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जल संरक्षण हेतु पानी की एक-एक बूंद को बचाना होगा: पीपी सिंह
परमार्थ द्वारा समस्त अतिथियों एवं जल सहेलियों को स्मृति चिन्ह के रुप में पौधे भेंट किए गए। कार्यक्रम में चित्रकला एवं कोलाज/पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से पानी के महत्व को कागज पर उकेरा गया
झाँसी परमार्थ समाजसेवी संस्थान द्वारा विश्व जल दिवस के अवसर पर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में ’’जल संवाद’’ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जर्मनी और आस्ट्रिया की वाटर बैण्ड टीम द्वारा ’’पानी की जंग में हम सब संग में’’ गीत भी लांच किया गया।
जल संरक्षण हेतु पानी
जल संवाद को मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए मुख्य वन संरक्षक बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र पी. पी. सिंह ने कहा कि जल संरक्षण हेतु पानी की एक -एक बूंद को बचाना होगा, पानी की प्रत्येक बूंद को बचाने के लिए नदियों एवं जल स्त्रोतों को साफ करना होगा। उन्होंनें कहा कि वन विभाग द्वारा सौ वाटरशेड का चिन्हाकंन कर जल संरक्षण का कार्य परमार्थ के सहयोग से किया जायेगा। वहीं, भारत सरकार के पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण राज्यमंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने कहा कि विचार ब्रह्माण्ड की सबसे बडी ताकत है। अगर प्रत्येक व्यक्ति जल संरक्षण का विचार कर ले कि पानी को संरक्षित करना है तो यह कार्य अंसभव नहीं है और बुन्देलखण्ड पुनः पानीदार बन जायेगा।
मुहावरों में पानी को हमेशा विशिष्ट दर्जा
इस अवसर पर कर्नल संबित साहू ने कहा कि हमारी लोक कथाओं, कहावतों, मुहावरों में पानी को हमेशा विशिष्ट दर्जा दिया गया है। वर्तमान में, हमने पानी को निम्न दर्जा दिया, जिसके कारण जल संकट पैदा हुआ है, हमें पुनः लोक परम्पराओं को जीवित करना होगा। अपर विकास आयुक्त झाँसी मण्डल मिथलेश सचान ने जल संरक्षण के लिए शपथ दिलाते हुए कहा कि अब हमें एक-एक बूंद को संचित करना होगा, राज्य सरकार के द्वारा पाइप लाइन बिछाकर घर-घर पानी पहुचानें का प्रयास किया जा रहा है लेकिन जब जमीन के नीचे जल ही नहीं तो तो घर पर नल से जल कैसे आयेगा।
गिरते जल स्तर
बुन्देली लोक संस्कृति के जीवन्त ग्रंथालय एवं उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री हरगोविन्द कुशवाहा ने जल संरक्षण की उपयोगिता और जल का महत्व दर्शाते अनेकों बुन्देली गीत और कविताओं के माध्यम से जल सहेलियों एवं प्रतिभागियों को जल संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने परमार्थ समाजसेवी संस्थान के सचिव डॉ. संजय सिंह के सम्मान में कहा कि आंसू जब सम्मानित होंगें, तब इनको याद किया जायेगा, जब जल संरक्षण का चर्चा होगा, संजय का नाम लिया जायेगा।
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उन्होंने गिरते जल स्तर का उदाहरण देते हुए कहा कि 1800 वर्ष पुराना कुआं, जो नागवंश का प्रमाण था, अब सूख चुका है। जल जन जोडो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. संजय सिंह ने कहा कि आने वाले दिनों में सबसे बडा संकट पानी का संकट है। आज से 9 साल बाद ही जल संकट की गम्भीर चुनौतियों का सामना हम सबको करना पडेगा, हमें सिर्फ वर्षा के पानी के 2 सेंटीमीटर पानी की आवश्यकता होती है, पर हमारा दुर्भाग्य है कि हम उस पानी को भी नहीं सहेज पाते है।
उत्कृष्ट कार्य
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा जल संरक्षण में उत्कृष्ट कार्य करने वाली रामवती, श्रीकुंवर, इमरती, रानी, मीरा, मीरा देवी, नीलम आदि जल सहेलियों को सम्मानित किया गया। जल सहेलियो द्वारा अपने जल संरक्षण के संघर्ष की दास्तां को भी सांझा किया गया। परमार्थ द्वारा एक सप्ताह से मनाये जा रहे जल सप्ताह में चाइल्ड लाइन की टीम द्वारा करायी गई प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र-छात्राओं को भी सम्मानित किया गया।
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परमार्थ द्वारा समस्त अतिथियों एवं जल सहेलियों को स्मृति चिन्ह के रुप में पौधे भेंट किए गए। कार्यक्रम में चित्रकला एवं कोलाज/पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से पानी के महत्व को कागज पर उकेरा गया, जिसमें प्रथम पुरूस्कार गजेन्द्र सिंह, मेघा कुशवाहा, द्वितीय रंजना सोलंकी, मेघना सचान तृतीय कल्पना प्रजापति, रश्मि कुशवाहा, सांत्वना, सना खलीदी आदि को दिया गया।
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इस अवसर पर, मुन्ना तिवारी, जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के ग्रुप कैप्टन मोहम्मद याकूब, डॉ. सी. पी. पैन्युली, मस्तराम घोष निवाडी, शेख अरशद, पूजा चैधरी, मेघा झा, शिवानी सिंह, सत्यम् दुबे, उमेश कुमार, दिलीप कुमार, अजय कुमार गुप्ता, आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट बी के कुशवाहा