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मंदिर निर्माण के नायक को आज भी उस फैसले पर गर्व, बस एक इच्छा रह गई बाकी
राम मंदिर निर्माण के नायकों में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का भी महत्वपूर्ण स्थान है।
अयोध्या: राम मंदिर निर्माण के नायकों में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का भी महत्वपूर्ण स्थान है। वे 1992 में विवादित ढांचा तोड़े जाने के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और इस घटना के बाद उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था। कल्याण सिंह का मानना है कि यदि अयोध्या में विवादित ढांचा बना रहता तो इस विवाद के समाधान का रास्ता भी नहीं निकलता। उनका मानना है कि विवादित ढांचा ढहाए जाने से ही मंदिर निर्माण का मार्ग निकला है।
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भूमि पूजन में नहीं शामिल होंगे कल्याण
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अयोध्या में बुधवार को होने वाले ऐतिहासिक भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। कोरोना महामारी की वजह से वह लखनऊ स्थित अपने आवास से ही इस ऐतिहासिक क्षण को देखेंगे। कल्याण सिंह ने हाल में एक टीवी चैनल के पत्रकार को इंटरव्यू दिया था और बाद में वह पत्रकार कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। इसके बाद कल्याण सिंह होम क्वारंटाइन हो गए हैं। पहले उन्होंने अयोध्या जाने का कार्यक्रम बनाया था और इस बाबत वहां के डीएम और सांसद से भी बात की थी मगर अब उनका अयोध्या जाने का कार्यक्रम स्थगित हो गया है।
ढांचा तोड़ने से ही निकली मंदिर की राह
पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि यदि 1992 में 6 दिसंबर को कारसेवकों ने विवादित ढांचे को ना तोड़ा होता तो शायद इस विवाद का समाधान खोजने की कोशिशें भी तेज न हो पातीं। विवादित ढांचे को तोड़े जाने से ही मंदिर निर्माण का रास्ता निकला है। उनका कहना है कि यह मेरा सौभाग्य है कि जब भी श्री राम जन्मभूमि और अयोध्या आंदोलन का जिक्र आएगा तो अयोध्या आंदोलन के नायकों के साथ मेरा भी नाम जरूर लिया जाएगा। उनका कहना है कि प्रभु श्रीराम की कृपा से ही मुझे यह सौभाग्य हासिल हुआ है।
गोली न चलाने के आदेश पर गर्व
उन्होंने कहा कि मुझे 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों पर गोली न चलाने के आदेश पर आज भी गर्व है। उन्होंने कहा कि 1992 में 6 दिसंबर को फैजाबाद के जिला प्रशासन ने मुझे स्थिति विस्फोटक होने की जानकारी दी थी। जिला प्रशासन का कहना था कि भीड़ बहुत ज्यादा होने के कारण सुरक्षाबलों की टुकड़ियों साकेत महाविद्यालय से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं और गोली चलाकर ही उग्र भीड़ को काबू में किया जा सकता है। इस अनुरोध पर मैंने पूरी दृढ़ता के साथ किसी भी स्थिति में कारसेवकों पर गोली न चलाने का आदेश दिया था। मुझे आज भी उस आदेश पर गर्व है क्योंकि कोई राम भक्त दूसरे राम भक्तों के रक्त से अपना हाथ नहीं रंग सकता।
मस्जिद नहीं, सिर्फ जर्जर ढांचा था
मुझे आज भी बात पर गर्व महसूस होता है कि 28 साल पहले मैंने कितना उचित फैसला लिया था। कारसेवकों ने जिस मस्जिद को ढहा दिया उसमें 1936 से कोई नमाज पढ़ी ही नहीं गई थी। जब वहां इतने दिनों से कोई नमाज नहीं पढ़ी गई तो फिर मस्जिद के अस्तित्व की बात ही गलत है। उन्होंने कहा कि इस बात को समझना जरूरी है कि वह मस्जिद नहीं बल्कि एक जर्जर ढांचा मात्र था।
अब सिर्फ एक इच्छा रह गई है बाकी
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अब मेरी बस एक ही इच्छा है कि प्रभु राम के जन्म स्थान पर भव्य राम मंदिर का दर्शन कर सकूं। मैं राम के जन्म स्थान की भव्यता का दर्शन करने के बाद ही चैन से मरना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन ने कथित धर्मनिरपेक्षता की आड़ में तुष्टीकरण की सियासत करने वालों को सबक सिखा दिया है। ऐसे लोग आज हाशिए पर पहुंच चुके हैं। ऐसे लोगों को राष्ट्रवाद की ताकत समझ में आ चुकी है।
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रामराज की अवधारणा पर हो राष्ट्र निर्माण
उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही राष्ट्र की अस्मिता से खिलवाड़ करने वालों को मुंह तोड़ जवाब मिल चुका है। अब रामराज की अवधारणा पर राष्ट्र निर्माण का कार्य किया जाना बाकी है। अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण की शुरुआत के साथ ही यह कार्य शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि बस मेरी एक ही व्यक्तिगत इच्छा बाकी रह गई है कि मेरे जीवनकाल में ही भगवान राम का भव्य मंदिर जल्द से जल्द बनकर तैयार हो जाए।
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