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Jhansi News: देश में हर घंटे नौ बच्चे हो रहे लापता! बच्चों की ट्रैफिकिंग बड़ी समस्या, रेलवे स्टेशन पर चला जागरूकता अभियान

Jhansi News: बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के जिला संयोजक अमरदीप वमोनिया ने कहा कि हमारे देश के कई जिलों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं जुड़ी हैं। जिसमें मौजूद कमियां ऐसी स्थितियों को बढ़ावा देती हैं जो तस्करों को आकर्षित करती हैं और इस काम को करने में सक्षम बनाती हैं।

B.K Kushwaha
Published on: 30 July 2023 4:45 PM GMT
Jhansi News: देश में हर घंटे नौ बच्चे हो रहे लापता! बच्चों की ट्रैफिकिंग बड़ी समस्या, रेलवे स्टेशन पर चला जागरूकता अभियान
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(Pic: Newstrack)

Jhansi News: विश्व मानव दुर्व्यापार निषेध दिवस के अवसर पर 30 जुलाई को बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान एवं रेलवे सुरक्षा बल झांसी के संयुक्त तत्वावधान में वीरांगना लक्ष्मीवाई झांसी रेलवे स्टेशन पर मानव ट्रैफिकिंग के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान लोगों को ट्रैफिकिंग के खिलाफ शपथ भी दिलाई गई।

बच्चों का शोषण बन चुकी है विकराल समस्‍या

बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के जिला संयोजक अमरदीप वमोनिया ने कहा कि हमारे देश के कई जिलों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं जुड़ी हैं। जिसमें मौजूद कमियां ऐसी स्थितियों को बढ़ावा देती हैं जो तस्करों को आकर्षित करती हैं और इस काम को करने में सक्षम बनाती हैं। बच्चे आसान लक्ष्य होते हैं, जो अपने शिकार की तलाश में लगातार लगे इन शिकारियों के चंगुल में फंस जाते हैं। पीड़ित बच्चे शोषण के गंभीर रूपों, जैसे शारीरिक, यौन और भावनात्मक हिंसा, दुर्व्यवहार, यातना और सदमा, जबरन और बंधुआ मजदूरी, जबरन विवाह और दासता आदि का सामना करते हैं। देशभर में कई नागरिक संगठन, गैरसरकारी संगठन, सिविल सोसायटी और सरकारी स्‍तर पर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन समस्‍या इतनी विकराल हो चली है कि अब सामूहिक प्रयास करने की आवश्‍यकता है।

‘मानव तस्करी को रोकने के लिए बिल पास हो’

‘बचपन बचाव आन्दोलन’ के मनीष कुमार ने कहा कि मानव तस्करी को रोकने के लिए सरकार बहुत गंभीर है, इसलिए प्रशासन भी लगातार चेकिंग करता रहता है और इसके लिए जनहित में मानव तस्करों के खिलाफ एक अच्छा सा बिल पास होने वाला है, जो कि पीड़ितो के लिए बहुत ही सार्थक होगा। देश में बच्चों की ट्रैफिकिंग के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के संस्थापक वासुदेव ने कहा कि ‘यह तथ्य कि आज ज्यादा से ज्यादा लोग बच्चों के लापता होने की जानकारी देने सामने आ रहे हैं, अपने आप में एक बड़ा बदलाव है। यह इस बात का संकेत है कि जमीनी स्तर पर घर-घर जाकर हमने जो जागरूकता अभियान चलाया है, उससे लोगों की मानसिकता बदली है और सुखद नतीजे सामने आ रहे हैं।’ हालांकि सरकारें और कानून प्रवर्तन एजेंसियां पूरी मुस्तैदी से बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के प्रयासों में जुटी हुई हैं लेकिन इस संगठित अपराध को देश से पूरी तरह खत्म करने के लिए एक कड़े एंटी-ट्रैफिकिंग कानून की सख्त जरूरत है।

रोजाना आठ बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार

देश के विभिन्न हिस्सों में बाल दुर्व्यापार या बच्चों की ट्रैफिकिंग को रोकना दशकों से एक बड़ी चुनौती है। यद्यपि सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर प्रयासों के कारण ट्रैफिकिंग के मामले दर्ज होने की संख्या बढ़ी है लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना शेष है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के 2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हर घंटे नौ बच्चे लापता होते हैं, जबकि रोजाना आठ बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार होते हैं।

रिपोर्ट बताती है कि 2021 में देश 77,535 बच्चे लापता हुए जो 2021 के मुकाबले 31 फीसद ज्यादा है। इस अवसर पर रेलवे सुरक्षा बल से इंस्पेक्टर रविंद्र कुमार कौशिक, सब इंस्पेक्टर हरिओम सिकरवार, सपोर्ट पर्सन शिवानी पोरवाल, रेलवे चाइल्ड लाइन कोऑर्डिनेटर बिलाल उल-हक, सामाजिक कार्यकर्ता विकास निरंजन, वीकेश गौतम, दीपक गौतम नीलम झॉ सहित रेलवे सुरक्षा बल के लोग मौजूद रहे।

B.K Kushwaha

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