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Jhansi News: इस तारीख से शुरू होगा सारस की गणना, सारस पक्षी दिखने पर यहां करें सूचित

Jhansi News: प्रभागीय वनाधिकारी एम०पी० गौतम ने बताया कि जनपद झांसी में गणना कार्य के सफल आयोजन हेतु वन विभाग द्वारा तैयारी पूर्ण कर ली गयी हैं।

B.K Kushwaha
Published on: 23 Jun 2023 7:08 PM IST
Jhansi News: इस तारीख से शुरू होगा सारस की गणना, सारस पक्षी दिखने पर यहां करें सूचित
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(Pic: Newstrack)

Jhansi News: प्रदेश के सभी जनपदों में 26 व 27 जून 2023 को राज्य पक्षी सारस का गणना का कार्य किया जायेगा। यह गणना प्रातःकाल 06 से 08 एवं सांयकाल 04 से 06 बजे तक दोनो दिन दो पालियों में कराया जा रहा हैं। शासन द्वारा वर्ष में 02 बार सारस गणना का कार्य कराया जाता हैं। एक शीतकाल में दूसरा ग्रीष्मकाल में। यह ग्रीष्मकालीन गणना हैं। प्रभागीय वनाधिकारी एम०पी० गौतम ने बताया कि जनपद झांसी में गणना कार्य के सफल आयोजन हेतु वन विभाग द्वारा तैयारी पूर्ण कर ली गयी हैं। सारस गणना के लिए सम्भावित क्षेत्रों (ऐसे जलाशय जहां सारस होने की सम्भावना हो) का चयन कर क्षेत्रीय वन अधिकारियों / सेक्सन / बीट प्रभारियों की टीमें गठित कर दी गयी हैं। शासन की मंशानुसार गणना कार्य में जनमानस की सहभागिता सुनिश्चित किये जाने हेतु महारानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के शोधार्थियों को भी शामिल किया गया हैं।

सारस दिखने पर यहां करें सूचित

प्रभागीय वनाधिकारी एम०पी०गौतम द्वारा आमजन से भी अपील की गयी हैं कि जिन लोगों को सारस दिखाई पड़े उसका जीपीएस युक्त फोटोग्राफ व उनकी संख्या कार्यालय के ईमेल आईडी [email protected] पर उपलब्ध कराते हुए लैण्ड लाइन नम्बर 0510-2370037 पर सूचित करें, जिससे की गणना में सहायता मिल सकें। प्रभागीय वन अधिकारी ने बताया कि सारस एक विशाल उड़ने वाला पक्षी है। उत्तर प्रदेश के इस राजकीय पक्षी को मुख्यतः गंगा के मैदानी भागों और भारत के उत्तरी और उत्तर पूर्वी और इसी प्रकार के समान जलवायु वाले अन्य भागों में देखा जा सकता है। भारत में पाये जाने वाला सारस पक्षी यहां के स्थाई प्रवासी होते है और एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहना पसन्द करते हैं।

सारस पक्षी का अपना विशिष्ठ सांस्कृतिक महत्व भी है। नर और मादा युगल एक दूसरे के प्रति पूर्णतः समर्पित होते हैं। एक बार जोड़ा बनाने के बाद ये जीवन भर साथ रहते हैं। अगर किसी दुर्घटना में किसी एक साथी की मृत्यु हो जाये तो दूसरा अकेले ही रहता हैं। पूरे विश्व में इसकी कुल आठ प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से चार भारत में पाई जाती हैं। प्रभागीय वनाधिकारी एम पी गौतम ने जन सामान्य से पुनः सारस गणना में सहयोग किए जाने की सादर अपील की।



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