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राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने घुसपैठिये
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बात साफ कर दी है कि घुसपैठियों और शरणार्थियों के बीच मूलभूत अंतर करना होगा। शरणार्थी खुलेआम कहता है कि उसे उसकी आस्था के चलते एक देश से भागने पर मजबूर किया गया वह शरण चाहता है जबकि घुसपैठिया कभी यह स्वीकार नहीं करता कि वह किसी दूसरे देश से है। पीएम मोदी ने साफ किया कि जो लोग नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं वह जानबूझकर शरणार्थियों और घुसपैठियों को मिला रहे हैं। कांग्रेस में मनमोहन सिंह और अशोक गहलोत जैसे नेता पूर्व में यह मांग कर चुके हैं कि सरकार को उन हिन्दुओं और सिखों की मदद करनी चाहिए जो पाकिस्तान से आए हैं, लेकिन आज उनकी हमदर्दी पेट का दर्द बन चुकी है। वैसे यह बात पूरी तरह सच है कि घुसपैठियों राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं क्योंकि इनमें से तमाम देश व समाज विरोधी गतिविधियों में लगे हुए हैं।
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शरणार्थियों का मामला
मोटे तौर पर सीएए के जरिये पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए 31,313 गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने की संभावना है। इसके बाद इन्हें देश के बाकी लोगों की तरह ही सरकारी सुख-सुविधाएं मिल जाएंगी और ये बेहतर जिंदगी गुजर कर सकेंगे। वैसे शरणार्थियों की संख्या को लेकर दो अलग-अलग आधिकारिक आंकड़े हैं। पहला आंकड़ा जनवरी 2019 में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का है, जिसे इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट के आधार पर पेश किया गया था जबकि दूसरा आंकड़ा मार्च 2016 का है जो तत्कालीन गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया था। इसमें कहा गया था कि 31 दिसंबर 2014 की स्थिति के अनुसार इन तीनों देशों से आए शरणार्थियों की संख्या 1 लाख 16 हजार 85 है। हालांकि इसमें शरणार्थियों के धर्म का कोई जिक्र नहीं किया गया था।
जो हिन्दू, बौद्ध या अन्य गैर-मुसलमान शरणार्थी भारत में आए हैं, वो अपने देश में सताए गए लोग हैं। 2007 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में तिब्बत के बौद्ध शरणार्थियों की संख्या लगभग 1,92,000 है और श्रीलंका से भागे और तमिलनाडु में रहने वाले लोगों की संख्या एक लाख के करीब बताई जाती है। अगर बंटवारे को अलग रखें तो पाकिस्तान से आए हिन्दुओं की संख्या लगभग 20,000 है जिसमें से 13,000 को भारतीय नागरिकता दी जा चुकी है।
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गंभीर हुई घुसपैठियों की समस्या
अनधिकृत आंकड़ों के अनुसार मौजूदा समय में देश में अवैध बांग्लादेशियों की संख्या तीन करोड़ से ऊपर है। छह मई 1997 में संसद में दिए बयान में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री इंद्रजीत गुप्ता ने भी स्वीकार किया था कि देश में एक करोड़ बांग्लादेशी हैं। 2009 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अफगानिस्तान के रास्ते 13 हजार अवैध घुसपैठिये घुसे थे। इसी तरह 2000 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में डेढ़ करोड़ अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिये थे। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि तीन लाख घुसपैठिये हर साल देश में आ रहे हैं। अगर इस आधार पर देखा जाए तो वर्तमान में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या दो करोड़ के ऊपर होने का अनुमान लगाया जा सकता है। हालांकि यूपीए सरकार के कार्यकाल में 14 जुलाई 2004 को संसद में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बताया था कि करीब दो करोड़ अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिये भारत में रह रहे हैं और इनमें करीब 57 लाख बांग्लादेशी घुसपैठिये पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं। हाल ही में एनडीए सरकार में गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने यह संख्या दो करोड़ चालीस लाख बतायी थी। हालांकि गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में पांच से नौ करोड़ के बीच घुसपैठिये हैं जो कि असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में फैले हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में घुसपैठियों का कब्जा
केंद्र सरकार के आंकड़ों के इतर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में बड़ी संख्?या में घुसपैठियों ने कब्जा जमा रखा है। ये घुसपैठिये जिला प्रशासनों के लिए बड़ी समस्?या बने हुए हैं। उत्तर प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों के होने की आशंका है। खुफिया विभाग और पुलिस प्रशासन पहले भी इस बाबत सर्वे करा चुका है, जिसके मुताबिक सबसे ज्यादा अवैध बांग्लादेशी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर और बुलंदशहर जिलों में रह रहे हैं। यूपी की राजधानी लखनऊ में भी अवैध बांग्लादेशी काफी बड़ी संख्या में रहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक राजधानी में इनकी संख्या लगभग दो से तीन लाख है। इनमें से ज्यादातर ने अपनी स्थानीय आईडी बना रखी है जिसमें राशन कार्ड, वोटर कार्ड और आधार कार्ड शामिल हैं। ये लोग यहां पर छोटे-मोटे काम करते हैं जिसमें कूड़ा बीनना, घरों की साफ-सफाई और छोटे-मोटे धंधे शामिल हैं।
रोहिंग्या मुसलमानों की बढ़ रही संख्या
अनधिकृत रिपोर्टों के मुताबिक भारत में दो लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान प्रवेश कर चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 40 हजार रोहिंग्या गैरकानूनी तौर पर रह रहे हैं। ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान इस वक्त जम्मू कश्मीर, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में हैं। भारत में सबसे ज्यादा रोंहिग्या मुस्लिम जम्मू में बसे हैं। वहां करीब 10,000 रोंहिग्या मुस्लिम रहते हैं। हालांकि भारत के गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि देश में मौजूद 40,000 रोहिंग्या को वापस भेजा जाएगा। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस समय यूएनएचसीआर के पास भारत में रह रहे 14,000 से अधिक रोहिंग्या के बारे में जानकारी मौजूद है। हालांकि जो दूसरी सूचनाएं गृह मंत्रालय के पास मौजूद हैं, उनके मुताबिक लगभग 40 हजार रोहिंग्या अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में भी सैकड़ों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं। पिछले दिनों नौ सौ रोहिंग्या के अलीगढ़ में लापता होने की खबर आई थी। हालांकि इनके बारे में अभी भी सरकार ने कोई आखिरी रुख तय नहीं किया है। अवैध बांग्लादेशियों के साथ ही प्रदेश भर में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को भी सत्यापन करवाया जाएगा। इस बात की जानकारी भी जुटाई जाएगी कि वैध लोगों की आड़ में कहीं अवैध विदेशी भी अपना ठिकाना तो नहीं बना रहे हैं। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक केएन गोविंदाचार्य ने रोहिंग्या मुसलमानों को भारत के लिए खतरा बताते हुए उन्हें वापस भेजने की मांग की है। गोविंदाचार्य ने जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या मुसलमानों की मौजूदगी पर भी सवाल उठाया।
एक अनुमान के मुताबिक देश में पचास हजार से एक लाख बर्मी चिन घुसपैठिये रह रहे हैं। इनमें ज्यादातर मिजोरम में हैं और कुछ दिल्ली में रह रहे हैं। 2009 में करीब सात हजार सात सौ गैरकानूनी पाकिस्तानी घुसपैठिये भारत में रह रहे थे। कुछ हिन्दू और सिख शरणार्थी हैं जो नागरिकता मिलने की प्रत्याशा में अवधि समाप्त होने के बाद भी देश में जमे थे। घुसपैठियों की समस्या पर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर रूलिंग देते रहे हैं और इनसे देश की आंतरिक सुरक्षा के खतरे को लेकर सचेत करते रहे हैं। 2005 में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने गैरकानूनी प्रवासियों पर कहा था कि बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ ने असम और त्रिपुरा के लोगों के जीवन को पूरी तरह असुरक्षित बना दिया है। अगस्त 2008 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक बांग्लादेशी नागरिक द्वारा उसके निर्वासन के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि अवैध बांग्लादेशी भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं।
तस्करी में लिप्त
घुसपैठियों से राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा है क्योंकि इन घुसपैठियों के अलावा बड़ी संख्या में तस्कर नियमित रूप से पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत में सीमा पार करके आते हैं। वे मुख्य रूप से बांग्लादेश सरकार द्वारा कुछ भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए उच्च टैरिफ से बचने के लिए भारत से बांग्लादेश में माल और पशुधन की तस्करी में लिप्त हैं। बांग्लादेशी महिलाएं और लड़कियां भी भारत में तस्करी कर लाई जा रही हैं। 1998 में महिला और बाल अध्ययन केंद्र ने अनुमान लगाया कि 27,000 बांग्लादेशियों को भारत में वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया है। सीईडीएडब्लू की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सभी वेश्याओं में से 10 फीसदी और कोलकाता में 27 फीसदी वेश्याएं बांग्लादेश से हैं।
छीन रहे हक
वास्तव में देखा जाए तो घुसपैठियों के चलते सीमावर्ती राज्यों समेत देश के तमाम राज्यों में इन घुसपैठियों के चलते आबादी का संतुलन बिगड़ रहा है। इसके अलावा देश के संसाधनों पर यहां के नागरिकों का वाजिब हक भी ये घुसपैठिये छीन रहे हैं। इसके अलावा ये घुसपैठिये आपराधिक गतिविधियों में भी लिप्त रहकर देश की सुरक्षा के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। मजे की बात यह है कि भारत में जहां राजनीतिक दलों ने सीएए के विरोध का बिगुल फूंका हुआ है और लोगों को भ्रमित कर रहे हैं, वहीं नेपाल में फर्जी दस्तावेजों के सहारे रह रहे हजारों भारतीयों पर कार्रवाई पर वहां कोई हलचल नहीं है। नेपाल में पांच हजार से अधिक भारतीयों की पहचान की जा चुकी है और हजारों और जांच के दायरे में हैं। नेपाल यह कार्रवाई सिर्फ भारतीयों पर नहीं बल्कि अन्य विदेशियों पर भी कर रहा है। लेकिन भारत में रह रहे अवैध नेपाली नागरिकों के मामले में केवल राजनीतिक बयानबाजी होती रहती है। यही हाल सालों से यहां जमे चीनी नागरिकों का भी है। उनकी तरफ से भी फिलहाल सबकी आंखें बंद हैं।
अवैध बांग्लादेशी कर रहे अपराध
खुफिया सूत्रों के मुताबिक इनमें से तमाम अवैध बांग्लादेशी कई तरह के अपराधों में भी शामिल रहे हैं। फर्जी दस्तावेजों के सहारे रहने वाले बांग्लादेशियों के बारे में कई बार जानकारियां मिलती रहती हैं जो कि कई तरीके के लूट-खसोट और अपराधिक वारदातों में शामिल रहे हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का आरोप है कि वोट की राजनीति के कारण तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक पार्टियां देश के मानचित्र को बदलने की साजिश कर रही है। परिषद के मुताबिक पश्चिम बंगाल के 52 विधानसभा क्षेत्रों में 80 लाख और बिहार के 35 विधानसभा क्षेत्रों में 20 लाख बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं।
जनसंख्या संतुलन बिगड़ा
बांग्लादेशियों के देश में बे-रोकटोक घुसपैठ के कारण सीमावर्ती जिले मुस्लिम बहुल हो गए हैं और इन प्रांतों का जनसंख्या संतुलन बिगड़ गया है। असम के पूर्व राज्यपाल अजय सिंह ने भी केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट में स्पष्ट किया था कि हर दिन छह हजार बांग्लादेशी देश में घुसपैठ करते हैं। दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछली जनगणना में बांग्लादेश से एक करोड़ लोग गायब हैं।