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जानें क्यों कानूनी विवादों में उलझ गया प्रयागराज में बनने वाला जीएसटी अधिकरण?
खनऊ पीठ के फैसले ने प्रयागराज में बनने वाला जीएसटी अधिकरण कानूनी पचड़े में उलझा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के मद्रास हाईकोर्ट बार एसोसिएशन केस के फैसले के अनुसार अधिकरण वही बनने चाहिए।
प्रयागराज: लखनऊ पीठ के फैसले ने प्रयागराज में बनने वाला जीएसटी अधिकरण कानूनी पचड़े में उलझा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के मद्रास हाईकोर्ट बार एसोसिएशन केस के फैसले के अनुसार अधिकरण वही बनने चाहिए। जहां हाईकोर्ट की प्रधान पीठ हो।
इसी फैसले का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति भारती सप्रू तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार को अधिकरण के गठन का प्रस्ताव भेजने का आदेश दिया।
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सरकार ने लखनऊ में अधिकरण गठन का प्रस्ताव भेजा था। उसको वापस लेकर सरकार ने प्रयागराज में अधिकरण की पीठ गठित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया। जीएसटी काउन्सिल को निर्णय लेना है जोकि सैद्धान्तिक रूप से सहमत भी हो गयी है।
अवध बार एसोसिएशन ने जनहित याचिका दाखिल कर लखनऊ में ही पीठ बनाने की मांग की और कहा पूर्व में भेजे गए प्रस्ताव को अमल में लाया जाय। न्यायमूर्ति डी.के. अरोड़ा तथा न्यायमूर्ति आलोक माथुर की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट फैसले पर कहा है कि जहा हाईकोर्ट की पीठ हो वही अधिकरण होना चाहिए।
कोर्ट ने नसीरुद्दीन केस का हवाला देते हुए कहा कि उ.प्र. में हाईकोर्ट की दो पीठें है। इलाहाबाद व लखनऊ। कहीं भी अधिकरण गठित हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं कहा है कि जहाँ प्रधान पीठ हो वही अधिकरण हो।
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कोर्ट ने राज्य सरकार के संशोधित प्रस्ताव को रद्द करते हुए पूर्व में प्रेषित प्रस्ताव के तहत लखनऊ में पीठ गठित करने का आदेश दिया है। जब कि न्यायमूर्ति सप्रू की खंडपीठ ने यह कहते हुए सरकार से प्रस्ताव भेजने को कहा कि मद्रास बार एसोसिएशन केस के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत जहाँ प्रधानपीठ हो वही अधिकरण हो। दो खण्डपीठों में मतभिन्नता की स्थिति में जीएसटी काउन्सिल के लिए निर्णय लेने में कठिनाई होगी।
बार काउंसिल आफ इंडिया के चेयरमैन वरिष्ठ अधिवक्ता वी.सी. मिश्र ने लखनऊ पीठ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सिद्धांतों के विपरीत मानते हुए कहा है कि इस पर अमल नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रभावी होगा। इनका मानना है कि सिद्धांततः अधिकरण की पीठ हाईकोर्ट की प्रधानपीठ वाले शहर में ही होनी चाहिए। उन्होंने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से कहा है कि पुनर्विचार अर्जी दाखिल कर दोनों याचीकाओं की एक साथ सुनवाई की मांग करे और कानूनी सिद्धांतों के पालन को सुदृढ़ करे।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश पांडेय ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांत के खिलाफ आए फैसले के कानूनी पहलुओं पर विचार कर रहे है और उचित कदम उठाएंगे।
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