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Jhansi News: 27 साल से पुलिस पांच रुपए में खिला रही थी बंदियों को खाना, अब जाकर इतना बढ़ाया गया खर्च
Jhansi News: पुलिस जब किसी आरोप में व्यक्ति को पकड़कर लॉकअप में रखती है तो उसे खाना खिलाने की जिम्मेदारी भी थाने की होती है। 27 साल से पुलिस बंदियों को पांच रुपये में एक टाइम का खाना खिला रही थी। अब जाकर रकम में छह गुना वृद्धि की गई है।
Jhansi News: पुलिस पर आए दिन तमाम आरोप लगते रहे हैं, लेकिन शासन से उन्हें क्या सुविधा मिलती है, इसकी कम चर्चा होती है। पुलिस जब किसी आरोप में व्यक्ति को पकड़कर लॉकअप में रखती है तो उसे खाना खिलाने की जिम्मेदारी भी थाने की होती है। 27 साल से पुलिस बंदियों को पांच रुपये में एक टाइम का खाना खिला रही थी। अब जाकर रकम में छह गुना वृद्धि की गई है। शासन के नये निर्देशन के अनुसार बंदियों के खाने के लिए 25 रुपये व चाय के लिए पांच रुपये दिए जाएंगे। इस तरह एक बंदी पर शासन 30 रुपये खर्च करेगा। महंगाई को देखते हुए समझा जा सकता है कि पहले भी इतने पैसों में पुलिस कैसे बंदियों का पेट भरती रही होगी। आने वाले समय में भी इतने पैसों से कैसे खाना खिलायेगी।
बताते हैं कि पुलिस अभिरक्षा में रखे गये बंदियों को एक टाइम का खाने खिलाने के लिए पांच रुपये दिए जाते थे और दो बार खाना खिलाया तो दस रुपये मिलते थे। 27 साल बाद इस दर में वृद्धि की गई है। शासन के नये निर्देश के अनुसार पुलिस को अब बड़ी हुई रकम मिलने लगेगी। हालांकि इस महंगाई में 25 रुपये में एक समय का खाना उपलब्ध कराया जा सकता है कि नहीं, इसको लेकर भी तमाम चर्चाएं हैं।
आखिर कैसे भरता था बंदियों का पेट
पुलिस सूत्रों की माने तो थाने के मेस में बनने वाला खाना ही बंदियों को खिलाया जाता था। सभी जगहों पर पांच रुपये में अच्छी चाय नहीं मिल पाती हैं, ऐसे में पांच रुपये में बंदियों का पेट कैसे भरा जाता है। नयी रकम में भी पेट भरने में नाकाफी है लेकिन विचाराधीन बंदियों की जिम्मेदारी थाने की होती है, इसलिए पुलिसकर्मी अपने स्तर पर बी बंदियों का पेट भरते थे।
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हवालता के लिए पुलिस विभाग को 11 रुपए!
जब थाने में किसी आरोपी को पकड़कर हवालात में डाला जाता है तो उसे आरोपी का खाना-पीने का खर्च पुलिस ही अपनी जेब से खर्च करती है क्योंकि आरोपी जो राशि मिलती है उसे सुनकर रह कोई हैरान रह जाएगा। क्योंकि आरोपी पर खाने के खर्च के रुप में सिर्फ 11 रुपए दिए जाते हैं जो पुलिस कोष से लेने होते हैं लेकिन पकड़े गए आरोपी पर एक टाइम का खाना का खर्चा 50 रुपये तक बैठ जाता है। इतनी कम राशि को लेने के लिए पुलिस कर्मचारियों को भी शर्म महसूस हो रही है। हर दिन थाने में 4-5 आरोपी किसी किसी मामले में पकड़े जाते हैं, यानी प्रतिदिन एक टाइम का उनका खर्च 250 रुपये बैठता है। महीने का आरोपियों पर खर्चा सात हजार से ज्यादा बैठता बताया जाता है, जो हर कर्मचारी को अपनी जेब से भरने पड़ते हैं।
मैस से नहीं प्लाजा से भिजवाया जाता है खाना
रेल सुरक्षा बल या जीआरपी। इन दोनों फोर्स के जनपद झांसी में बने थाने के लॉकअप में बंदियों को बंद किया जाता है तो उनको खाना मैस से नहीं, बल्कि वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन पर बने प्लाजा से मंगाकर दिया जाता है। आरोप है कि इस प्लाजा से बंदियों के अलावा अफसरों की बेगारी भी खुलेआम करवाई जा रही हैं। दूध के साथ-साथ रेल नीर की बोतलों में भी भिजवाई जा रही हैं, मगर सभी निःशुल्क। इस व्यवस्था को रोकने वाला कोई नहीं है।