TRENDING TAGS :
इप्सेफ ने PM को लिखा पत्र, वापस लिया जाए जबरन सेवानिवृत्ति का फैसला
इप्सेफ ने राष्ट्रीय स्तर पर विरोध करने का एलान करते हुए कहा कि आगामी 6 सितंबर को इप्सेफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस सरकारी फैसले के खिलाफ आंदोलन का निर्णय लिया जायेगा।
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: कर्मचारी संगठन इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन ने कर्मचारियों को 30 वर्ष की सेवा पर जबरन सेवानिवृत्त करने के सरकार के फैसले पर एतराज जताते हुए प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेज कर इसे वापस लेने की मांग की है। इप्सेफ ने कहा है कि वह इस फैसले का राष्ट्रीय स्तर पर विरोध करने का एलान करते हुए कहा है कि आगामी 6 सितंबर को इप्सेफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस सरकारी फैसले के खिलाफ आंदोलन का निर्णय लिया जायेगा।
ये भी पढ़ें: फिर हुआ एनकाउंटर: पुलिस और बदमशों में चली ताबड़तोड़ गोलियां, हाथ लगा अपराधी
संविदा या आउटसोर्सिंग पर कर्मचारी रखकर काम चला रही सरकार
इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र ने कहा की वर्तमान सरकार जब से आई है भ्रष्टाचार और काम चोरी का नाम लेकर कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त करती जा रही है और रिक्त पदों पर भर्ती ना करके संविदा या आउटसोर्सिंग पर कर्मचारी रखकर काम चला रही है। उन्होंने कहा कि अनुभवी कर्मचारियों की कमी के कारण अस्पतालों के चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। जिसके कारण कोरोना 19 जैसी गंभीर बीमारी की ठीक से टेस्टिंग नहीं हो पा रही है और वार्डो में सुनिश्चित इलाज भी नहीं हो पा रहा है। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का भी जीवन खतरे में पड़ गया है वह भी जांच करते समय स्वयं संक्रमित हो जा रहे हैं। कई हजार कर्मचारियों की भी मौत हो चुकी है।
ये भी पढ़ें: जियो फाइबर दे रहा है अनलिमिटेड डेटा के साथ एक महीने का फ्री ट्रायल
सरकारी कार्यालयों में मुश्किल से 50 प्रतिशत नियमित कर्मचारी
महामंत्री प्रेमचंद्र ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में मुश्किल से 50 प्रतिशत नियमित कर्मचारी रह गए हैं। पद खाली पड़े हैं, भर्तियां नहीं की जा रही हैं। कांट्रेक्चुअल बेसिस पर कर्मचारी रखकर काम कराया जा रहा है। उन्हें एक तो बहुत कम धनराशि दी जाती है वह भी कई कई महीने बाद। उन्होंने कहा कि इसी कारण सरकार के सभी कार्यों के संपादन में बाधा पड़ रही है। उन्होंने कहा कि आगामी 06 सितंबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इप्सेफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी जिसमें अग्रिम कार्यवाही का निर्णय लिया जाएगा जिसमें आंदोलन भी शामिल है।
इप्सेफ ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि 30 वर्ष की सेवा पर जबरन सेवानिवृत्ति, रिक्त पदों पर भर्ती, पदोन्नति या न करने, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए नियमावली ना बनाने आंगनबाड़ी सहायिका के शोषण आदि कारणों से देशभर का कर्मचारी सरकार से बहुत नाराज व आक्रोशित है। संगठन का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री इन समस्याओं पर संवाद करके सार्थक निर्णय नहीं लेते हैं तो देश भर के कर्मचारी बड़े आंदोलन पर जा सकते हैं जिसका उत्तरदायित्व भारत सरकार ही होगा।
ये भी पढ़ें: बिहार चुनाव: क्या शरद यादव पुराने गिले-शिकवे मिटाकर फिर से थामेंगे नीतीश का हाथ?