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Kanpur News: कानपुर के लाल ने मॉरीशस में कविता सुना देश का बढ़ाया मान, 10 जुलाई को रेडियो पर होगी प्रसारित
Kanpur News: क्लास 10 से ही इनको पढ़ाई के साथ कविताओं का भी शौक हो गया और मंचों पर भी अपनी कविताएं कहने लगे। लोगों की तालियों ने इनको आगे बढ़ने पर मजबूर कर दिया और आज मॉरीशस में अपनी कविताओं से भारत देश का मान बढ़ाया।
Kanpur News: कानपुर दबौली निवासी जो नोएडा कम्पनी में कार्य करने के साथ कविताओं का भी शौक रखते हैं आज इन्ही कविताओं से कानपुर के लाल ने मॉरीशस में अपनी कविताओं से भारत देश का मान बढ़ाया।
दबौली निवासी सौमेंद्र राज त्रिपाठी ने चौबेपुर से आईटी बीटेक किया था, बीटेक करने के बाद नोएडा स्थित एक कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर पद पर जॉब करते है। परिवार में माता पिता एक भाई एक बहन है। क्लास 10 से ही इनको पढ़ाई के साथ कविताओं का भी शौक हो गया और मंचों पर भी अपनी कविताएं कहने लगे। लोगों की तालियों ने इनको आगे बढ़ने पर मजबूर कर दिया और आज मॉरीशस में अपनी कविताओं से भारत देश का मान बढ़ाया।
बीटेक करने के बाद जॉब करने पहुंचे नोएडा
कवि सोमेंद्र राज त्रिपाठी ने बताया कि बीटेक करने के बाद नोएडा में जॉब लग गई थी। जॉब के साथ कविताएं लिखता रहता था, फरवरी माह में कंपनी ने काम के सिलसिले से मॉरीशस भेज दिया। मॉरीशस पहुंचने के बाद वहां पर भारतीय लोगों से मुलाकात हो गई। वहीं कुछ दिन बाद साथ में बैठ कर भारतीयों को अपनी कविताओं से मंत्रमुग्ध कर दिया। कविताओं को सुन भारतीय हमको मारीशस ब्रांड कास्टिंग(MBC)ले गए, और 15 मिनट में तीन कविताएं सुनाई,जो रिकॉर्ड कर ली गई, और काफी पसंद आई।
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10 जुलाई को होगा लाइव प्रसारण
कवि सोमेंद्र राज त्रिपाठी की इन कविताओं को एक रेडियो मॉरीशस नामक स्टेशन में 10 जुलाई को शाम 4 बजे (मॉरीशस के समय अनुसार) और अपने यहां करीब 5:30 बजे कार्यक्रम प्रस्तुत होगा,उन्होंने कई कविताएं तैयार कर रखी हैं,जिसे सुनाकर वह विदेशों में रहने वाले लोगों को भी अपना दीवाना बनाएंगे।
सोमेंद्र को लोग कवि सोमेंद्र राज त्रिपाठी के नाम से जानते है, छोटे भाई चंद्रेश ने जानकारी दी कि बड़े भाई सोमेंद्र को 14 साल की उम्र से कविताओं का शौक हो गया था, जहां कहीं जाते थे तो अपनी कविताओं से सबको अपना बना लेते थे। फिर कुछ ही दिनों में लोग इन्हें कवि सोमेंद्र राज त्रिपाठी के नाम से पुकारने लगे।
पढाई के साथ पढ़ रहा हूं कविता
सौमेंद्र ने बताया कि मैं पढ़ाई कर रहा था,उसी समय मैंने कविता पढ़नी शुरू कर दी। कभी कोई प्रोग्राम स्कूल कॉलेज में हुआ तो मंच पर आकर कविता पढ़ देता था। 2012 में मैंने बीटेक की पढ़ाई पूरी की और गुड़गांव 2016 में आ गया। इसके बाद यहां पर मुझे कई प्लेटफार्म मिले। 2017 में पहली बार दिल्ली स्थित द्वारिका में मुझे सबसे बड़ा प्लेटफार्म मिला, जहां पर हजारों की संख्या में भीड़ में मेरी कविताएं लोगों ने खूब पसंद की। इसके बाद मैं आगे बढ़ता चला गया।
विदेशो में दिलानी है अपनी मातृ भाषा की पहचान
जब मैं मॉरीशस गया तो वहां पर अपने भारतीय मूल के लोगों से मुलाकात हुई,जब देखा कि अपनी मातृ भाषा के लोग यहां रहकर वर्क कर रहे है और अपने देश की भाषा में बात करते है तो अब मेरा मकसद भी यहीं है। जहां जाऊं अपनी मातृ भाषा की पहचान बनाऊं। मुझे यहां रहकर काफी सहयोग मिल रहा है। मैं उन साथियों का धन्यवाद कहूंगा जो मेरा साथ देकर मुझे इस मुकाम तक लाए।