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टीचरों ने नयी पेंशन नीति को दी चुनौती, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
नई योजना के तहत रिटायर होने वाले कर्मचारी को पेंशन के रूप में कोई निश्चित राशि नहीं मिलेगी। जो भी कटौती की जाएगी उसका 60 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी को रिटायर होने पर दे दिया जाएगा।
प्रयागराज: पुरानी पेंशन बंद कर नई पेंशन लागू करने के शासनादेश को परिषदीय विद्यालयों के सहायक अध्यापकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
सहायक अध्यापकों की ओर से दाखिल याचिका में बेसिक शिक्षा अधिकारी के उस आदेश को भी चुनौती दी गई है जिसके तहत नई पेंशन योजना का फार्म नहीं भरने वाले शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया है। फिलहाल कोर्ट ने शिक्षकों को नियमित वेतन देने का आदेश देते हुए नई योजना पर सरकार से जवाब तलब किया है।
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महेंद्र कुमार वर्मा और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कहा है कि याीचगण नई योजना का फार्म भरेंगे मगर इस दौरान उनके वेतनसे यदि कोई कटौती की जाती है तो वह इस याचिका पर पारित होने वाले आदेश पर निर्भर होगी। याचिका में कहा गया कि प्रदेश सरकार ने 28 मार्च 2005 के शासनादेश से पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी तथा एक अप्रैल 2005 से नियुक्ति होने वाले अध्यापकों, कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना लागू कर दी।
नई योजना के तहत रिटायर होने वाले कर्मचारी को पेंशन के रूप में कोई निश्चित राशि नहीं मिलेगी। जो भी कटौती की जाएगी उसका 60 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी को रिटायर होने पर दे दिया जाएगा। शेष 40 प्रतिशत बचा हिस्सा शेयर मार्केट में लगाएंगे और उससे होने वाले लाभ से पेंशन भुगतान होगा।
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अधिवक्ता का कहना था कि इस योजना से कर्मचारी को कोई निश्चित आय नहीं होगी। शेयर मार्केट में रकम लगाने से नुकसान का भी खतरा रहेगा। बेसिक शिक्षा अधिकारी महराजगंज ने 31 जनवरी 2019 को नई पेंशन योजना फार्म नहीं भरेन पर याचीगण का वेतन रेाक दिया है। कोर्ट ने वेतन जारी करने का आदेश देते हुए प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।