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BHEL ने बनाया एतिहासिक कीर्तिमान, दुनिया में जो किसी ने नहीं किया वो कर दिखाया

यह परियोजना सौर उर्जा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है क्योंकि पहली बार सौर उर्जा को सीधे ही ट्रेक्शन अनुप्रयोगों के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है।

Newstrack
Published on: 11 July 2020 6:30 PM GMT
BHEL ने बनाया एतिहासिक कीर्तिमान, दुनिया में जो किसी ने नहीं किया वो कर दिखाया
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झाँसी: भारत सरकार की कंपनी बीएचईएल ने सौर उर्जा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित करते हुए भारतीय रेल हेतु मध्यप्रदेश के बीना जिले में 1.7 मेगावॉट सोलर पावर प्लांट की कमीशनिंग सफलता पूर्वक सम्पन्न कर ली है। इस प्लांट से भारतीय रेल के ट्रेक्शन सिस्टम को प्रत्यक्ष रुप से उर्जा आपूर्तित की जाएगी।

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम

यह परियोजना सौर उर्जा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है क्योंकि पहली बार सौर उर्जा को सीधे ही ट्रेक्शन अनुप्रयोगों के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है। मालूम है कि इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन के साथ ही बीएचईएल ने भारतीय रेल के ट्रेक्शन सब स्टेशन हेतु सिंगल फेज-25 किलो वोल्ट की डायरेक्ट इंजेक्शन क्षमता अर्जित कर ली है। इस परियोजना की अवधारणा एवं विकास में भारतीय रेल एवं बीएचईएल का संयुक्त योगदान है। इसमें भारतीय रेलवे के अनुसार बीएचईएल के कार्यक्षेत्र में अभिकल्पन (डिजाइन), अभियंत्रण, उत्पादन, आपूर्ति, निर्माण, परीक्षण, कमीशनिग एवं प्रचालन, अनुरक्षण, कार्य सम्मिलित है।

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उल्लेखनीय है कि यह परियोजना भारतीय रेलवे के साथ बीना में संयुक्त भूमि सर्वेक्षण की तिथि से मात्र 4.5 माह की अल्पावधि (कोविड -19 से उपजे संकट काल को छोड़ कर) में स्थापित एवं प्रचालित की गई है। यह रेलवे की खाली पड़ी भूमि पर, टर्न की आधार पर विकसित कंपनी का एक पायलेट प्रोजेक्ट है। परियोजना से संबंधित अभिकल्पन एवं अभियंत्रण की अवधारणा को 1.5 माह से भी कम समय में पूरा करते हुए अनुसंधान एवं विकास तथा उत्पादन संबंधी गतिविधियों को बीएचईएल के बंगलुरु, हैदराबाद, झांसी एवं भोपाल इकाईयों द्वारा सम्पन्न किया गया।

भारतीय रेल एवं बीएचईएल के संयुक्त कार्य एवं सहयोग का अनुपम उदाहरण

यह महत्वपूर्ण है कि पहली बार आउटडोर ड्यूटी हेतु सिंगल फेज 850 किलोवोल्ट सोलर इनवर्टर के डेवलपमेंट के साथ ही 400 वोल्ट/25 कि.वो. के ड्राई टाईप ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं। अन्य सौर उपकरण जैसे फोटो वोल्टैक मॉड्यूल्स, स्काडा सिस्टम एवं एचटी स्विच गियर इत्यादि बीएचईएल की भोपाल एवं बंगलुरु विनिर्माण इकाईयों द्वारा आपूर्तित किए गए हैं। रेल परिवहन के क्षेत्र में यह परियोजना भारतीय रेल एवं बीएचईएल के संयुक्त कार्य एवं सहयोग का अनुपम उदाहरण है। सौर उर्जा के क्षेत्र में बीएचईएल द्वारा किया गया यह अभिनव प्रयास रेल क्षेत्र में अक्षय एवं नवीकरणीय उर्जा से प्राप्त लाभों के अभूतपूर्व तरीके से प्रयोग का अद्वितीय उदाहरण है।

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भारतीय रेल द्वारा अपने विशाल भू-भंडार को बिना किसी यूटिलिटी की मदद के रेलवे ट्रेक्शन ग्रिड के सपोर्ट हेतु केपटिव फोटो वोल्टैक पावर प्लांट्स में परिवर्तित करने एवं वर्ष 2030 तक भारतीय रेल के “गो ग्रीन” का लक्ष्य अब वास्तविकता में परिवर्तित होगा। बीएचईएल ऑफ-ग्रिड एवं ग्रिड-इंटरएक्टिव ग्राउंड माउंटेड, रुफटॉप, फ्लोटिंग सोलर और कैनाल टॉप सोलर प्लांट दोनों के लिए ईपीसी समाधान दे रहा है। जो कि एसपीवी संयंत्रों के 01 गीगावॉट से भी अधिक के अपने वर्तमान पोर्टफोलियो से स्पष्ट है। बीएचईएल उच्च दक्षता वाले सेल्स एवं स्पेस ग्रेड बैटरीज से विनिर्मित स्पेस ग्रेड सोलर पैनल्स के विनिर्माण में अग्रणी है।

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उप प्रबंधक (राजभाषा/सं.ज.सं.) संचार एवं जन सम्पर्क विभाग डॉ. संतोष कुमार मिश्र का कहना है कि बीएचईएल, नवीकरणीय ऊर्जा के विकास तथा इसे अधिकाधिक बढ़ावा देने हेतु विगत तीन दशकों से राष्ट्र की हरित पहल में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बीएचईएल की सशक्त उपस्थिति एवं अभूतपूर्व सफलताओं के पीछे समर्पित आर डी टीम, उत्पाद विकास समूह एवं उच्च गुणवत्ता के कंपनी विनिर्मित स्वदेशी उत्पाद सोलर फोटो वोल्टैक सेल और मॉड्यूल्स, सौलर इनवर्टर एवं सौर निष्क्रिय ट्रैकर्स का महत्वपूर्ण योगदान है।

रिपोर्ट- बी के कुशवाहा

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