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Jhansi News: रेलवे वर्कशॉप हड़ताल मामले में दो कर्मचारी बर्खास्त, 17 को चार्जशीट

Jhansi News: हड़ताल के बाद हुई जांच के दौरान 17 लोगों को दोषी पाया है। इस आधार पर अभी तक दो लोगों को बर्खास्त कर दिया जबकि एक को निष्कासित किया गया। इसके अलावा 17 लोगों को चार्जशीट जारी की गई है।

B.K Kushwaha
Published on: 2 Sept 2023 9:28 PM IST
Jhansi News: रेलवे वर्कशॉप हड़ताल मामले में दो कर्मचारी बर्खास्त, 17 को चार्जशीट
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(Pic: Newstrack)

Jhansi News: एक जून 2022 को रेलवे वर्कशॉप में रेल कर्मचारियों द्वारा की गई हड़ताल का असर अब दिखना लगा है। माना जा रहा है कि रेलवे अफसर भी अपने वादों से पूरी तरह से बदल गए हैं? इसी कारण हड़ताल के बाद हुई जांच के दौरान 17 लोगों को दोषी पाया है। इस आधार पर अभी तक दो लोगों को बर्खास्त कर दिया जबकि एक को निष्कासित किया गया। इसके अलावा 17 लोगों को चार्जशीट जारी की गई है। इनमें छह रेल कर्मचारियों को मेजर चार्जशीट शामिल है। इस कार्रवाई को लेकर रेलवे वर्कशॉप के कर्मियों में काफी आक्रोश व्याप्त है। लगातार हो रही कार्रवाई को लेकर एशिया के सबसे बड़े झाँसी के वैगन मरम्मत कारखाना में किसी भी समय अब आग भड़क सकती हैं। रेलवे प्रशासन अपने वादों से मुकरने के बाद वर्कशॉप में बड़ी विस्फोट जैसी वारदात कराने की फिराक में है। इसमें रेलवे अफसरों को लेने के देने भी पड़ सकते हैं। यही नहीं, इस प्रकार की कार्रवाई को लेकर रेलवे कर्मचारी अभी किसी भी हद तक जा सकते हैं।

हड़ताल से प्रभावित हुआ था कामकाज

मालूम हो कि 1 जून को वैगन मरम्मत कारखाना के रेल कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। हड़ताल से रेलवे वर्कशॉप का काम भी प्रभावित हुआ था। हड़ताल पर गए कर्मचारियों की मांग की थी कि इंसेटिव बोनस नहीं दिया जा रहा था। इस मामले की जानकारी रेलवे बोर्ड के अफसरों को हुई तो मामले को गंभीरता से लिया था। वहीं, वैगन रिपेयर कारखाने में 1 जून से बिना किसी पूर्व सूचना/वार्ता के कारखाना कर्मचारियों द्वारा हड़ताल जारी है जो कि अवैधानिक है तथा बार-बार समझाने के बाद भी कार्य शुरु नहीं किया गया है। इस तरह से यह कृत्य रेल सेवा आचारण नियम 1966 के विरुद्ध है। अंतर रेलवे बोर्ड के पत्रांक 797-ई/ एनसीआर/ पॉलिसी/ स्ट्राइक के अनुसार इस अवैधानिक हड़तचाल अवधि को नौ वर्क- नौ पे माना जाएगा। रेलवे के मुताबिक हड़ताल की तिथि तक अर्जित सभी छुट्टी की जब्ती, वेतनवृद्धि की तिथि का स्थगन, अवकाश एवं पास की पात्रता के उद्देश्य से अवैध हड़ताल पर ड्यूटी पर पुनः प्रारंभ होने पर सेवा पुनः आरंभ करना, सेवानिवृत्ति पर भविष्य निधि/ ग्रेच्युटी में विशेष अंशदान के उद्देश्य से सेवा नए रुप से शुरु करना, परिस्थितियों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में मुख्य कारखाना प्रबंधक आर डी मौर्या ने वर्कशॉप की शाखाओं को पत्र जारी किया था। प्रयागराज से पीसीएमई और सीपीओ पर्सनल झाँसी आए थे।

इस मामले में जांच की जा रही थी। जांच में कई कमेटी बनाई गई थी। इनमें एसीएम (पी), ए डब्ल्यू एम, डिप्टी सीएमई आदि लोग शामिल थे। जांच कमेटी में कई बिन्दुओं को लेकर जांच की थी। जांच में 17 रेल कर्मचारियों के नाम प्रकाश में आए थे। इनमें छह लोगों को मेजर चार्जशीट की गई हैं। यही नहीं, 11 रेलकर्मचारियों को चार्जशीट जारी की। इसके अलावा रमाकांत शर्मा और सनी बांगवार को नौकरी से बर्खास्त कर दिया जबकि मुकेश पटेल को निष्कासित किया है। इसके अलावा हेमंत विश्वकर्मा, रजक मौर्या, बी के साहू आदि की जांच अभी विचाराधीन है। इसके अलावा तीन हजार रेल कर्मचारियों में से कई रेलकर्मचारियों को दो दिन का वेतन भी कांटा गया था।

उधर, इस कार्रवाई की जानकारी लगते ही वर्कशॉप के कर्मचारी आग बबूला हो गए। नाम न छापने की शर्त पर रेलकर्मचारियों ने बताया है कि इस तरह की कार्रवाई पूरी तरह से गलत हैं। वह लोग अपनी मांग को लेकर हड़ताल की थी। किसी रेल कर्मचारी का एक साल का इंक्रीमेंट रोका गया तो किसी के पीटीओ और पास तक बंद कर दिए हैं। इस प्रकार की तानाशाही ज्यादा दिनों तक नहीं चलती हैं। कोई भी रेलकर्मचारी हद पार कर सकता हैँ। इसकी जिम्मेदारी रेलवे अफसरों को होगी। रेलवे कर्मचारियों का कहना है कि इस समय वर्कशॉप के हालात काफी खराब है।

रेलवे राजस्व को लगाया जा रहा है चूना

रेलवे सूत्रों का कहना वर्कशॉप में जो गाड़ियां बनाई जा रही हैं। उसमें फर्जी फिट बनाए जा रहे हैं। गाड़ी लोड का हिसाब भी नहीं लिया जा रहा है। स्टॉफ द्वारा जो गाड़ी बनाई जाती है वह गाड़ी दो -दो दिन तक वर्कशॉप के अंदर ही खड़ी रहती हैं। यहां पदस्थ रेलवे अफसर, रेलवे बोर्ड व मुख्यालय के अफसरों को पूरी तरह से गुमराह कर रहे हैं। फर्जी फिट बनाई जा रही है।

ड्यूटी समाप्त होने के बाद क्यों ली जाती है बैठक

रेलवे सूत्रों का कहना है कि रेलवे वर्कशॉप में शाम पांच बजे ड्यूटी समाप्त हो जाती हैं। इसके बाद रेलवे वर्कशॉप के सीनियर अफसरों द्वारा अधीनस्थ अफसरों के साथ बैठक की जाती है। बैठक में एसएसई अफसरों के साथ दुर्व्यहार किया जा रहा है। यही कारण है कि अभी तक रेलवे वर्कशॉप के आधा दर्जन से अधिक रेलवे कर्मचारी आत्महत्या कर चुके हैँ।

तानाशाह रेलवे अफसरों पर हावी हो सकते हैं रेलकर्मचारी?

रेलवे वर्कशॉप में जिस तरह का माहौल बना हुआ है। इससे प्रतीत होता हैं कि रेलवे कर्मचारी किसी भी समय तानाशाह रेलवे अफसरों पर हावी हो सकते हैं? इसका नुकसान तानाशाह अफसरों को झेलना पड़ सकता हैं? इसमें कुछ रेल कर्मचारी ऐसे भी है जो अपनी जान भी दे सकते हैं? यही नहीं, रेलवे अफसरों को छेड़छाड़ जैसे गंभीर अपराधों में जेल भी भिजवा सकते हैं?

इस तरह की कार्रवाई से रेल प्रशासन का गलत रवैया

नॉर्थ सेन्ट्रल रेलवे इम्प्लाइज संघ के मंडल सचिव भानु प्रताप सिंह चंदेल का कहना है कि जब रेलवे वर्कशॉप में हड़ताल हुई थी, उस समय रेलवे के संगठनों के साथ रेलवे प्रशासन के अफसरों ने वार्तालाप की थी। वार्तालाप में सहमति बनी थी कि दो दिन जो हड़ताल हुई है, उसकी रेलवे कर्मचारी पूरी तरह से भरपाई करेंगे। इसके लिए रेलवे कर्मचारी मान गए थे। इसके बावजूद रेलवे प्रशासन ने अपना गलत रवैया अपनाया है। किसी को नौकरी से निकाल रहा है तो किसी को चार्जशीट दे रहा हैं। यह बिल्कुल गलत है। इस तरह की कार्रवाई से रेलवे प्रशासन ने वैगन मरम्मत कारखाना में विस्फोट जैसी वारदात करवाने की फिराक में हैं। उनका कहना है कि वर्कशॉप में किसी तरह की वारदात न हो इसके पहले रेल प्रशासन को रेलवे कर्मचारियों से वार्तालाप कर स्थिति नियंत्रण में ले लें।

इस तरह की कार्रवाई से रेलवे कर्मचारियों को टूटता है मनोबल

उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी संघ के जोनल संगठन मंत्री सी के चतुर्वेदी ने रेलवे कारखाना झाँसी में औद्योगिक अशांति का वातावरण के मामले में एनसीआर के महाप्रबंधक को पत्र भेजा था। पत्र के माध्यम से मांग की गई थी कि झाँसी कारखाना प्रशासन के लापरवाह अधिकारियों को परे रखकर अन्य योग्य तथा कर्मचारियों की समस्या के प्रति संवेदनशील समझ रखने वाले अधिकारियों द्वारा जांच करवाकर औद्योगिक शांति की पहल की जाए जिससे कर्मचारियों में व्याप्त रोष को ठंडा किया जा सकता था, मगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। इस तरह की कार्रवाई से रेलवे कर्मचारियों में आक्रोश भड़क रहा है। उनका कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से रेलवे कर्मचारियों को मनोबल टूटता हैं। साथ ही परिवार भी भूखमरी की कगार पर आ सकता है।

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