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Behta Bujurg Temple Kanpur: कानपुर में ऐसा मन्दिर जो करता है मानसून की भविष्यवाणी, उड़ीसा के जगन्नाथ धाम से अलग

Behta Bujurg Temple Kanpur: इस मंदिर में बारिश के साथ मानसून आने से पहले ही बरसात की बूंदें टपकना शुरू हो जाती है।

Yachana Jaiswal
Published on: 7 Jun 2023 9:22 PM IST
Behta Bujurg Temple Kanpur: कानपुर में ऐसा मन्दिर जो करता है मानसून की भविष्यवाणी, उड़ीसा के जगन्नाथ धाम से अलग
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Behta Bujurg Temple Kanpur - Pic Credit - Social Media

Behta Bujurg Temple Kanpur: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के घाटमपुर एरिया में भीतरगांव के बेहटा बुजुर्ग में उड़ीसा से अलग एक अलौकिक जगन्नाथ मंदिर है। इस मंदिर में बारिश के साथ मानसून आने से पहले ही बरसात की बूंदें टपकना शुरू हो जाती है। इस बूंदा बांदी से आने वाले मानसून के बारिश का आशंका जताई जाती है। इसको मानस के लिए संकेत माना जाता है।

अबकी कैसा रहेगा मानसून

इस वर्ष में अबकी मानसून कब आएगा, बारिश का लेवल क्या रहेगा, कैसी बारिश होगी... इस अद्भुत मंदिर जोकि कानपुर में घाटमपुर के भीतरगांव ब्लाक के बेहटा बुजुर्ग गांव में है इस मंदिर के चमत्कारी माने जाने वाले भगवान जगन्नाथ के मंदिर ने यहां के लोगों को बारिश का संकेत दे ही दिया है। मंदिर के गुंबद पर लगे पत्थरों का पानी से भींग जाना बूंदों का दिखना मानसून आने का संकेत दे रहा है। इतना ही नहीं इसी साथ पत्थर पूरी तरह भींगने से अबकी बार अच्छी बारिश होने का भी अनुमान लगाया जा रहा है। मौसम विशेषज्ञ का भी कहना है कि अबकी बारिश जोर दार होने वाली है। मौसम में अलग ही बदलाव देखने को मिलेगा।

मंदिर के पुजारी का कहना है यह संकेत सटीक रहता है,

कानपुर के इस भगवान जगन्नाथ मंदिर में अपने आप कई अनसुलझे रहस्य समेटे हुए है। इस मंदिर के गुंबद पर लगे पत्थर में मानसून आने से पहले ही पानी की बूंदें दिख जाती हैं। इन बूंदों को लेकर मंदिर के पुजारी अनुमान लगाते हैं कि इस बार आने वाला मानसून कैसा रहेगा? मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला का कहना है कि इस वर्ष मानसून के संकेत में पत्थर पूरी तरह भीगा हुआ है। इन पानी के बूंदों के गिरने की गति भी काफी तेज है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अबकी इस बार काफी अच्छी बारिश होगी। 10 से 15 दिन के अंतराल में मानसून आने की पूरी संभावना जताई जा रही है। पुजारी का कहना है कि एक महीने पहले भी गुम्बद का पत्थर गीला हुआ था, तब कम छोटी बूंदें दिखी थीं जो आने वाली आंधी-बारिश का संकेत थी। और आंधी बारिश के आसार देखने को भी मिले थे। मानसून आने से पहले यहां पर जब बूंदों का आकार छोटा होता है साथ ही पूरा पत्थर नहीं भींगता केवल एक या दो कोना ही गीला रहता है तो इससे अच्छी बारिश का संकेत नहीं माना जाता।

उड़ीसा के मंदिर से अलग है,

कानपुर, बेहटा बुजुर्ग का यह भगवान जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा के मंदिर की संरचना से बहुत अलग है। उड़ीसा के मंदिरों में भगवान जगन्नाथ के साथ बलदाऊ और बहन सुभद्रा की प्रतिमाएं रखी रहती हैं। इस मंदिर में केवल साथ में सिर्फ बलराम की छोटी सी प्रतिमा है। मंदिर के पीछे भी प्रतिमाओं को दीवारों पर उकेरा गया है, जिसमें दशावतारों में महावीर बुद्ध की जगह बलराम का चित्र उत्कृष्ट है।

मंदिर के इतिहास पर कुछ कह पाना मुश्किल,

बेहटा बुजुर्ग का यह मंदिर पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है।इस मंदिर का निर्माण कब हुआ इस पर कुछ भी कहना एक प्रश्न खड़ा करता है इसलिए इसे असमंजस में माना जाता है। यह मंदिर बाहर से बौद्ध स्तूप जैसा दिखाई पड़ता है। इस मंदिर की दीवारें लगभग 14 फीट मोटी होती है। मंदिर का अंदर का हिस्सा 700 वर्ग फीट का है। मंदिर के एकदम सामने एक प्राचीन कुआं और तालाब भी मौजूद है।

मंदिर के बाहर के दीवार पर बने मोर और चक्र के निशान देखकर लोगो का मानना है कि इसे चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के काल में बनाया गया था। मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थापित अयाग पट्ट को देखकर इसे 2000 ईसा पूर्व की संस्कृति से भी जोड़ा जाता है।



Yachana Jaiswal

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