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जिन्दा या मुर्दा, अब जल्द पकड़ा जाएगा विकास दुबे, मुखबिर हिरासत में

कानपुर शूटआउट का आरोपी विकास दुबे अब ज्यादा दिनों तक छिप कर नहीं रह सकता है। वह जल्द ही जिन्दा या मुर्दा पकड़ा जायेगा। यूपी पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए आपरेशन को और तेज कर दिया है। उसके सिर पर 5 लाख का इनाम रखा गया है।

Newstrack
Published on: 8 July 2020 9:33 AM GMT
जिन्दा या मुर्दा, अब जल्द पकड़ा जाएगा विकास दुबे, मुखबिर हिरासत में
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लखनऊ: कानपुर शूटआउट का आरोपी विकास दुबे अब ज्यादा दिनों तक छिप कर नहीं रह सकता है। वह जल्द ही जिन्दा या मुर्दा पकड़ा जायेगा। यूपी पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए आपरेशन को और तेज कर दिया है। उसके सिर पर 5 लाख का इनाम रखा गया है।

उससे जुड़े एक –एक आदमी को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। इसी कड़ी में पांच लाख के इनामी बदमाश विकास दुबे के लिए मुखबिरी करने के आरोप में चौबेपुर पुलिस स्टेशन के निलंबित एसओ विनय तिवारी को हिरासत में ले लिया गया है।

विनय तिवारी से आज एसटीएफ की टीम पूछताछ कर रही थी।

पूछताछ के बाद विनय तिवारी को हिरासत में ले लिया गया है। विकास के अलावा इस प्रकरण में तत्कालीन चौकी इंचार्ज केके शर्मा से भी पूछताछ चल रही है। केके शर्मा पर भी मुखबिरी का आरोप है। इतना ही नहीं इस पूरे घटनाक्रम में 5 दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर भी किया जा चुका है।

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ऐसे हुआ विनय तिवारी पर शक?

प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना वाले दिन जब पुलिस टीम बिकारू जा रही थी। तभी एसओ विनय तिवारी ने फोन करके लाईट कटवाया था। तमाम आरोप के बाद विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया था।इसके बाद चौबेपुर थाने के दो दारोगा और एक सिपाही को भी सस्पेंड किया गया था. सभी से पूछताछ की जा रही है।

इतना ही नहीं शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा का एक कथित लेटर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने चौबेपुर के तत्कालीन एसओ विनय तिवारी और बदमाश विकास दुबे के बीच मिलीभगत की शिकायत तत्कालीन एसएसपी अनंत देव से की थी। शहीद सीओ के वायरल लेटर के सामने आने के बाद मुखबिरी के शक की सबसे पहले सुई एसओ विनय तिवारी पर गई थी।

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शहीद सीओ ने लेटर में लिखी थी ये बात

बताते चलें कि शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा ने अपने लेटर में इस बात का जिक्र किया था कि विकास दुबे पर करीब 150 संगीन मुकदमे दर्ज हैं।

13 मार्च को इसी विकास दुबे के खिलाफ चौबेपुर थाना में एक मुकदमा दर्ज हुआ था, जो आईपीसी की धारा 386 के तहत दर्ज हुआ था. मामला एक्सटार्शन का था। इसमें दस साल तक की सजा का प्रावधान है और ये एक गैर जमानती अपराध है।

शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र ने लिखा कि गैर जमानती अपराध होने के बावजूद जब चौबीस घंटे तक विकास दुबे के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई और उसे गिरफ्तार नहीं किया गया तो 14 मार्च को उन्होंने केस का अपडेट पूछा।

इस पर उन्हें पता चला कि चौबेपुर के एसओ विनय कुमार तिवारी ने एफआईआर से 386 की धारा हटा कर पुरानी रंजिश की मामूली धारा लगा दी।

इस लेटर में शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र ने साफ-साफ लिखा था कि थानाध्यक्ष विनय तिवारी का विकास दुबे के पास आना-जाना है।

इतना ही नहीं सीओ साहब ने चार महीने पहले ही आगाह कर दिया था कि अगर थानाध्यक्ष अपने काम करने के तरीके नहीं बदलते तो कोई बड़ी वारदात घट सकती है।

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