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दुनिया भर के कारोबार में भी लगा कोरोना वायरस
नीलमणि लाल
लखनऊ : दुनिया में 11 साल बाद महामारी के रूप में पसरी किसी बीमारी ने इनसानों में दहशत का जो माहौल तैयार किया है वह भले ही पहले की महामारियों में देखा गया हो लेकिन कोरोना दुनिया में पहली ऐेसी बीमारी है जिससे दुनिया भर को 2.7 ट्रिलियन डॉलर की चपत लगने का अंदेशा है। आलम ये है कि निफ्टी में 868 और बीएसई में 2919 अंक की गिरावट एक ही दिन में दर्ज की गई जिससे निवेशकों के 11.26 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं।
कोरोना वायरस ने इनसानों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी परेशानी में डाल दिया है। नागरिक उड्डïयन और उद्योग बुरी तरह प्रभावित है। तेल की मांग घटती जा रही है। चीन, जापान, अमेरिका और यूरोपीय देशों की जीडीपी में भारी कमी आने का अंदेशा है। आर्थिक सहयोग व विकास संगठन यानी ओसीईडी ने विश्व की जीडीपी वृद्धि का अनुमान आधा फीसदी घटा दिया है। भारत और अमेरिका समेत कई देशों ने आवागमन पर ३० दिनों की रोक लगा दी है। कोरोना वायरस से इटली सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। जबकि दुनिया के १९५ में ११४ देशों में कोरोना वायरस फैल चुका है।
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कोरोना का सबसे ज्यादा आर्थिक असर चीन पर ही है। ब्लूमबर्ग का अनुमान है कि २०२० की पहली तिमाही में चीन की जीडीपी वृद्धि घट कर १.२ फीसदी पर आ गई है।
दुनिया भर के कुल १९५ देशों में से ११४ में कोरोना वायरस फैल चुका है। सवा लाख से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हैं और ४६०० से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के प्रसार को 'महामारी' की श्रेणी में रखा है। कोरोना संक्रमण के ९० फीसदी केस चार देशों में पाये गये हैं जबकि ८१ देशों में कोरोनावायरस का कोई मामला अभी तक सामने नहीं आया है। ५७ देश ऐसे हैं जहां १० या उससे कम मामले मिले हैं। इस घातक बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश इटली और ईरान हैं लेकिन भारत समेत बाकी देशों पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
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विश्व इकॉनमी भी हुई बीमार
कोरोना वायरस इनसानों की सेहत के साथ-साथ इकॉनमी को भी संक्रमित कर गया है। शेयर मार्केट गिरते जा रहे हैं, प्रोडक्शन ठप सा हो गया है, होटल - एयरलाइंस उद्योग बुरी तरह प्रभावित है। तेल की मांग घटती जा रही है।
बैंकों और फाइनेंशियल संस्थानों ने ग्लोबल इकॉनमी के लिये अपने पूर्वानुमानों में भारी कटौती की है। ओईसीडी (ऑर्गनाइजेशन फॉर इकॉनमिक कोआपरेशन एंड डेवलपमेंट) ने २०२० के लिये सभी देशों की वास्तविक जीडीपी वृद्धि में खासी कटौती कर दी है। ओसीईडी ने विश्व की जीडीपी वृद्धि का अनुमान ३ फीसदी से घटा कर अब २.५ फीसदी कर दिया है। चीन, अमेरिका, यूरोप और जापान की जीडीपी वृद्धि में भारी कटौती की गई है।
कोरोना का सबसे ज्यादा असर चीन की अर्थव्यवस्था पर है। हुबेई प्रांत और वुहान शहर में ढेरों कल-कारखाने हैं और ये सब ठप पड़े हैं। चूंकि चीन से यातायात पर अनेक देशों ने प्रतिबंध लगा रखा है सो चीन से निर्यात भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। चीन से कई दवाओं के साल्ट निर्यात होते हैं इस वजह से दुनिया में दवाओं की किल्लत होने के आसार हैं।
वायरस से लड़ाई में अरबों डालर लगाए
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अमेरिका और यूरोप के बीच आवागमन पर ३० दिनों की रोक लगाई। सिर्फ युनाइटेड किंगडम को इससे अलग रखा गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कोरोना वायरस से लड़ाई के लिये ८.३ बिलियन डॉलर की फंडिंग मंजूर की है।
आस्ट्रेलिया ने भी लंबे सघर्ष के लिये कमर कसी है और २.४ बिलियन डॉलर खर्च करने का प्लान बनाया है।
युनाइटेड किंगडम ने कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई पर ६५ मिलियन पाउंड खर्च करने का एलान किया है। इससे देश की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जायेगा।
कोरोना वायरस से इटली बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। इटली सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिये २८.३ बिलियन डॉलर खर्च करने की घोषणा की है।
कनाडा की सरकार कोरोना से लडऩे के लिये ७२८ मिलियन डॉलर खर्च करेगी। कनाडा में अभी तक कोरोना का व्यापक प्रकोप तो नहीं है लेकिन इसकी आशंका है।
ईरान में कोरोना वायरस से डेढ़ सौ से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। काफी बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हैं। ईरान ने विश्व समुदाय से गुहार लगाई है कि कोरोना से लडऩे के लिये उसके खिलाफ लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने की तत्काल जरूरत है। ईरान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से ५ बिलियन डॉलर का इमरजेंसी फंड मांगा है।
भारत ने बैन की विदेशियों की एंट्री
कोरोना को कंट्रोल करने के लिये भारत ने तमाम एहतियाती उपाय किये हैं। जांच, आइसोलेशन और जागरूकता के साथ भारत ने अपनी सभी सीमाएं भी सील कर दी हैं। १५ अप्रैल तक विदेशियों की इंट्री पर बैन लगा दिया गया है। सभी टूरिस्ट वीज़ा रद कर दिये गये हैं। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की अध्यक्षता में हुई मंत्री समूह की बैठक में फैसला ले कर राजनयिक, आधिकारिक, संयुक्त राष्ट्र/अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, कामकाजी और प्रोजेक्ट वीजा के अलावा सभी मौजूदा वीजा 15 अप्रैल 2020 तक निलंबित कर दिये गये। ओसीआई कार्डधारकों को प्राप्त वीजा मुक्त यात्रा की सुविधा भी 15 अप्रैल तक के लिए रोक दी गयी है।
भारत में करीब दस लाख टूरिस्ट हर महीने विदेशों से आते हैं। ट्रैवल बैन से पूरी टूरिज्म इंडस्ट्री को भारी नुकसान होने का अनुमान है। २०१९ में करीब १ करोड़ ८९ लाख विदेशी टूरिस्ट भारत आये थे। २०१८ की तलना में ये ३.१ फीसदी की बढ़ोतरी थी। मार्च और अप्रैल २०१९ में १७ लाख से ज्यादा टूरिस्ट आये थे। यानी कुल टूरिस्टों में से १५ फीसदी इन्हीं दो महीनों में आये थे। २०२० जनवरी में ११ लाख टूरिस्ट आये थे।
चीन ने किया कंट्रोल
कोरोना वायरस का ग्राउंड जीरो चीन के हुबेई प्रांत का वुहान शहर है। यहीं से ये वायरस निकल कर दुनिया भर में फैला। चीन में इस वायरस से ८०,७९३ लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं जिनमें से ३,१६९ मरीजों की मौत हो गई। वुहान में शुरुआत तो दिसम्बर में ही हो गई थी लेकिन चीनी सरकार ने जनवरी के मध्य में इसे गंभीरता से लिया। सरकार ने बीमारी पर काबू पाने के लिये सख्त और व्यापक कदम उठाये और अपनी पूरी ताकत झोंक दी। अब वहां कोरोना वायरस पर लगभग पूरी तरह काबू पा लिया गया है और नए केस की तादाद घटती जा रही है। जहां पहले रोजाना सैकड़ों लोग संक्रमित हो रहे थे वहीं १० मार्च को इनकी संख्या २४ थी जो ११ मार्च को घट कर १५ हो गई।
एवरेस्ट अभियान पर लगी रोक
कोरोना की दहशत के चलते चीन ने माउंट एवरेस्ट पर जाने के परमिट रद कर दिये हैं। एवरेस्ट अभियानों का सीजन अब शुरू होने वाला है। पिछले साल चीन की तरफ से २४१ परमिट जारी किये गये थे। लेकिन नेपाल ने अपनी तरफ से माउंट एवरेस्ट जाने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई है।
इटली में बूढ़ों पर कहर
आज कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित इटली है। यहां १२ हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं और ८२७ लोगों की मौत हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जहां विश्व में कोरोना के कारण मौतों का औसत ३.४ फीसदी है वहीं इटली में ये ५ फीसदी है। इटली में इतनी बड़ी संख्या में मौतों का कारण वहां की बढ़ी जनसंख्या को बताया जा रहा है। इटली में २३ फीसदी नागरिक ६५ वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं। इस देश की औसत उम्र ४७.३ वर्ष है जबकि अमेरिका में ये ३८.३ और भारत में २६.८ वर्ष है। इटली में कोरोना वायरस से जो मौतें हुईं हैं वे सब मरीज ८० और ९० साल के थे। देश के उत्तरी इलाकों में संक्रमण बेहद तीव्र है और इस पूरे क्षेत्र को सील कर दिया गया है।
असर मौसम का
कोरोना वायरस का प्रकोप सर्दी के मौसम में शुरू हुआ और ज्यादातर उन देशों में फैला जहां अभी तक ठंड पड़ रही है। इन्फ्लुएंजा या फ्लू की तरह ये नई बीमारी भी श्वसन प्रणाली का संक्रमण है। ये संक्रमण उस ग्रुप के वायरस से होता है जो आमतौर पर ठंडे वातावरण में ज्यादा समय तक बचा रहता है। कोरोना वायरस पहुंच तो बहुत से देशों में गया है लेकिन पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में इसका कहर उत्तरी गोलार्ध की तुलना में काफी कम है। ऐसे में वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं कि इस वायरस का तापमान से क्या संबंध है। चूंकि कोरोना वायरस दिसम्बर के अंत में सामने आया सो अभी तक ये पक्का पता नहीं है कि गर्म मौसम में इसका क्या असर रहेगा।
नेशनल यूनीवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के डॉ. डेल फिशर का कहना है कि अभी ये नहीं बताया जा सकता है कि गर्मियों में कोरोना का क्या हाल होगा। ये तो कुछ साल के बाद ही पता चलेगा। चूंकि कोरोना वायरस के प्रति हमारे शरीर में प्राकृतिक इम्यूनिटी नहीं है सो हम सब इसकी चपेट में आ सकते हैं।
अमेरिका की यूनीवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के डॉ. मोहम्मद सजादी का मत है कि मौसम का असर इस वायरस पर हो सकता है। डॉ. सजादी और उनके एक साथी ने अपनी रिसर्च में पाया है कि कोरोना वायरस का प्रकोप ५ से ११ डिग्री सेल्यिस वाले क्षेत्रों में काफी ज्यादा रहा है।
हांगकांग यूनीवर्सिटी के प्रो. बेंजामिन काउलिंग का मानना है कि ठंडे देशों में कोरोना के मामले इसलिये ज्यादा सामने आए हैं क्योंकि इन देशों में संदिग्धों की जांच ज्यादा व्यापक पैमाने पर की जा रही है। इसके अलावा ठंडे मौसम में लोग घरों के भीतर ज्यादा समय बितााते हैं जिससे संक्रमण एक-दूसरे में फैलने का अंदेशा ज्यादा रहता है।
एम्स, नई दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया का कहना है कि रिसर्च से पता चला है कि हवा में ह्यïूमिडिटी से वायरस को पनपने में मदद मिलती है। लेकिन तापमान बढऩे का ये मतलब नहीं कि इससे वायरस मर जायेगा।
चीन की गुआंगझू यूनीवर्सिटी की एक रिसर्च टीम का कहना है कि गर्म मौसम से वायरस का प्रकोप कम होगा।
कहां से आ टपका कोरोना वायरस
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ये वायरस एकदम नया है और प्रकृति से आया है। ये भी कहा जा रहा है कि ये वायरस वन्य जीवन से उपजा है।विशेषज्ञों का कहना है कि इस वायरस का जीन चमगादड़ में पाए जाने वाले एक वायरस से मिलता जुलता है।
एक थ्योरी ये भी है कि चीन की वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वाइरोलोजी में इस वायरस पर रिसर्च हो रहा था और वहीं से ये लीक हो गया।
किस उम्र पर ज्यादा प्रभाव
चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की मौतों का विश्लेषण करने पर पाया गया है कि सबसे ज्यादा जोखिम वाले 60 से 79 आयु वर्ग के लोग हैं। इनमें भी 70 से 79 उम्र के लोगों के लिए कोरोना सबसे ज्यादा घातक सिद्ध हुआ है।
10 साल से कम उम्र के किसी बच्चे की मौत नहीं हुई।
10 से 39 आयु वर्ग में मृत्यु दर 0.2 फीसदी रही है।
40 से 49 आयु वर्ग में मृत्यु दर 0.4 फीसदी।
50 से 59 आयु वर्ग में 1.3 फीसदी।
60 से 69 आयु वर्ग में 3.6 फीसदी।
70 से 79 आयु वर्ग में 8 फीसदी।
80 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग में मृत्यु दर 14.8 फीसदी।
सर्वाधिक 312 मौतें 70 से 79 आयु वर्ग के बीच।
सार्स वायरस से हुई थीं ज्यादा मौतें
कोरोना वायरस से पहले दुनिया भर में 'सार्स और 'मर्स' कहर बरपा चुके हैं। लेकिन कोरोना की तुलना में इन दोनों संक्रमणों से काफी कम मौतें हुईं हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में मृत्यु दर 2 से 5 फीसदी रही है जबकि मौसमी फ्लू से 0.1 फीसदी रहती है। लेकिन मौसमी फ्लू से हर साल बहुत बड़ी संख्या में लोग संक्रमित होते हैं और 4 लाख से ज्यादा मौतें होती हैं।
वर्ष 2012 में सऊदी अरब से निकल कर 27 देशों में फैले 'मर्स' वायरस से 2494 लोग संक्रमित हुए थे जिनमें से 858 की मौत हो गई। यानी मृत्यु दर 34 फीसदी रही।
वर्ष 2002 में चीन के गुआंगडोंग प्रांत से निकल कर 30 देशों में फैले 'सार्स' वायरस से 8473 लोग संक्रमित हुए जिनमें से 813 लोगों की मौत हो गई। मृत्यु दर 9.5 फीसदी रही।
स्वाइन फ्लू या एच1एन1 वायरस से 2009 में पूरे विश्व में लोग बीमार पड़े। साल भर में ही इस वायरस से करीब साढ़े पांच लाख मौतें हुईं। मृत्यु दर 0.02 फीसदी रही।
2017 में दुनिया भर में विभिन्न कारणों से 5 करोड़ 60 लाख लोगों की मृत्यु हुई। इसमें 1 करोड़ 77 लाख लोगों की मौत हृदय रोग से, ९५ लाख कैंसर से, 39 लाख सांस की बीमारियों से और 12 लाख मौतें सड़क एक्सीडेंट की वजह से हुई।