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राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस: लखनऊ में कार्यक्रम आयोजित, विशेषज्ञों का लगा जमावड़ा
ऊर्जा विशेषज्ञ सम्पूर्ण विश्व और भारत में ऊर्जा के संरक्षण के लिए बिजली, पेट्रोलियम तेल, डीज़ल, कोयला, जल, कागज आदि के संरक्षण पर चर्चा की।
लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इण्डिया) ने अपनी स्थापना के 100वें वर्ष पूरे होके मौके पर सोमवार को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर एक वेबिनार का आयोजन किया, जिसमें प्रदेश के जाने-माने ऊर्जा विशेषज्ञ एस. के. वर्मा, पूर्व प्रबंध निदेशक, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
इस अवसर पर एस. के. वर्मा ने अपने संबोधन में बताया कि ऐसे आयोजनों का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा की दक्षता और संरक्षण में किए गए कार्यों और उनकी उपलब्धियों को दर्शाना और साथ ही जलवायु परिवर्तन में कमी की दिशा में राष्ट्र के सर्वांगीण प्रयासों के अन्तर्गत समग्र विकास के लिए सतत प्रयासरत रहना है।
ऊर्जा विशेषज्ञ एस. के. वर्मा रहे मुख्य अतिथि
उन्होने कहा कि आज के दिन सम्पूर्ण विश्व और भारत में ऊर्जा के संरक्षण के लिए मुख्य रूप से बिजली, पेट्रोलियम तेल, डीज़ल, कोयला, जल, कागज आदि के संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। इस अवसर पर वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा संरक्षण का कदापि यह तात्पर्य नही है कि हम अपनी आवश्यकताओं को काट कर विद्युत खपत कम करें, बल्कि आवश्यकताओं को बिना बदले ही उचित ढंग से उसका प्रयोग कर उसमें बचत की जाय जिससे ऊर्जा का बिना क्षति के सम्पूर्ण प्रयोग हो सके, ऊर्जा की दक्षता बढ़ाई जा सके और इस प्रकार ऊर्जा में बचत की जा सके।
एस. के. वर्मा ने किया कार्यक्रम को संबोधित
ऊर्जा विशेषज्ञ वर्मा ने विशेष बल देते हुए कहा कि हमारा ध्येय इस प्रकार के आयोजन को मात्र त्यौहार के रूप में न लेकर, बल्कि दैनिक क्रिया कलापों में शामिल करना होगा। उन्होंने बताया कि ऊर्जा संरक्षण के लिए साप्ताहिक जागरूकता कार्यक्रम चलाने होंगे जिसमें स्कूल, माल, हॉस्पिटल, स्टेशन, सरकारी भवनों, शिक्षण संस्थाओं को आगे आना होगा और दिन प्रतिदिन किए जाने वाले सावधानियों को अपने जीवन मे ढालना होगा, तभी इसके बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे।
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ऊर्जा की बचत करें ऐसे
ऊर्जा संरक्षण एक प्रयास है कम से कम ऊर्जा की खपत करने का बिना सेवा में कमी किए। उन्होने आगे बताया कि हम सब निम्नलिखित छोटी छोटी सावधानियाँ बरत कर ऊर्जा संरक्षण में अपना योगदान करके ऊर्जा की बचत के साथ साथ अपने बिजली के बिल में भी काफी कटौती कर सकते हैं:-
जब आवश्यक न हो, बिजली के उपकरण के मेन स्विच ऑफ रखें।
ए.सी. को 25/26 डिग्री तापक्रम पर रखें।
प्रमुख चौराहों पर लाल सिग्नल के समय इंजिन बंद रखें।
साधारण बल्ब/सीएफएल के स्थान पर एलईडी बल्ब का प्रयोग करें।
बिजली की मोटरों, पंखों में नियमित बेयरिंग की ग्रीसिंग करें और कैपेसिटर लगावें।
घरों के खिड़की दरवाजों से ज्यादा प्रकाश की व्यवस्था रखें ।
इस प्रकार की अन्य सावधानी/सलाह भारत सरकार के संस्था ब्यूरो ऑफ एनर्जी इफिशिएंसी (BEE) की वेबसाइट पर भी देखा जा सकता है।
पर्यावरणविद डा. भरतराज सिंह ने रखें विचार
इस अवसर पर देश के जाने-माने पर्यावरणविद डा. भरतराज सिंह ने अपने विचार रखते हुए बताया कि राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाने के उद्देश्य को गम्भीरता से लिया जाना अत्यंत आवश्यक्ता है । मनुष्य अपनी सभ्यता की पायदान पर अग्रसर होते उर्जा की आवश्यकता की आपूर्ति हेतु तरह-तरह के उपायो को अपनाया उदाहरणार्थ जंगलो से लकडी एकत्रित करने से लेकर सूर्य की उर्जा का भी भरपूर उपयोग किया, परंतु आज के विकास की आपाधापी में हने प्रकृति को अधिक नुकसान पहुंचाया है।
विश्व वैश्विक तापमान की बढोत्तरी की चपेट में आया
पृथ्वी के अवयवको का अनापसनाप दोहनकर उर्जा-उत्सर्जन को बढावा दिया। जंगलों से पेडो का कटान कर प्रकृति के नियमों में अधिकाधिक छेड-छाड की है और जिसका परिणाम है कि पूरा विश्व वैश्विक तापमान की बढोत्तरी की चपेट में आकर पर्यावरण अंसंतुलन का शिकार हो गया है और भीषण आपदाओ और महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है ।
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ऊर्जा संरक्षण हेतु जागरूकता फैलाने की जरूरत
यहाँ तक कि मानवता को नष्ट होने का खतरा मडराने लगा है । ऐसे में, राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस को औपचारिकातावश न मनाकर हमें लोगो में ऊर्जा संरक्षण हेतु जागरूकता फैलानी होगी । हम अपने आस-पास के परिस्थितियो (इकोलोगी) को थीक करना होगा और उर्जा के वैकल्पिक स्रोतो जैसे- सौर, पवन, जल आदि का अधिक से अधिक उपयोग करना होगा ।
कार्बन वैकल्पिक सौर ऊर्जा को बढावा देकर पहला देश बना भारत
हमें फक्र होना चाहिये कि भारत ने पर्यावरण में सुधार लाने हेतु 2015 नवम्वर की पेरिस समिति की बैठक में 2 प्रतिशत कार्बन घटाने की पेसकस की थी परंतु विकसित देशो ने इस पर कोई अपनी भूमिका नही निभाई । आज भारत विश्व को दिखा दिया कि 2-3 प्रतिशत कार्बन वैकल्पिक सौर ऊर्जा को बढावा देकर पहला देश बन गया है । भारत में सौर-उर्जा के उत्पादन में तीसरे पायदान पर पहुंच चुका है। यदि कोरोना जैसी आने वाली महामरी से हमें निजात दिलानी है तो ऊर्जा सरक्षण को ब्ढावा देने के साथ-साथ ग्रीन-आडिट कराना अतिआवश्यक है, जिससे हम ग्रीन-गैसो के उपयोग व उत्सर्जन को कम कर सके।
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कार्यक्रम में शामिल रहे ये लोग
कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्टेट सेन्टर के अध्यक्ष आर के त्रिवेदी ने अतिथियों का स्वागत किया। वी.बी.सिंह, नेशनल कौन्सिल मेम्बर एवं कार्यक्रम के संयोजक ने अक्षय ऊर्जा के प्रयोग पर बल दिया जिससे कि हम अपने पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकें। कार्यक्रम का समापन पी.के. चौरसिया, मानद सचिव के धन्यवाद प्रस्ताव से हुआ।
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