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Kanpur History: मैदान ए जंग में भाई ने बहन की काटी गर्दन, नहीं होने दिया कुतुबुद्दीन ऐबक के हवाले

Kanpur History: भारत में बाबर ने मुगल वंश की स्थापना की थी और वह इसका संस्थापक कहा जाता है। करीब 200 सालों तक भारत में मुगलों का राज रहा और यह 21 सितंबर 1857 में जाकर खत्म हुआ। इस दौरान मुगलों ने हिन्दुओं पर काफी अत्याचार किया।

Viren Singh
Published on: 31 Aug 2023 7:35 PM IST (Updated on: 1 Sept 2023 10:54 AM IST)
Kanpur History: मैदान ए जंग में भाई ने बहन की काटी गर्दन, नहीं होने दिया कुतुबुद्दीन ऐबक के हवाले
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story of hindu king (सोशल मीडिया)

Story of Hindu King: हिन्दुस्तान यूं ही नहीं सोने की चिड़िया कहा जाता था... और है। इस सोने से चिड़िया वाले देश को अंग्रेजों से पहले लूटने का काम मुस्लिम शासक यानी मुगल सम्राटों ने किया। हिन्द की धरती पर मुगल का आगमन 1526 में हुआ और उन्होंने 1857 तक राज किया। इस दौरान अनेक मुगल शासकों ने दिल्ली की गद्दी पर अपना अधिकार स्थापित करते हुए हिन्दुस्तान पर अपना राज चलाया। इनमें से कई मुगल बादशाह ऐसे हुए, जिन्होंने शासन के दौरान हिन्दू सभ्यता को खत्म करने का काम किया। हिन्दुओं के मंदिरों पर आक्रमण करते हुए उन्हें नुकसान पहुंचा, साथ ही देश के अगल-अलग प्रांतों में शासन कर रहे हिन्दुओं राजाओं जबरदस्ती हमला कर उनके राज्यों पर कब्जा किया और राजाओं की पत्नी और पुत्रियों को अपना दास बनाने पर विवश करते हुए उन पर अत्याचार भी किये। तो कुछ मुगल बादशाह ऐसे भी हुए कि हिंदुस्तान पर शासन करते हुए उन्होंने देश नहीं लूटा, बल्कि प्रजा की भलाई के कदम उठाए। हालांकि इनकी संख्या कम रही।

कई रानियों ने मुगल के अत्याचार से बचने के लिए या तो तलवार उठाई या फिर जौहार (अग्नि में खुद समा जाना) किया। भारत में मुगलों को कड़ा मुकाबला राजपूत-मराठा शासक वाले राजाओं से मिला। राजपूत और मराठा कभी भी मुगल शासक के आगे नहीं झुके, फिर शासक कोई भी रहा हो। भारत में बाबर ने मुगल वंश की स्थापना की थी और वह इसका संस्थापक कहा जाता है। करीब 200 सालों तक भारत में मुगलों का राज रहा और यह 21 सितंबर 1857 में जाकर खत्म हुआ। इस दौरान मुगलों ने हिन्दुओं पर काफी अत्याचार किया। आज कहानी में एक ऐसे मुगल बादशाह की बात करेंगे, जिसने एक हिन्दु राज की बेटी की सुंदरता पर कायल होते हुए अपनी बेगम बनाने के लिए राज्य पर हमला करवा दिया था। और अंत में युद्ध के मैदान ने बहन की पुकार सुनकर राजा के पुत्र ने अपनी बहन पर ही तलवार उठा ली थी... और फिर जो हुआ वह आज इतिहास में दर्ज हो गया।

कानपुर के सज्जन सिंह राजा की है कहानी

उत्तर प्रदेश का कानपुर शहर हमेशा से संघर्ष की कहानी से भरा रहा है। क्या मुगल क्या अंग्रेज इस शहर के वीर योद्धाओं ने डटकर मुकाबला किया और कई हद तक मात भी दी। कानपुर के पास किशौरा नामक जगह है, जो अब कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र में आता है। वहां पर हिन्दू राजपूत राजा था, जिसका नाम सज्जन सिंह था। उस राजा दो बच्चे थे। एक पुत्री एक और एक पुत्र। पुत्र का नाम लक्ष्मण सिंह था और पुत्री नाम ताजकुंवरी था। राजा सज्जन सिंह ने अपनी पुत्री को भी पुत्र के समान ही घोड़े पर चढ़ने और तलवार,भाला आदि चलाने की शिक्षा दी। उस समय दिल्ली में बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक राज चल रहा था। ऐबक की सेना लोगों पर लोगों पर कहीं भी बिना किसी कारण आक्रमण कर दी थी।

ऐबक बनाना चाहता था राजा की पुत्री को बेगम

एक बार राजा के पुत्र लक्ष्मण सिंह और राजकुमारी ताजकुँवरी घोड़े पर चढ़कर शिकार खेलने निकले। वन में कुतुबुद्दीन ऐबक से जुड़े हुए बारह-चौदह मुसलमान एक झाड़ी में छिपे कुछ सलाह कर रहे थे। जब इन लोगों ने देखा कि राजा का पुत्र और पुत्री बिना सैनिक के जा रहे हैं तो वह लोग उन पर लाठियां लेकर दोनो पर टूट पड़े। लक्ष्मण सिंह और ताजकुँवरी ने भी अपनी तलवारें खींच ली और वे दोनोम उन लोगों का सामना करने लगे। लक्ष्मण सिंह ने थोड़ी देर मे पांच आक्रमणकारियों का सिर अलग कर दिया। वहीं, ताजकुँवरि ने तीन लोगों को मारा। इस दौरान कुछ लोग बचकर भाग निकले और वह दिल्ली पहुचें। वहां उन्होंने मुगल शासक कुतुबुद्दीन से उभाड़ा कि ताजकुँवरी सुदंरता की बखान की और बादशाह अपनी बेगम बना लें कि सलाह दी। कुतुबुद्दीन ने उन लोगो की बात मान ली | दिल्ली की मुसलमानी सेना ने किसौरा का किला घेर लिया। उस छोटे से राज्य के थोड़े से राजपूत सैनिक किले से बाहर निकले और शत्रुओ पर टूट पड़े।

बादशाह ने दिया था जिंदा पकड़कर लाने का आदेश

इस दौरान किले के कंगूरे पर से राजकुमार और राजकुमारी युद्ध देख रहे थे। उन्होने देखा कि बहुत बड़ी मुसलमानी सेना के सामने राजपूत वीर एक-एक करके मारे जा रहे हैं। किशौरा की सेना घटती चली जा रही है। फिर भाई-बहन ने सलाह की और वीर वेष मे घोड़े पर चढ़कर युद्ध मैदान की ओर चल पड़े। दोनो की तलवारे शत्रुओं को मूली की भांति काटने लगी। वहीं, बादशाह कुतुबुद्दीन दूरबीन लगाये दूर से युद्ध देख रहा था। उसने ताजकुंवरि को युद्ध करते देखा तो अपने सिपाहियों से बोला, जाओ उसकी लड़की को जीवित पकड़कर मेरे पास हाजिर करो, जो ऐसा करेगा उसे मुंह मांगा ईमान मिलेगा।

सेना से बचने के लिए बहन ने लगाई थी भाई से यह पुकार

बादशाह की घोषणा को सुनकर अनगिनत मुसलमान सैनिक के राजपूतों पर टूट पड़े। राजा सज्जन सिंह और उनके साथी राजपूत सैनिक युद्ध मे मारे गए। जब राजा की पुत्री ताजकुँवरि ने देखा कि मुसलमान सैनिक उसके पास आते जा रहे है तो उसने युद्ध के मैदान मेंलक्ष्मण सिंह से कहा...भैया अपनी बहन को बचाओ। यह वाक्य सुनकर लक्ष्मण की आंख में आँसू आ गए। उसने कहा बहन...अब तुम्हें बचाने का क्या उपाय मेरे पास है? तब बहन ताजकुवरि ने अपने भाई को ललकार और कहा राजपूत होकर रोते हो अरे, मेरा शरीर तो कभी न कभी मरेगा ही, तुम मेरे धर्म को बचाओ। यह मुगल सेना अपवित्र हाथ तुम्हारी बहन को न छू पाए।

मुगल से बचाने के लिए भाई ने बहन पर उठाई तलवार

अपनी बहन की यह वाक्य बोलते ही लक्ष्मण सिंह की समझ मे बात आ गई और भाई ने युद्ध के मैदान में तलवार के एक झटके से ताजकुँवरि अपनी बहन का सिर शरीर से अलग कर दिया। फिर वह शत्रुओं पर टूटा पड़ा। इस युद्ध में कुतुबुद्दीन विजयी तो हुआ, पर उसके हाथ विजय में लाशें और किशौरा का सूना किला मिला।

(नोट: यह जानकारी सूचना कानपुर इतिहास समिति के महासचिव अनुप शुक्ला के माध्यम से मिली है।)

Viren Singh

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