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Kanpur news:भीतरगांव के इस मंदिर ने बताया अबकी मानसून रहेगा कमजोर,बेहटा बुजुर्ग गांव का मंदिर मानसून के लिए है प्रसिद्ध

Kanpur News: जगन्नाथ मंदिर भीतरगांव के गर्भगृह में बीते एक सप्ताह से पानी धीरे-धीरे टपक रहा है। पानी सिर्फ एक ही पत्थर से गिरता है। पत्थर अभी आधा ही भीगा है। मंदिर के पुजारी ने कहा कि कई बार पत्थर पूरा भी भीग चुका है, जिस वर्ष पानी ज्यादा टपकता है उस साल बारिश अच्छी होती है।

Anup Panday
Published on: 6 Jun 2023 6:19 PM IST (Updated on: 6 Jun 2023 6:19 PM IST)
Kanpur news:भीतरगांव के इस मंदिर ने बताया अबकी मानसून रहेगा कमजोर,बेहटा बुजुर्ग गांव का मंदिर मानसून के लिए है प्रसिद्ध
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जगन्नाथ मंदिर भीतरगांव, कानपुर

Kanpur News: जहां वैज्ञानिकों ने अबकी बार कानपुर में मानसून के आसार जुलाई में दिए है।तो वहीं कानपुर के भीतरगांव स्थित प्राचीन मंदिर भगवान जगन्नाथ ने इस बार मानसून के कमजोर होने का संकेत दिया है। मान्यता है कि बूंदों के आकार के अनुसार बारिश कैसी होगी इसका आकलन किया जाता है। इस बार बूंदों का आकार छोटा है। गुंबद के एक भाग से गर्भगृह में पानी की बूंदें टपकना शुरू हो चुकी हैं। माना जा रहा है अबकी मानसून कमजोर रहेगा।
मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला ने बताया कि सात पीढ़ियों से उनका परिवार मंदिर की सेवा कर रहा है। वहीं मानसून से पहले मंदिर के गुंबद में लगे पत्थर से पानी टपकना शुरू हो जाता है। पूरे देश में इस मंदिर को मानसून मंदिर के नाम से जाना जाता है। और हर मनोकामना भी पूरी होती है।लोग दूर दूर से इस मन्दिर में आते है।खास तौर से तब जब मानसून आने वाला हो और मानसून के आसार देखने हो।

गर्भगृह में एक सप्ताह से पानी धीरे धीरे टपक रहा

गर्भगृह में बीते एक सप्ताह से पानी धीरे-धीरे टपक रहा है। पानी सिर्फ एक ही पत्थर से गिरता है। पत्थर अभी आधा ही भीगा है। मंदिर के पुजारी ने कहा कि कई बार पत्थर पूरा भी भीग चुका है, जिस वर्ष पानी ज्यादा टपकता है उस साल बारिश अच्छी होती है।

मन्दिर की नक्काशी दूसरी व चौथी सदी की होने का दावा करती है

मंदिर के भीतर भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ बहन सुभद्रा की काले पत्थर की मूर्तियां स्थापित हैं। पुरातत्व विभाग से संरक्षित इस मंदिर के निर्माण को लेकर इतिहासकारों के कई मत हैं। गर्भगृह के भीतर व बाहर की गई नक्काशी मंदिर को दूसरी व चौथी सदी का होने का दावा करती है। वहीं कुछ इतिहासकर मंदिर की कुछ कलाकृतियों को देखकर इसे चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल का होने की बात कहते हैं।बौद्ध स्तूप की शैली से निर्मित मंदिर को 11 वीं शताब्दी के आसपास का माना जाता है।

पुरातत्व विभाग, आईआईटी जैसे विदेश के वैज्ञानिक आ चुके है मंदिर

मंदिर की यह विशेषता वर्तमान में मौसम वैज्ञानिकों के साथ-साथ देश-विदेश के वैज्ञानिकों के लिए पहले बन चुका है। कई बार पुरातत्व विभाग, आईआईटी समेत विदेश से वैज्ञानिक आ चुके हैं लेकिन पानी टपकने का रहस्य आज भी बरकरार है।



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Anup Panday

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