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Kanpur News: दो बेटियों का भारतीय हैंडबॉल टीम में चयन, एक के पिता करते हैं सिलाई का काम, दूसरे के पिता हैं इस पेशे में

Kanpur News: कानपुर की दो बेटियों ने शहर के साथ अपने परिवार का नाम रोशन किया है। शहर की सपना कश्यप और ज्योति शुक्ला का चयन भारतीय हैंडबॉल टीम में हुआ है।

Anup Panday
Published on: 14 Aug 2023 1:46 PM GMT
Kanpur News: दो बेटियों का भारतीय हैंडबॉल टीम में चयन, एक के पिता करते हैं सिलाई का काम, दूसरे के पिता हैं इस पेशे में
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सपना कश्यप अपने परिवार के साथ और ज्योति शुक्ला: Photo- Newstrack

Kanpur News: कानपुर की दो बेटियों ने शहर के साथ अपने परिवार का नाम रोशन किया है। शहर की सपना कश्यप और ज्योति शुक्ला का चयन भारतीय हैंडबॉल टीम में हुआ है। यह दोनों खिलाड़ी पेरिस में होने वाली ओलंपिक गेम्स 2024 में प्रतिभाग करेंगी।

पिता ने खेल में नहीं आने दी कोई बाधा

इन बेटियों ने तमाम मुसीबतों का सामना करने के बावजूद अपने जज्बे को नहीं डिगने दिया। इनके पिता दो वक्त की रोटी बंदोबस्त करते थे। खेलने के लिए पूरी किट भी नहीं थी। खेल के हिसाब से भोजन भी नहीं। इसके बावजूद वो खेलने जाती रहीं। अभ्यास को ग्रीनपार्क के प्रशिक्षकों ने देखा तो उन्होंने सपोर्ट किया। प्रशिक्षक हों या फिर हैंडबॉल एसोसिएशन सभी ने बढ़कर मदद की। जिनकी वजह से आज अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में खेलने का मौका मिला।

पिता करते सिलाई का काम

फूलबाग के निवासी अशोक कश्यप सिलाई का काम करते हैं। बेटी सपना कश्यप ने बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा होने के साथ 2013 में हैंडबॉल खेलना शुरू किया था। सपना ने बताया कि जब मैं कक्षा 6 में थी तो स्कूल में बच्चों को हैंडबॉल खेलते देखती थी। परिवार में खेलने की बात की तो मना नहीं किया गया। फिर ग्रीनपार्क में अभ्यास करने जाने लगी। 2014 में पहली बार कानपुर मंडल की टीम में चयन हुआ और टीम को जिताया। वहीं से हैंडबॉल के प्रति लगन और बढ़ गई।

बेटी को बढ़ाने के लिए पिता ने लिए उधार पैसे

सपना कश्यप ने बताया कि प्रतियोगिता में मुझे बाहर खेलने होता था तो पिता ओवरटाइम करते थे। पैसे पूरे नहीं हो पाते थे तो मालिक से उधार लेकर मुझे प्रतियोगिता में ले जाते थे। देखकर मुझे लगता था कि पिता के सपने को पूरा करना है। जब मैं किसी प्रतियोगिता में खेलती थी तो उनकी मेहनत को मैं महसूस करती थी। आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचकर मुझे बहुत खुशी मिली है।

पैरों में पड़े छाले पर खेलना नहीं छोड़ा

काकादेव निवासी ज्योति शुक्ला गरीबी में पढ़ी लिखीं। आज गरीबी को मात देते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचकर पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। 2009 में स्कूल के समय में जब हैंडबॉल खेलना शुरू किया था। किट न होने पर नंगे पैर मैदान में दौड़ लगाती थी। कभी-कभी ज्यादा अभ्यास करना पड़ता था तो पैरों में छाले तक पड़ जाते थे।

पहली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनी थीं ज्योति

काकादेव निवासी शिव शंकर शुक्ला की बेटी ज्योति शुक्ला शहर की पहली अंतरराष्ट्रीय हैंडबॉल खिलाड़ी बनी थीं। 2012 में पहली बार भारतीय टीम में चयन हुआ था। ज्योति के पिता की बल्ब की फैक्ट्री थी। लेकिन 2018 में किसी कारण से वह बंद हो गई। जिससे घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। ऐसी परिस्थितियों में युवती ने हैंडबॉल खेलना शुरू किया और परिवार को एक नई पहचान दिलाने में सफल हुई। 2009 में हैंडबॉल खेलना शुरू किया। जिला स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने का मौका मिला। इस प्रतियोगिता में कानपुर जिले की टीम विजेता बनी थी। इसके बाद से लगातार प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती रहीं। गरीबी से संघर्ष करते हुए ज्योति ने 2015 में रेलवे में टीटी के पद पर नौकरी पा ली। इसके बाद से ज्योति ने सबसे पहले अपने घर को संवारना शुरू किया।

Anup Panday

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