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Jhansi News: अब्दुल कलाम अवार्ड से नवाजे गए हॉकी लीजेंड अशोक ध्यानचंद

Jhansi News: भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की 8 वीं पुण्य तिथि के अवसर पर दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में आज शाम हॉकी लीजेंड ओलंपियन अशोक कुमार ध्यांचन्द को अब्दुल कलाम एवार्ड से सम्मानित किया गया।

B.K Kushwaha
Published on: 29 July 2023 2:50 PM GMT
Jhansi News: अब्दुल कलाम अवार्ड से नवाजे गए हॉकी लीजेंड अशोक ध्यानचंद
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अब्दुल कलाम अवार्ड से नवाजे गए हॉकी लीजेंड अशोक ध्यानचंद: Photo- Newstrack

Jhansi News: भारत के महानतम वैज्ञानिक, मानवता के अग्रदूत , मनीषी राष्ट्र ही जिनके लिए सर्वोपरी था। भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की 8 वीं पुण्य तिथि के अवसर पर दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में आज शाम हॉकी लीजेंड ओलंपियन अशोक कुमार ध्यांचन्द को अब्दुल कलाम एवार्ड से सम्मानित किया गया।

अशोक ध्यांचन्द की उपलब्धियों की बात करे तो भारत सरकार ने उन्हें 1974 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। अशोक ने तीन विश्व कप खेले, वह 1975 के विश्व कप जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे। उन्होंने पहला वर्ल्ड कप 1971 में खेला जिसमें भारतीय टीम ने कांस्य पदक प्राप्त किया। उसके बाद 1973 के विश्व कप की रजत पदक विजेता टीम के भी सदस्य रहे। अशोक ने दो बार ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया, पहली बार 1972 में म्यूनिख में भारत ने कांस्य पदक प्राप्त किया और फिर 1976 में मॉन्ट्रियल में भारत सातवें स्थान पर रहा। उन्होंने भारत के लिए तीन एशियाई खेलों (1970, 1974 और 1978) के हिस्सा भी रहे और तीनों में ही भारत ने रजत पदक प्राप्त किया।

अशोक ध्यांचन्द ने कहा कि इतनी बड़ी सख्शियत के नाम का एवार्ड पाकर मुझे बेहद खुशी हो रही है,हॉकी को शिखर तक ले जाने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है। डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ग्लोबल फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस एवार्ड समारोह में रामदास आठवले,विजय गोयल,केंद्रीय संसदीय मंत्री अशोक बाजपेई,फिल्मस्टार अकबर खान, रंजीत फाउंडेशन के जनरल सेक्रेटरी डॉ शमीम ए.खान सहित कई हस्तियां मौजूद रही।

बुंदेली ने दिया है हिंदी के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान- डा0 चित्रगुप्त

Jhansi News: नगर के इतिहासकार डा चित्रगुप्त ने प्रयागराज की हिंदुस्तानी एकेडमी में बुंदेली भाषा पर अपना व्याख्यान दिया, हिंदुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में अपने व्याख्यान में डा चित्रगुप्त ने कहा कि बुंदेली का विस्तार ब्रज, मारवाड़ी, अवध, बघेली बोलियों तक जाता है, इस बोलियों में बुंदेली रस को हम स्वत: ही समझ सकते हैं, बुंदेली भाषा का शब्द भंडार और व्याकरण अपने जन समाज की भाषा संबंधी हर आवश्यकता पूरी करने योग्य है।

उन्होंने कहा कि बुंदेली की भी तकरीबन दर्जन भर उप बोलियां है, लेकिन अनेकता में एकता का भाव प्रकट करते हुए सभी उप बोलियां बुंदेली के मधुर भाव को ही प्रकट करतीं हैं, यहाँ सिकरवारी, तंवर वारी, पंचमहली, अट्ठाईसी, पंवारी, खटोला जैसी उप बोलियां बुंदेली की शान हैं, इसके अतिरिक्त बुंदेली ने मराठी, मारवाड़ी और बघेली को भी आत्मसात किया है, झांसी शहर में जहाँ बुंदेली और मराठी का सामंजस्य दिखता है, तो कस्वा मोठ में बुंदेली के साथ मारवाड़ी का मेल नजर आता है क्योंकि यहाँ मारवाड़ी व्यापारियों का भी प्रभाव रहा | संगोष्ठी में डा चित्रगुप्त को शाल उड़ाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

B.K Kushwaha

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