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पर्सनल आईडी से टिकट का धंधा करने वाला दबोचा गया, पास से मिले ये सामान

प्रबल (पैसेंजर रिकॉर्ड एनलाइसिस फॉर एक्शन एगेंस्ट बरगलरी) के जरिये नकली एजेंट ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत यूजर आईडी से टिकट का धंधा करने वाले भी पकड़े जा रहे हैं। आरपीएफ और आरपीएफ डिटेक्टिव विंग टीम ने एक दुकानदार पकड़ लिया।

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Published on: 3 Sept 2020 2:23 AM IST
पर्सनल आईडी से टिकट का धंधा करने वाला दबोचा गया, पास से मिले ये सामान
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प्रबल (पैसेंजर रिकॉर्ड एनलाइसिस फॉर एक्शन एगेंस्ट बरगलरी) के जरिये नकली एजेंट ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत यूजर आईडी से टिकट का धंधा करने वाले भी पकड़े जा रहे हैं।

झांसी: प्रबल (पैसेंजर रिकॉर्ड एनलाइसिस फॉर एक्शन एगेंस्ट बरगलरी) के जरिये नकली एजेंट ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत यूजर आईडी से टिकट का धंधा करने वाले भी पकड़े जा रहे हैं। आरपीएफ और आरपीएफ डिटेक्टिव विंग टीम ने एक दुकानदार पकड़ लिया। इनके पास से रेलवे टिकट व अन्य सामग्री बरामद की गई है। गिरफ्तार किए गए एजेंट को रेलवे अदालत में पेश किया। वहां से उनको जेल भेजा गया।

रेल सुरक्षा बल के उपनिरीक्षक घनेन्द्र सिंह, सहायक उपनिरीक्षक वी एस राजपूत, प्रधान आरक्षक रामेश्वर सिंह डिटेक्टिव विंग को सूचना मिली कि बस स्टैंड के पास स्थित खुशबू फोटो स्टूडियों एवं शादी कार्ड नामक दुकान पर रेलयात्रा टिकट निकाले जा रहे हैं। इस सूचना पर गई टीम ने घेराबंदी कर दुकान पर आकस्मिक छापे मारा। छापे के दौरान दुकानदार को पर्सनल यूजर से एक रेलयात्री को टिकट देते समय पकड़ लिया। आरपीएफ के मुताबिक शैलेन्द्र साहू निवासी टहरौली बस स्टैण्ड थाना टहरौली को पांच 5 पर्सनल यूजर आईडियों पर रेल यात्रा टिकिट बेचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

यह हैं पर्सनल यूजर आईडी से टिकटों का ब्यौरा

भविष्य की यात्रा के 04 टिकिट मूल्य रु 2718, पूर्व की यात्रा के 20 टिकिट मूल्य रु. 17963.02,कुल टिकिट 24 व मूल्य 20681.62 कीमत के बेच चुका है। इसके अलावा एक लैप्टाप व ओप्पो कंपनी का मोबाइल भी बरामद कर लिया।

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यह हैं काम करने का ढंग

कोविड-19 में कम ट्रेनों के संचालन पर प्रति व्यक्ति रु. 200/- से रु. 300/- अधिक लेकर बड़े पैमाने पर लाभ कमाने के चलते अपनी 05 पर्सनल यूजर आई0डी0 पर टिकिट बनाकर बेचे हैं। यह कारोबार दो साल से कर रहा है।

रेलवे के सिस्टम से तेज बना रही है टिकटिंग प्रणाली

इस धंधे को चलाने के लिए रैकेट में शामिल लोग तकनीकी रुप से कंप्यूटर सिस्टम को ज्यादा तेज कर देते हैं। रेड मिर्ची जैसे कुछ सॉफ्टवेयर से टिकटिंग सिस्टम को इतना फास्ट बना देते हैं कि रेलवे के काउंटर के मुकाबले ज्यादा तेजी से टिकट निकाल सकते हैं। इस कारण खासकर तत्कल टिकट की बुकिंग के दौरान रेलवे के काउंटर से कम टिकट निकल पाते हैं।

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एप से खंगाला जाता है पैसेंजर का इतिहास

यह रेलवे द्वारा विकसित एप है जो टिकट दलाली को रोकने के लिए बनायी गई है। ई- मॉनिटरिंग के दौरान इसके जरिये पैसेंजर का पिछला इतिहास पता कराया जाता है। इसी में कुछ आईआरसीटीसी के यूजर आईडी संदिग्ध मिल जाते हैं, जिसकी छानबीन की जाती है।

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अपना आईआरसीटीसी यूजर आईडी शेयर नहीं करें

आरपीएफ के अधिकारी कहते हैं कि जिन्होंने भी आईआरसीटीसी यूजर आईडी बना रखा हैं, उन्हें तब तक किसी दूसरे से शेयर नहीं करना चाहिए। जब तक कि कोई पारिवारिक व्यक्ति नहीं हो। इस धंधे से जुड़े लोग दूसरे का यूजर आईडी लेकर इस्तेमाल कर रहे हैं।

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