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सुर्ख लाल स्ट्रॉबेरी बुंदेलखंड की नई पहचान, किसानों की बदलेगी तकदीर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महोत्सव के उद्घाटन मौके पर कहा कि स्ट्रॉबेरी से बुंदेलखंड के किसानों की आर्थिक स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिलेगा। झांसी में अगले एक माह तक चलने वाला स्ट्रॉबेरी महोत्सव चमत्कार से कम नहीं है।

Dharmendra kumar
Published on: 17 Jan 2021 4:24 PM GMT
सुर्ख लाल स्ट्रॉबेरी बुंदेलखंड की नई पहचान, किसानों की बदलेगी तकदीर
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झांसी जिला स्ट्रॉबेरी उत्पादन में लगातार सफलता के नए सोपान तय कर रहा है। इसलिए सरकार ने 17 जनवरी से स्ट्रॉबेरी महोत्सव की शुरुआत झांसी में की है।

लखनऊ: सुर्ख लाल रंग की स्ट्रॉबेरी सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। भारत में स्ट्रॉबेरी का बड़े पैमाने पर आयात होता रहा है, लेकिन अब उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड इससे पहचाना जाएगा। बुंदेलखंड का झांसी जिला स्ट्रॉबेरी उत्पादन में लगातार सफलता के नए सोपान तय कर रहा है। इसलिए सरकार ने 17 जनवरी से स्ट्रॉबेरी महोत्सव की शुरुआत झांसी में की है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महोत्सव के उद्घाटन मौके पर कहा कि स्ट्रॉबेरी से बुंदेलखंड के किसानों की आर्थिक स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिलेगा। झांसी में अगले एक माह तक चलने वाला स्ट्रॉबेरी महोत्सव चमत्कार से कम नहीं है। यह बुंदेलखंड के किसानों के परिश्रम का परिणाम है। उत्तर प्रदेश के इतिहास में आज पहली बार स्ट्रॉबेरी महोत्सव का आयोजन हो रहा है। उत्तर प्रदेश के अनेक स्थानों पर स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है। स्ट्राबेरी की खेती और मार्केटिंग पर लखनऊ में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) भी बेहतरीन काम कर रहा है।

1 महीने के फेस्टिवल में होंगे कई आयोजन

झांसी में 'स्ट्रॉबेरी फेस्टिवल' 17 जनवरी से 16 फरवरी तक चलेगा। इस महोत्सव में स्ट्रॉबेरी रेसिपी डेमो, स्ट्रॉबेरीज होम शेफ चैलेंज और फेंसी ड्रेस का आयोजन भी किया जाएगा। महोत्सव में शामिल किसानों ने बताया कि स्ट्रॉबेरी के फल को मंडी में ₹100 किलो बेचा जाता है। 1 एकड़ की खेती में लगभग ₹200000 का खर्च आता है और 7000 किलो का अनुमानित उत्पादन होता है। बुंदेलखंड के किसानों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है।

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झांसी डीएम आंद्रा वामसी ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती के माध्यम से किसान बेहतर आमदनी हासिल कर रहे हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों की तादाद लगातार बढ़ रही है। बुंदेलखंड में अब तक दलहन और तिलहन की खेती ही किसान किया करते थे, लेकिन सरकार की मदद से स्ट्रॉबेरी की फसल का उत्पादन शुरू हुआ है।

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स्ट्रॉबेरी फेस्टिवल को राजधानी वासियों ने भी सराहा

राजधानी लखनऊ में रहने वाले व्यवसायी मनीष खेमका ने स्ट्रॉबेरी फेस्टिवल के आयोजन की सराहना सोशल मीडिया पर की है। उन्होंने लिखा कि प्रदेश के इतिहास में आज पहली बार स्ट्रॉबेरी महोत्सव का आयोजन हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को इस इनोवेटिव पहल के लिए बधाई। मैंने साल 2014 में लखनऊ में अपने घर पर पहली बार गमलों में शौकिया स्ट्रॉबेरी उगाई थी। मेरा यह प्रयास सफल रहा था। चटख रंग की चार रसीली स्ट्रॉबेरी से ही तब कई किलो प्रसन्नता मिली थी।

Manish Shukla

आज उत्तर प्रदेश के अनेक स्थानों पर स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है। स्ट्रॉबेरी की खेती और मार्केटिंग पर लखनऊ स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) भी बेहतरीन काम कर रहा है। स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बेहतर क़िस्म के पौधे ज़रूरी हैं जो प्रायः हिमाचल प्रदेश या पुणे से आते हैं। साथ ही फ़सल की मार्केटिंग के लिए स्ट्रॉबेरी किसानों का एक नेटवर्क बनाने की आवश्यकता है। योगी सरकार का यह प्रयास उत्तर प्रदेश में पैदा हुई स्ट्रॉबेरी की इंटरनेशनल ब्रांडिंग में सहायक होगा।

रिपोर्ट: अखिलेश तिवारी

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