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Jhansi News: दलित युवक के कत्ल में आरोपी को उम्रकैद, अदालत ने कहा- साक्षी झूठ बोल सकते हैं, परिस्थितियां नहीं
Jhansi News: एससी/एसटी एक्ट कोर्ट के विशेष न्यायाधीश शक्तिपुत्र तोमर ने दलित युवक की हत्या के आरोप में दोषी पाए जाने पर आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही 33 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
Jhansi News: एससी/एसटी एक्ट कोर्ट के विशेष न्यायाधीश शक्तिपुत्र तोमर ने दलित युवक की हत्या के आरोप में दोषी पाए जाने पर आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही 33 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माना अदा न करने पर उसकी संपत्ति से वसूल किया जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि- पेबी का प्रसिद्ध कथन है कि साक्षी झूठ बोल सकते हैं, लेकिन परिस्थितियां नहीं। दोषी दीपक कबूतरा पुत्र विरेंद्र उर्फ भिंडू रक्सा थाना क्षेत्र के परवई का रहने वाला है। उसने दतिया के गोराघाट निवासी सुदामा के साथ मिलकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया था। सुदामा 2016 से भगौडा है।
विशेष लोक अभियोजक केशवेंद्र प्रताप सिंह व कपिल कारोलिया ने बताया कि सीपरी बाजार थाना क्षेत्र में रहने वाला नन्नू कोरी मजदूरी करता था। 19 सितंबर 2009 की शाम को आरोपी दीपक उसे घर बुलाकर ले गया था। तीन दिन बाद 22 सितंबर को नन्नू की लाश सिमरधा बांध में पानी में मिलती है। मृतक के पिता नत्थू ने दीपक और सुदामा के खिलाफ सीपरी बाजार थाना में अपहरण, हत्या और एससीएसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने नन्नू के साथ मारपीट की थी। फिर रस्सी से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी थी और शव को पानी में फेंक दिया था। हत्या में शामिल बाइक और रस्सी बरामद की गई थी।
मृतक के परिवार के सदस्य गवाही से मुकरे
विशेष लोक अभियोजक केशवेंद्र प्रताप सिंह व कपिल कारोलिया ने बताया कि अदालत में वादी पिता नत्थू कोरी, मां मीना देवी, चाचा मुलायम और प्रकाश गवाही से मुकर गए थे। पहले बयान दिया था कि नन्नू को घर से दीपक बुलाकर ले गया था। दीपक और सुदामा को बाइक पर जाते देखा। लेकिन बाद में इन बयानों से वे मुकर गए थे। वादी और अन्य गवाहों के पक्षद्रोही होने से अमूमन केस कमजोर हो जाता है, लेकिन अदालत ने अन्य सबूतों के आधार पर सजा सुनाई।
बाइक और रस्सी बरामद होना सजा के लिए ठोस आधार
लाश मिलने से तीन दिन पहले तहरीर दी गई। उसके आधार पर दीपक और सुदामा पर नामजद मुकदमा हुआ। मुकदमा में प्रारंभ से अभियुक्त नामित किए जाने को कोई अन्य आधार या रंजिश नहीं मिली। सजा का यही मुख्य आधार बना। अभियुक्त ही अंतिम व्यक्ति है, जिसके साथ मृतक को अंतिम बार देखा गया। उसके बाद तीसरे दिन उसकी लाश मिली। यह साक्ष्य आरोपी को सजा दिलाने में अहम कड़ी बनी। अभियोजन पक्ष कड़ी से कड़ी जोड़ने में सफल रहा। मृतक और अभियुक्त की पहले से जान पहचान होना, अभियुक्त के साथ मृतक का पूर्व में भी काम करना और लास्ट सीन थ्योरी को पुष्ट करते हुए अभियुक्त को मृतक को घर से बुलाकर ले जाना, फिर न मिलने पर गुमशुदगी की तहरीर देना, तीसरे दिन लाश के पानी में मिलना और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मारना-पीटना, लटकाना और पानी में फेंकना स्पष्ट है। आरोपी हत्या के बाद लाश को बाइक पर रखकर पानी में फेंकने गए थे। पुलिस ने आरोपी से बाइक और रस्सी बरामद की थी। ये भी सजा के लिए ठोस आधार बना।