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कानपुर कांड का सचः सीओ को कुल्हाड़ी से काटा, फिर चलाते रहे गोलियां

बिकरू गांव के कई लोगों को पुलिस ने पकड़ा है लेकिन कोई भी ग्रामीण कुछ बोलने को तैयार नहीं है। पूछने पर उनका कहना है कि वह खेत में था तो कोई कहता है कि वह घर में सो रहा था। कुछ का कहना है उसे कुछ नहीं पता उसने कुछ नहीं सुना।

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Published on: 3 July 2020 1:27 PM IST
कानपुर कांड का सचः सीओ को कुल्हाड़ी से काटा, फिर चलाते रहे गोलियां
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कानपुर। कानपुर पुलिस टीम की जघन्य हत्या ने उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश को हिला दिया है। गुरुवार रात एक बजे माफिया विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम के आठ पुलिस कर्मचारियों को घेर कर विकास दुबे ने घसीटकर बेरहमी से हत्या कर दी। इस नृशंस हत्याकांड में एक डिप्टी एसपी, तीन इंस्पेक्टर चार सिपाही शहीद हुए हैं। चार पुलिसकर्मी बुरी तरह घायल हुए हैं जिन्हें कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कई पुलिसकर्मी अभी लापता हैं। घटना के बाद तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। कानपुर की सभी सीमाएं सील कर दी गई हैं। विकास दुबे के सभी संभावित ठिकानों पर पुलिस ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है।

शहीद पुलिसकर्मियों में डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्र, शिवराजपुर के एसओ महेश चंद्र यादव भी शहीद हुए हैं जबकि मुख्य आरोपी विकास दुबे सपा का नेता है, उसकी पत्नी ऋचा दुबे सपा से जिला पंचायत का चुनाव लड़ चुकी है।

बिठूर व चौबेपुर पुलिस गई थी पकड़ने

यह क्ररतम हत्याकांड लखनऊ से 150 किमी दूर कानपुर के डिकरु गांव में हुआ है। गुरुवार रात करीब एक बजे के लगभग बिठूर और चौबेपुर पुलिस ने मिलकर विकास दुबे के गांव बिकरू में उसके घर पर दबिश दी।

विकास ने हाल में एक हत्या की थी इस मामले में पुलिस उसे पकड़ने गई थी। लेकिन शातिर विकास दुबे ने गिरफ्तार करने के इरादे गई टीम पर घात लगाकर हमला कर दिया। पुलिस टीम ने भी गोलियां चलाईं लेकिन अपराधियों का हमला जबर्दस्त था। उन्होंने अत्याधुनिक असलहों का इस्तेमाल किया।

पुलिस गाड़ी को जेसीबी लगाकर रोका

सूत्रों के अनुसार, गांव में रात में अंधेरा था। ऐसा लगता है कि विकास दुबे के पुलिस के आने की भनक पहले ही लग गई थी उसने सड़क पर जेसीबी इसी तरह खड़ी करवा दी कि पुलिस की जीप आगे नहीं जा सके। यही रास्ता विकास दुबे को घर को जाता था।

पुलिसकर्मियों के पास सर्चलाइट थी। लेकिन सर्चलाइट ऑन होते ही अपराधियों ने फायरिंग शुरू कर दी। अपराधियों की तेज फायरिंग से बचने के लिए पुलिस वाले बचने को इधर उधर भागने लगे। कुछ पुलिसकर्मी जो अपनी जान बचाने के लिए आसपास के घरों में छिप गए।

खोज खोज कर मारा पुलिस वालों को

बताते हैं कि पुलिस के कमजोर पड़ते ही अपराधी खुलकर बाहर निकल आए और असंगठित होकर यहां-वहां छिपे पुलिसकर्मियों को तलाश तलाश कर मारना शुरू कर दिया। कुछ पुलिस कर्मचारियों को दूर तक घसीट कर गोली मार दी। विकास के घर के बाहर भी 100 मीटर दूर तक खून के निशान हैं जो किसी घायल को घसीटने से बनते हैं।

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सूत्रों का ये भी दावा है कि डीएसपी देवेंद्र मिश्र अपराधियों से बचने के लिए छत से कूद गए। जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए। अपराधियों ने उनके पैर पर कुल्हाड़ी से वार किया फिर गोली मार दी। हालांकि इन बातों की पुष्टि नहीं हो पाई है।

पुलिस की तैयारी थी अधूरी

सूत्रों का यह भी कहना है कि तीन दशक से अपराध की दुनिया पर राज करने वाले विकास से मोर्चा लेने वाली पुलिस के पास बुलेटप्रूफ जैकेट या हेलमेट जैसा कोई उपकरण नहीं था। स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रॉसिजर का पालन न किए जाने के सवाल का जवाब फिलहाल पुलिस अधिकारियों ने नहीं दिया है।

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बिकरू गांव के कई लोगों को पुलिस ने पकड़ा है लेकिन कोई भी ग्रामीण कुछ बोलने को तैयार नहीं है। पूछने पर उनका कहना है कि वह खेत में था तो कोई कहता है कि वह घर में सो रहा था। कुछ का कहना है उसे कुछ नहीं पता उसने कुछ नहीं सुना। पुलिस का मानना है कि ग्रामीणों की मदद के बिना भी कोई भी अपराधी इतनी हिमाकत नहीं कर सकता है।

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विकास दुबे की संपत्ति करोड़ों बताई जाती है। वह जमीनों पर कब्जा करके हड़पने में माहिर है। उसके कई ईंट भट्टे और कॉलेज हैं। विकास दुबे का घर किले जैसा है। घर के चारो तरफ दस फुट ऊंची दीवारें हैं। इन दीवारों से अंदर झांकना संभव नहीं है। इन दीवारों के ऊपर कटीले तार लगे हैं। दीवारों पीछे बहुत बड़ा मैदान है।



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