मी की विधवा को 25 हजार मुआवजा देने के आदेश को बढ़ाते हुए 50 हजार रूपये का भुगतान पाने का हकदार माना है।
ये भी देखें :गजब! भारत की पहली महिला, तैनात हुई रूस के भारतीय दूतावास में
कोर्ट ने बीएसएनएल इटावा को 3 माह में मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति बी अमित स्थालेकर ने मेसर्स भारत संचार निगम लि. की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता बी.के.एस. रघुवंशी ने बहस की।
मालूम हो कि रवीन्द्र कुमार मिश्र ने दैनिक वेतन पर ड्राइवर के रूप में कार्य किया। 12 फरवरी 99 को हटा दिया गया जिसे अधिकरण में चुनौती दी गयी। अधिकरण ने बकाया वेतन सहित विधवा नीलम मिश्रा को 25 हजार मुआवजा देने का आदेश दिया। इसे याचिका में चुनौती दी गयी थी।
ये भी देखें : UPPCS इंटरव्यू में पूछा, आजम पर कितने केस दर्ज?, जानें क्या-क्या थे सवाल
कोर्ट ने कहा कि बर्खास्तगी अवैध घोषित होने मात्र से कर्मी बकाया वेतन पाने का हकदार नहीं हो जाता। अधिकरण ने धारा-25 के अंतर्गत सेवासमाप्ति को अवैध माना था। कोर्ट ने बकाया वेतन देने को सही नहीं माना।