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UP पॉलिटिक्स: अब कायस्थों की इंट्री, लखनऊ में लगे बड़े-बड़े होर्डिंग्स
संगठन के अलाव सरकार में भी उनकी भागीदारी को देखते हुए उनको उचित सम्मान नहीं मिल सका है और न ही कोई बडा दायित्व सौंपा गया है।
लखनऊ: पिछले तीन दशकों से जातीय राजनीति में उलझा उत्तर प्रदेश एक बार फिर पुराने रास्ते पर लौटने को तैयार है। पिछले दो महीने से ब्राम्हण राजनीति की बेल में उलझा प्रदेश अब कायस्थ राजनीति की तरफ मुड़ रहा है। हाल ही में लखनऊ में कई जगहों पर कायस्थों को लेकर होल्डिंग्स लगाए गए। इसमें कहा गया है कि कायस्थ समाज कई वर्षो से भाजपा को ढोते आ रहे हैं अब समय आ गया है कि इस समाज को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए।
बीजेपी से नाराज कायस्थ समाज
दरअसल कायस्थ समाज शुरू से ही भाजपा के साथ रहा है। पर उसे लग रहा है कि उनकी पार्टी में उपेक्षा हो रही है। उनके समाज के किसी व्यक्ति को सरकार में भी स्थान नहीं दिया गया है। हाल ही में भाजपा की घोषित प्रदेश कार्यकारिणी में भी इस समाज को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका है। संगठन के अलाव सरकार में भी उनकी भागीदारी को देखते हुए उनको उचित सम्मान नहीं मिल सका है और न ही कोई बडा दायित्व सौंपा गया है।
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UP की राजनीति में अब कायस्थ समाज की इंट्री (फाइल फोटो)
हालांकि क्षेत्रीय अध्यक्ष के पद पर भाजपा ने काशी प्रांत से एक कायस्थ को जरूर शामिल किया है। कायस्थ समाज शुरू से कांग्रेस के साथ रहा है पर अयोध्या आंदोलन के बाद से यह समाज पूरी तरह से भाजपा के साथ जुड़ गया। प्रदेश में करीब तीन फीसदी कायस्थ वोटर हैं। जो मौजूदा समय में भाजपा के साथ मजबूत के साथ जुड़ा हुआ है। गोरखपुर, वाराणसी, बनारस कानपुर, जौनपुर, लखनऊ, मिर्जापुर, बरेली जैसे न जाने कितने शहरी व ग्रामीण-कस्बाई इलाकों की कई लोकसभा व विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर भाजपा को अगर विजय मिलती आई है तो उस विजय में मतदाताओं का सबसे बड़ा हिस्सा कायस्थों का ही रहा है।
भाजपा पर लग रहा ठाकुरवाद का आरोप
UP की राजनीति में अब कायस्थ समाज की इंट्री (फाइल फोटो)
प्रदेष में में जिस तरह से बसपा अध्यक्ष मायावती पर दलितों और अखिलेश यादव पर यादववाद के आरोप लगते हैं। वैसे ही अब यूपी में भाजपा पर ठाकुरों की पार्टी होने और ठाकुरवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा है। ऐसे में कायस्थ समुदाय के पोस्टर भाजपा के लिए चिंता का सबब बन गया है।
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सूबे में चार विधायक और एक मंत्री कायस्थ समुदाय से हैं। इसके अलावा तीन जिला अध्यक्ष और तीन प्रवक्ता भी कायस्थ समुदाय से हैं। इसके अलावा केंद्रीय संगठन और सरकार में कायस्थ समुदाय की अच्छी खासी भागेदारी है। लेकिन विधानसभा चुनाव नजदीक देखकर कई दल भाजपा के इस परंपरागत कायस्थ समुदाय को अपनी तरफ करने के लिए इन दिनों हर तरह के प्रयास में जुट गए हैं।