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सम्बद्ध प्राइमरी स्कूलों को ग्रान्ट इन एड में शामिल करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वित्तीय सहायता प्राप्त हाई स्कूल व इंटर कॉलेज से सम्बद्ध प्राइमरी स्कूलों को ग्रांट इन एड में शामिल करने का निर्देश दिया है और राज्य सरकार को नीति निर्धारित करने का आदेश दिया है।

Aditya Mishra
Published on: 6 Jun 2019 3:16 PM GMT
सम्बद्ध प्राइमरी स्कूलों को ग्रान्ट इन एड में शामिल करने का निर्देश
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वित्तीय सहायता प्राप्त हाई स्कूल व इंटर कॉलेज से सम्बद्ध प्राइमरी स्कूलों को ग्रांट इन एड में शामिल करने का निर्देश दिया है और राज्य सरकार को नीति निर्धारित करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने 27 अक्टूबर 2016 के शासनादेश के उस उपखण्ड को मनमानापूर्ण मानते हुए रद्द कर दिया है जिसमें ग्रांट में शामिल करने की 21 जून 1973 की कट आफ डेट तय की गयी थी।

कोर्ट ने 13 जुलाई 2017 के संशोधन जिसके तहत 5 साल तक ग्रांट देने पर पुनर्विचार करने पर रोक लगायी थी, रद्द कर दिया है। जूनियर हाई स्कूल से सम्बद्ध स्कूलों को कोई लाभ देने से इंकार करते हुए कोर्ट ने कहा है कि वे 2017 के संशोधन को चुनौती दे सकते है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने जय राम सिंह व 11 अन्य सहित सैकड़ों याचिकाओं को निर्णीत करते हुए दिया है। मालूम हो कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत 27 अक्टूबर 2016 के शासनादेश से प्रदेश में 300 की आबादी व 1 किलोमीटर की दूरी पर नए स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया।

और कहा गया कि जिन 2055 बस्तियों में स्कूल नहीं है उनमें 21जून 1973 के पहले के एडेड हाई स्कूल व इंटर कालेज से सम्बद्ध प्राइमरी स्कूलों को अनुदान में शामिल किया जाय। प्रदेश में एक लाख 13 हजार 247 प्राइमरी स्कूल है एवं 45590 अपर प्राइमरी स्कूल है। जिनमें 5 लाख 63 हजार 275 अध्यापक, शिक्षामित्र व अनुदेशक कार्यरत है। जिन्हें सरकार द्वारा वेतन दिया जा रहा है।

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हाईकोर्ट ने प्रिपूर्णानन्द त्रिपाठी केस में कहा कि फ्री शिक्षा देना सरकार का दायित्व है। अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 ने यह दायित्व राज्य सरकार को सौपा है। प्राइवेट स्कूल सरकार का ही कार्य कर रहे है। इसलिए सरकार नीति बनाये और नार्म पूरा करने वाले स्कूलों को सरकार मदद दे।

कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट एडेड कालेजों से सम्बद्ध प्राइमरी स्कूलों को सरकार ग्रांट में शामिल करें जिसके तहत सरकार ने पॉलिसी तय की और 2055 बस्तियों के सम्बद्ध प्राइमरी स्कूलों की ग्रांट रोक दी। इसको लेकर याचिकायें दाखिल की गयी। कोर्ट ने कट आफ डेट 21 जून 73 व 5 साल तक पुनर्विचार पर रोक लगाने के संशोधन कानून को रद्द कर दिया है। और नई नीति बनाने का आदेश दिया है।

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Aditya Mishra

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