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जल सत्याग्रह/ गांव में प्रत्याशियों और नेताओं का प्रवेश किया वर्जित

 ग्रामीणों का जल सत्याग्रह, ग्रामीणों ने लोक सभा चुनाव में वोट से किया बहिष्कार, ग्रामीणों ने प्रत्याशियों का गाँव में प्रवेश किया वर्जित, दो चरण के चुनाव समाप्त हो गए है।

Vidushi Mishra
Published on: 19 April 2019 11:03 AM GMT
जल सत्याग्रह/ गांव में प्रत्याशियों और नेताओं का प्रवेश किया वर्जित
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गोरखपुर: ग्रामीणों का जल सत्याग्रह, ग्रामीणों ने लोक सभा चुनाव में वोट से किया बहिष्कार, ग्रामीणों ने प्रत्याशियों का गाँव में प्रवेश किया वर्जित, दो चरण के चुनाव समाप्त हो गए है।

जहां एक ओर जिला प्रशासन के साथ चुनाव आयोग मतदातो को लेकर शक्त नजर आती है, और करोणों रूपये खर्च करती है, वही दुसरी तरफ गोरखपुर जिला प्रशासन के नाक के निचे तकरीबन 5 हजार के आस पास चार गाँव के लोगो ने वोट से बहिष्कार कर दया है, इनके जल सत्याग्रह और वोट के बहिष्कार के खबर और उनके द्वारा अपने आशियाने को बचाने की पूरी खबर दिखायेगा।

हर साल बाढ़ की विभीषिका से गांव को बचाने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस और एनडीआरएफ की टीम जी-जान लगा देती है, लेकिन, बांध को बचाने लिए प्रशासन पांच गांव की 10 हजार लोगों की आबादी को प्रभावित करने से गुरेज नहीं कर रहा है, नदी की धारा को मोड़कर गांव के बीच से ले जाने के प्रयास में पांच गांव नदी में समा जाएंगे, ऐसे में इन गांव के लोगों ने जलसत्‍याग्रह कर विरोध जताया है।

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इसके साथ ही गांव में प्रत्‍याशियों का प्रवेश भी वर्जित कर दिया है, गांव के लोगों ने लोकसभा चुनाव में वोट का भी बहिष्‍कार कर दिया है |

गोरखपुर के बेलीपार इलाके के करजहीं गांव के पूर्व प्रधान ओम प्रकाश शुक्‍ला ने बताया कि पांच गांव के 10 हजार की ‘ब्राह्मण’ आबादी नदी की धारा मोड़ने से प्रभावित हो रही है, वहीं 50 हजार मतदाता और लाखों की आबादी वोट का बहिष्‍कार करने के लिए उनके साथ है।

उन्‍होंने बताया कि जिलाधिकारी और अवर अभियंता से उन्‍होंने इसका कारण पूछा था, तो उन्‍होंने बताया कि गौर बरसाइत बंधा उसे बचाने के लिए सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने इस योजना को लाया है, उन्‍होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों ने सीएम को भी गुमराह किया है, उन्‍होंने कहा कि जो बंधा आजादी के पहले का है, और आज तक नहीं कटा है, उसे बचाने के लिए पांच गांव को तबाह किया जा रहा है ।

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छह दिन से जल सत्‍याग्रह कर रहे ओम प्रकाश शुक्‍ला ने बताया, कि आसपास के गांव में ऐसे बंधे हैं, जिन पर हर साल खतरा रहता है, लेकिन, उसे बचाने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है, छोटी बाढ़ और हल्‍की बारिश में भी वे बंधे खतरे में पड़ जाते हैं, हमारे लिए रोजगार, बिजली, पानी और अन्‍य मूलभूत सुविधाएं देने की बजाय सरकार नदी खन के कौन सा रोजगार ला रही है, ये समझ में नहीं आता है।

उन्‍होंने आरोप लगाया कि प्रापर्टी डीलरों, भू-माफियाओं की प्रशासनिक अधिकारियों से मिलीभगत से ये साजिश रची जा रही है. उन्‍होंने कहा कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती है, वे जल सत्‍याग्रह करते रहेंगे और नदी में समावेशित हो जाएंगे.

गांव के रहने वाले निक्‍कू यादव, रविशंकर शुक्‍ल, धनेश शुक्‍ल और संदीप शुक्‍ला बताते हैं कि नदी के बीच में होने के कारण वे दूसरे छोर के खेत को वे लोग जोत नहीं पाते हैं। ऐसे में वे लोग खुद ही परेशान हैं,क्‍योंकि तीन गांव के बीच से होकर नदी जाती है। वहीं जब गांव के बीच से नदी जाएगी, तो वे लोग बर्बाद हो जाएंगे।

उन्‍होंने बताया कि छह दिन से ये जल सत्‍याग्रह चल रहा है।उन्‍होंने कहा कि जान दे देंगे। लेकिन, नदी को गांव के बीच से होकर नहीं ले जाने देंगे। प्रद्दुम्‍न शुक्‍ला ने कहा कि नदी की धारा मोड़ने से उनका गांव बर्बाद हो जाएगा। जब वे रह नहीं जाएंगे, तो मतदान क्‍या करेंगे।

इस संबंध में जिलाधिकारी के. विजयेन्‍द्र पाण्डियन ने बताया कि योजना को फिलहाल चुनाव तक रोक दिया गया है। इसके बाद वे गांव के लोगों से बात करेंगे और उसके बाद उसका हल निकालने का प्रयास करेंगे। फिलहाल इस योजना का क्रियान्‍वयन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।

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अब भले ही जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता को देखते हुए अभी काम को रोकवा दिया है, और चुनाव बाद देखने की बात कह रही है, लेकिन ग्रामीणों का मनना है, कि उन्हें लिखित जिला प्रशासन के तरफ से चाहिए, तभी उनका ये प्रदर्शन समाप्त होगा, नहीं तो ये सत्याग्रह चलता रहेगा, और ये सभी वोटर वोट से बहिष्कार करने को मजबूर होंगे।

ग्रामीणों का जल सत्याग्रह, ग्रामीणों ने लोक सभा चुनाव में वोट से किया बहिष्कार, ग्रामीणों ने प्रत्याशियों का गाँव में प्रवेश किया वर्जित, जी हां दो चरण के चुनाव समाप्त हो गए है, जहां एक ओर जिला प्रशासन के साथ चुनाव आयोग मतदातो को लेकर शक्त नजर आती है, और करोणों रूपये खर्च करती है, वही दुसरी तरफ गोरखपुर जिला प्रशासन के नाक के निचे तकरीबन 5 हजार के आस पास चार गाँव के लोगो ने वोट से बहिष्कार कर दया है, इनके जल सत्याग्रह और वोट के बहिष्कार के खबर और उनके द्वारा अपने आशियाने को बचाने की पूरी खबर दिखायेगा।

हर साल बाढ़ की विभीषिका से गांव को बचाने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस और एनडीआरएफ की टीम जी-जान लगा देती है, लेकिन, बांध को बचाने लिए प्रशासन पांच गांव की 10 हजार लोगों की आबादी को प्रभावित करने से गुरेज नहीं कर रहा है।

नदी की धारा को मोड़कर गांव के बीच से ले जाने के प्रयास में पांच गांव नदी में समा जाएंगे, ऐसे में इन गांव के लोगों ने जलसत्‍याग्रह कर विरोध जताया है, इसके साथ ही गांव में प्रत्‍याशियों का प्रवेश भी वर्जित कर दिया है, गांव के लोगों ने लोकसभा चुनाव में वोट का भी बहिष्‍कार कर दिया है |

गोरखपुर के बेलीपार इलाके के करजहीं गांव के पूर्व प्रधान ओम प्रकाश शुक्‍ला ने बताया कि पांच गांव के 10 हजार की ‘ब्राह्मण’ आबादी नदी की धारा मोड़ने से प्रभावित हो रही है, वहीं 50 हजार मतदाता और लाखों की आबादी वोट का बहिष्‍कार करने के लिए उनके साथ है।

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उन्‍होंने बताया कि जिलाधिकारी और अवर अभियंता से उन्‍होंने इसका कारण पूछा था, तो उन्‍होंने बताया कि गौर बरसाइत बंधा उसे बचाने के लिए सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने इस योजना को लाया है, उन्‍होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों ने सीएम को भी गुमराह किया है, उन्‍होंने कहा कि जो बंधा आजादी के पहले का है, और आज तक नहीं कटा है, उसे बचाने के लिए पांच गांव को तबाह किया जा रहा है ।

छह दिन से जल सत्‍याग्रह कर रहे ओम प्रकाश शुक्‍ला ने बताया, कि आसपास के गांव में ऐसे बंधे हैं, जिन पर हर साल खतरा रहता है, लेकिन, उसे बचाने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है, छोटी बाढ़ और हल्‍की बारिश में भी वे बंधे खतरे में पड़ जाते हैं, हमारे लिए रोजगार, बिजली, पानी और अन्‍य मूलभूत सुविधाएं देने की बजाय सरकार नदी खन के कौन सा रोजगार ला रही है।

उन्‍होंने आरोप लगाया कि प्रापर्टी डीलरों, भू-माफियाओं की प्रशासनिक अधिकारियों से मिलीभगत से ये साजिश रची जा रही है।उन्‍होंने कहा कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती है, वे जल सत्‍याग्रह करते रहेंगे और नदी में समावेशित हो जाएंगे।

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गांव के रहने वाले निक्‍कू यादव, रविशंकर शुक्‍ल, धनेश शुक्‍ल और संदीप शुक्‍ला बताते हैं कि नदी के बीच में होने के कारण वे दूसरे छोर के खेत को वे लोग जोत नहीं पाते हैं। ऐसे में वे लोग खुद ही परेशान हैं. क्‍योंकि तीन गांव के बीच से होकर नदी जाती है। वहीं जब गांव के बीच से नदी जाएगी, तो वे लोग बर्बाद हो जाएंगे।

उन्‍होंने बताया कि छह दिन से ये जल सत्‍याग्रह चल रहा है। उन्‍होंने कहा कि जान दे देंगे। लेकिन, नदी को गांव के बीच से होकर नहीं ले जाने देंगे। प्रद्दुम्‍न शुक्‍ला ने कहा कि नदी की धारा मोड़ने से उनका गांव बर्बाद हो जाएगा। जब वे रह नहीं जाएंगे, तो मतदान क्‍या करेंगे।

इस संबंध में जिलाधिकारी के. विजयेन्‍द्र पाण्डियन ने बताया कि योजना को फिलहाल चुनाव तक रोक दिया गया है। इसके बाद वे गांव के लोगों से बात करेंगे और उसके बाद उसका हल निकालने का प्रयास करेंगे।फिलहाल इस योजना का क्रियान्‍वयन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी |

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अब भले ही जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता को देखते हुए अभी काम को रोकवा दिया है, और चुनाव बाद देखने की बात कह रही है, लेकिन ग्रामीणों का मनना है, कि उन्हें लिखित जिला प्रशासन के तरफ से चाहिए, तभी उनका ये प्रदर्शन समाप्त होगा, नहीं तो ये सत्याग्रह चलता रहेगा, और ये सभी वोटर वोट से बहिष्कार करने को मजबूर होंगे।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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